इकोनॉमी | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

एक अप्रैल से बदल रहे हैं ये 9 नियम, आपकी जिंदगी पर पड़ेगा सीधा असर!
अप्रैल (April Fool) की 01 तारीख से नया वित्त वर्ष (financial year 2021-22) शुरू हो रहा है. जिसके साथ ही कई सारे नियमों में बदलाव भी होगा. जिसका सीधा प्रभाव कर्मचारी से लेकर कारोबारी, पेंशनधारकों और आम आदमी पर किसी ना किसी रूप में पड़ेगा.इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें
इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें

बिग बाजार में ऐसा क्या है, जो मुकेश अंबानी और जेफ बेजोस आमने-सामने आ गए हैं?
मुकेश अंबानी और जेफ बेजोस के बीच की ये जंग फ्यूचर ग्रुप के बिग बाजार से कहीं आगे तक जाती है. 135 करोड़ की आबादी वाले भारत में तकरीबन 1,00,000 करोड़ डॉलर का खुदरा बाजार (Retail Market) है. इन दोनों की ही नजर भारत के इस खुदरा बाजार पर बनी हुई है.इकोनॉमी | 5-मिनट में पढ़ें

Mukesh Ambani Richest Asian: मुकेश अंबानी के पास कहां से आता है इतना पैसा?
रिलायंस का मूलमंत्र है, 'फ्यूचर बिजनेस और राइट टैलेंट में इनवेस्टमेंट करके, अपने ड्रीम को पूरा करना.' अपने पिता धीरू भाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) की इस सीख पर अमल करते हुए साल 2016 में मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने टेलीकाम सेक्टर में पैर फैलाना शुरू कर दिया था.इकोनॉमी | बड़ा आर्टिकल

पेट्रोल के 'शतक' में कौन-कौन है पर्दे के पीछे रहने वाले खिलाड़ी? जानिए...
केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर राजस्व पाने के लिए भारी मात्रा में टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, राज्य भी टैक्स लगाने में पीछे नही हैं. केंद्र सरकार की ओर पेट्रोल पर करीब 100 फीसदी टैक्स लिया जाता है. राज्य सरकारें भी इस पर वैट व अन्य शुल्क के जरिये राजस्व वसूलती हैं. राज्य सरकारें वैट व अन्य शुल्क केंद्र के द्वारा लगाए गए टैक्स के मूल्य पर लगाती हैं.इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें

चीनी मोबाइल के बिक्री आंकड़ों ने मोदी सरकार की कार्रवाई की हवा निकाल दी!
चीन ने सीमा सहमतियों का उल्लंघन भी किया है. तो इसका राष्ट्रीय जवाब हो सकता है लेकिन इसके लिए आर्थिक गतिविधियों को औजार बनाना क्या काउंटर प्रोडक्टिव नहीं है? चीनी स्मार्टफोन भारत के बाजार में ज्यादा बिके तो इसकी वजह साफ है कि मार्केट डायनामिक्स में चीनी कंपनियों ने बाजी मारी.इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें

Budget 2021 में जानिए मिडिल क्लास को क्या मिला, और क्या नहीं
कोरोना काल में नौकरी जाने, सैलरी कटने जैसी समस्याओं से जूझ रहे मिडिल क्लास को बजट से ढेर सारी उम्मीदें थीं. बजट से उम्मीदों की आस लगाए बैठे मिडिल क्लास को बजट से केवल झटका मिला है. केंद्रीय बजट 2021 मुख्य रूप से किसान, वैक्सीन और चुनाव को समर्पित है. इसका मिडिल क्लास से कोई लेना-देना नहीं रहा. टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है.इकोनॉमी | 3-मिनट में पढ़ें
इकोनॉमी | 6-मिनट में पढ़ें

Union Budget 2021: कोरोना की मार से जूझ रहे बॉलीवुड को बजट से उम्मीदें, क्या खरी उतरेगी सरकार?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. मजदूर, किसान, नौकरीपेशा से लेकर उद्योग जगत तक की निगाहें बजट पर लगी हुई हैं. इसमें साल 2019-20 में 100 बिलियन डॉलर का कारोबार करने वाली फिल्म इंडस्ट्री भी शामिल है, जो सरकार से उम्मीदें लगाए बैठी है.इकोनॉमी | 6-मिनट में पढ़ें

तो क्या मान लें कि अर्थव्यवस्था अब पटरी पर आने की राह पर चल पड़ी है?
विश्व के अन्य मुल्कों की तरह भारत (India) भी कोरोना (Coronavirus) की चपेट में है. क्योंकि अभी तक वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) नहीं आई है इसलिए जान जीवन और अर्थव्यवस्था (Economy) दोनों ही अस्त व्यस्त है मगर अब जिस तरह धीरे धीरे चीजें पटरी पर लौट रही हैं उसे देखना अपने में सुखद है.इकोनॉमी | 5-मिनट में पढ़ें

Loan Moratorium क्या है, जिसके खत्म होने की खबर ने EMI जमा करने वालों की नींद उड़ा दी
कोविड 19 महामारी (Covid 19 pandemic) की वजह से आरबीआई (RBI) ने लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) स्कीम के तहत कर्जदारों को ईएमआई (EMI) भरने से 6 महीने की जो राहत दी थी, वह अवधि 31 अगस्त को खत्म हो रही है. ऐसे में सितंबर महीने से कर्जदारों को जेब खाली करनी पड़ेगी और मासिक किस्त का भुगतान करना पड़ेगा.इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें

बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 50 साल, जानिए भारतीय बैंकिंग की तस्वीर कैसे बदली
1969 में तत्कालीन सरकार द्वारा14 सबसे महत्वपूर्ण बैंकों का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation Of Banks In India) किया गया.उसके बाद जैसी स्थितियां बनीं कहा जा सकता है कि भारतीय बैंकिंग सेवाओं(Indian Banking Services) की दिशा में तब एक बहुत बड़ा कदम उठाया गया था.इकोनॉमी | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

एक अप्रैल से बदल रहे हैं ये 9 नियम, आपकी जिंदगी पर पड़ेगा सीधा असर!
अप्रैल (April Fool) की 01 तारीख से नया वित्त वर्ष (financial year 2021-22) शुरू हो रहा है. जिसके साथ ही कई सारे नियमों में बदलाव भी होगा. जिसका सीधा प्रभाव कर्मचारी से लेकर कारोबारी, पेंशनधारकों और आम आदमी पर किसी ना किसी रूप में पड़ेगा.इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें
इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें

बिग बाजार में ऐसा क्या है, जो मुकेश अंबानी और जेफ बेजोस आमने-सामने आ गए हैं?
मुकेश अंबानी और जेफ बेजोस के बीच की ये जंग फ्यूचर ग्रुप के बिग बाजार से कहीं आगे तक जाती है. 135 करोड़ की आबादी वाले भारत में तकरीबन 1,00,000 करोड़ डॉलर का खुदरा बाजार (Retail Market) है. इन दोनों की ही नजर भारत के इस खुदरा बाजार पर बनी हुई है.इकोनॉमी | 5-मिनट में पढ़ें

Mukesh Ambani Richest Asian: मुकेश अंबानी के पास कहां से आता है इतना पैसा?
रिलायंस का मूलमंत्र है, 'फ्यूचर बिजनेस और राइट टैलेंट में इनवेस्टमेंट करके, अपने ड्रीम को पूरा करना.' अपने पिता धीरू भाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) की इस सीख पर अमल करते हुए साल 2016 में मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने टेलीकाम सेक्टर में पैर फैलाना शुरू कर दिया था.इकोनॉमी | बड़ा आर्टिकल

पेट्रोल के 'शतक' में कौन-कौन है पर्दे के पीछे रहने वाले खिलाड़ी? जानिए...
केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर राजस्व पाने के लिए भारी मात्रा में टैक्स लगाया जाता है. हालांकि, राज्य भी टैक्स लगाने में पीछे नही हैं. केंद्र सरकार की ओर पेट्रोल पर करीब 100 फीसदी टैक्स लिया जाता है. राज्य सरकारें भी इस पर वैट व अन्य शुल्क के जरिये राजस्व वसूलती हैं. राज्य सरकारें वैट व अन्य शुल्क केंद्र के द्वारा लगाए गए टैक्स के मूल्य पर लगाती हैं.इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें

चीनी मोबाइल के बिक्री आंकड़ों ने मोदी सरकार की कार्रवाई की हवा निकाल दी!
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Budget 2021 में जानिए मिडिल क्लास को क्या मिला, और क्या नहीं
कोरोना काल में नौकरी जाने, सैलरी कटने जैसी समस्याओं से जूझ रहे मिडिल क्लास को बजट से ढेर सारी उम्मीदें थीं. बजट से उम्मीदों की आस लगाए बैठे मिडिल क्लास को बजट से केवल झटका मिला है. केंद्रीय बजट 2021 मुख्य रूप से किसान, वैक्सीन और चुनाव को समर्पित है. इसका मिडिल क्लास से कोई लेना-देना नहीं रहा. टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है.इकोनॉमी | 3-मिनट में पढ़ें
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Union Budget 2021: कोरोना की मार से जूझ रहे बॉलीवुड को बजट से उम्मीदें, क्या खरी उतरेगी सरकार?
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तो क्या मान लें कि अर्थव्यवस्था अब पटरी पर आने की राह पर चल पड़ी है?
विश्व के अन्य मुल्कों की तरह भारत (India) भी कोरोना (Coronavirus) की चपेट में है. क्योंकि अभी तक वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) नहीं आई है इसलिए जान जीवन और अर्थव्यवस्था (Economy) दोनों ही अस्त व्यस्त है मगर अब जिस तरह धीरे धीरे चीजें पटरी पर लौट रही हैं उसे देखना अपने में सुखद है.इकोनॉमी | 5-मिनट में पढ़ें

Loan Moratorium क्या है, जिसके खत्म होने की खबर ने EMI जमा करने वालों की नींद उड़ा दी
कोविड 19 महामारी (Covid 19 pandemic) की वजह से आरबीआई (RBI) ने लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) स्कीम के तहत कर्जदारों को ईएमआई (EMI) भरने से 6 महीने की जो राहत दी थी, वह अवधि 31 अगस्त को खत्म हो रही है. ऐसे में सितंबर महीने से कर्जदारों को जेब खाली करनी पड़ेगी और मासिक किस्त का भुगतान करना पड़ेगा.इकोनॉमी | 4-मिनट में पढ़ें
