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Updated: 29 जनवरी, 2023 06:52 PM
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इंडिया के अडानी साम्राज्य की नींव हिलाने के लिए अमेरिका की फॉरेंसिक फाइनेंशियल कंपनी की रिपोर्ट का टाइटल ही काफी था. "कैसे दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा है?" निश्चित ही अडानी समूह 24 जनवरी के दिन को काला दिवस के रूप में ही याद करेगा. ये काली रिपोर्ट आई ठीक तीन दिन पहले, 27 जनवरी को अब तक का सबसे बड़ा बीस हजार करोड़ रुपए का एफपीओ यानी शेयरों का द्वितीय इशू जो जारी हुआ है.

हालांकि हालात निर्मित हो गए थे इशू को रोकने के. लेकिन रोका नहीं गया है तो किसी ने कहा 'रस्सी जल गई पर बल नहीं गया'. वैसे भी इशू अब नोशनल ही है, चूंकि ना तो दाम घटाए गए हैं और ना ही क्लोजिंग डेट बढ़ाई गई है. जबकि अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर जारी होने के दिन तक़रीबन 19 फीसदी घटकर रू 2761.45 पर बंद हुआ और FPO का फ्लोर प्राइस है रु 3112 विथ कैप ऑफ़ रु 3276. क्यों कोई लेगा? लेगा तो आ बेल मुझे मार वाला ही काम करेगा ना.

सिर्फ एक हफ्ता पहले यानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के तीन दिन पहले क्या माहौल था? हर कोई अडानी की पेशकश को लपकने के लिए कह रहा था, तक़रीबन दस फीसदी की छूट जो नजर आ रही थी और रिटेल इन्वेस्टर्स को तो एक्स्ट्रा 64 रुपए की छूट मिलनी थी. इन्वेस्टर्स के लिए तो मानो छप्पर फाड़ धन बरसने वाली बात थी, वही शेयर्स जो मिलने थे जो मात्र एक साल में 87 फीसदी की चढ़ाई चढ़कर 3461.60 रुपये पर पहुंच गए थे.

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सो धरातल पर सच्चाई पहले दिन ही सामने आ गई. फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर का रिस्पांस इस कदर सुस्त रहा कि 4.55 करोड़ शेयर के बदले केवल 4.7 लाख शेयरों के लिए ही बोली लगी. आगे और ब्रेक अप देखें तो रिटेल इन्वेस्टर्स ने मात्र 4 लाख शेयरों के लिए आवेदन किए, जबकि उनके लिए 2.29 करोड़ शेयर आरक्षित हैं. इंस्टीट्यूशनल बायर्स तो आगे आये ही नहीं. 1.28 करोड़ शेयर के मुकाबले केवल 2656 शेयरों की बोली आई. नॉन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स भी उदासीन रहे. हालांकि 60456 शेयरों की बोलियां मिल गई, जबकि पेशकश तो 96.16 लाख शेयरों की हैं. हां, अडानी इंटरप्राइजेज ने एंकर इन्वेस्टर्स से 5985 करोड़ रुपये जरूर जुटा लिए थे, लेकिन तब तक हिंडनबर्ग रिपोर्ट का इम्पैक्ट जो नहीं था. रिपोर्ट क्या है, टाइम बम है. अनगिनत सवाल है अडानी ग्रुप से. कई सवाल बेहद ही गंभीर है, सीधे कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर हैं.

रिपोर्ट दावा करती है कि अगर आप हमारी जांच के निष्कर्षों को नजरअंदाज भी करें और सिर्फ अडानी समूह के वित्तीयों को अंकित मूल्य पर लेते हैं, तो इसकी 7 प्रमुख लिस्टेड कंपनियों के गगनचुंबी मूल्यांकन की हवा इस कदर निकल जाती है कि कभी किसी ने ठीक ही कहा था रुपये में 15 पैसे ही मिलते हैं. खैर, सवालों को दरकिनार करते हुए बात करें तो स्पष्ट है निवेश की दृष्टि से अडानी समूह टॉप रिस्क जोन में हैं, एक ऐसा इकनोमिक बबल सरीखा है कि जब कोई 'पिन' कर दे और हवा निकाल दे जिसका मकसद शार्ट सेलिंग भी हो सकता है. हिंडनबर्ग और अडानी के मध्य आरोप प्रत्यारोप खूब होंगे. एक पल लगेगा अडानी ग्रुप विक्टिम कार्ड खेल रहा है तो दूजे पल ये भी लगेगा कि हिंडनबर्ग का हिडन एजेंडा है. फौरी तौर पर अडानी की नेटवर्थ में 18 फीसदी की गिरावट है जिस वजह से वे अब दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी नहीं रहे. लेकिन टॉप दस में अभी भी हैं और शायद अभी सातवें हैं वे.

सो कह सकते हैं इतना आसान नहीं हैं अडानी को अर्श से फर्श तक लाने का. सौ सवालों के जवाब में एक सवाल तो हिंडनबर्ग रिसर्च पर भी है. प्रोफाइल उसकी एक्टिविस्ट शार्ट सेलर की जो है. बाय डेफिनेशन जाएं तो एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर निवेशकों को समझाते रहते हैं कि कंपनी ओवरवैल्यूड है, कर्ज में डूबी हुई है; जिस कंपनी पर ये शॉर्ट सेलर फोकस करते हैं, उसके बारे में इस तरह की खबरें आने के बाद कई बार कंपनी का शेयर रसातल पर पहुंच जाता है और शॉर्ट सेलर पैसा कमाता है.

सो लाख टके का सवाल बनता है क्या हिंडनबर्ग अरबों रुपये का मुनाफा भुनाने के लिए तो ऐसा नहीं कर रही? दूसरा सवाल हिंडनबर्ग से टाइमिंग को लेकर है. अडानी इंटरप्राइजेज के 20 हज़ार करोड़ रुपये के एफपीओ आने के ठीक दो दिन पहले क्या इसे जानबूझकर जारी किया गया? हां, अडानी समूह की बड़ी समस्या घर के भीतर ही है. देश का राजनीतिक विपक्ष खासकर कांग्रेस हाथ धोकर अडानी के पीछे पड़ा है और इस रिपोर्ट ने उनकी बांछे खिला दी हैं. अडानी ग्रुप को उन्हें मैनेज करना है, मैनिपुलेट करना है और अडानी ग्रुप ऐसा कर सकने में सक्षम है, इलेक्टोरल बांड्स भर भरभर कर दे देने हैं.

#गौतम अदानी, #हिंडनबर्ग, #रिपोर्ट, Hindenburg Research Report, Gautam Adani, World Richest Man

लेखक

prakash kumar jain prakash kumar jain @prakash.jain.5688

Once a work alcoholic starting career from a cost accountant turned marketeer finally turned novice writer. Gradually, I gained expertise and now ever ready to express myself about daily happenings be it politics or social or legal or even films/web series for which I do imbibe various  conversations and ideas surfing online or viewing all sorts of contents including live sessions as well .

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