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ज्योति गुप्ता
jyoti.gupta.01
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लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.
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लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.
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उस सरकारी टीचर की कहानी जिसके पढ़ाने के तरीके ने बच्चों को स्कूल आने पर मजबूर कर दिया
सरकारी टीचर खुशबू की कोशिश से इतने बच्चे स्कूल आने लगे हैं कि क्लास में बैठने की जगह तक नहीं बची है. वे हर छात्र में अपने बच्चे की छवि देखती हैं. वे बच्चों को पढ़ाने के लिए नए-नए रोचक तरीके अपनाती हैं. वे ध्यान रखती हैं कि बच्चे स्कूल में बोर ना हो और उनका मन लगा रहे. इसलिए वे खेलते-कूदते, नाचते-गाते, म्यूजिक के साथ बच्चों को पढ़ाती हैं.
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कुछ बहुएं घरवालों के हिसाब से ये गलती करती हैं और उनकी नजरों में बुरी बन जाती हैं
बहू को पता है कि अगर वह घर नहीं संभाल पाई तो उसे ही दोष दिया जाएगा. उसी की गलती निकाली जाएगी. इसलिए वह घरवालों का ख्याल रखने में दिन रात एक कर देती है. वह सबके हां में हां मिलाती है. घर का पूरा का काम करती है. यहां तक की घरवालों के हिसाब से अपना पहनावा, खान-पान, रहन-सहन सब बदल देती है. कुछ घरवाले बहू के इतना करने के बाद भी खुश नहीं रहते हैं.
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मां को इन बातों के लिए कभी सॉरी नहीं बोलना चाहिए
मां अपने लिए कुछ करना तो दूर सोचना नहीं जानतीं. उनकी पहचान भी उनके बच्चों के नाम से हो जाती है. कई लोग तो उनका नाम तक नहीं जानते. वे सिर्फ फलाने की बहू, सलाने की पत्नी तो चिंटू की मम्मी कहलाने लगती हैं. ऐसा लगता है कि उनका कोई शौक ही नहीं है.
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दिल्ली मेट्रो गर्ल ने जो चाहा था उसे मिल गया, हमने और आपने ही मदद की है!
दिल्ली मेट्रो गर्ल रिदम अब फेमस हो चुकी हैं. गूगल पर उनके बारे में खोजा जा रहा है. उनके नाम के कीवर्ड्स मौजूद हैं. लोग उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो कर रहे हैं. इंस्टाग्राम से उनकी तस्वीरें और वीडियो निकालकर वायरल कर रहे हैं. लोग उन्हें देखना चाहते हैं...यानि छोटे कपड़े पहनकर वे जो करना चाहती थीं वो देर सबेर हो ही रहा है.
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मां की ममता सबको दिखती है पिता का दर्द किसी को महसूस क्यों नहीं होता?
वे लोग झूठे हैं जो यह कहते हैं कि पुरुष रो नहीं सकते, उन्हें दर्द नहीं होता. जबकि सच यह है कि एक पिता का दिल पत्थर का नहीं होता है, वह अपने बच्चों के लिए वह सब करता है जो कर सकता है. वह अपने परिवार को हर खुशी देना चाहता है. इसलिए दिन-रात मेहनत करता है.
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फेयरनेस क्रीम का ऐड करने वाली प्रियंका चोपड़ा अब क्यों पछता रही हैं
प्रियंका खुद सांवले रंग की थी, फिर उन्होंने फेयरनेस क्रीम का ऐड करने का फैसला क्यों लिया? क्योंकि उस वक्त वे सिर्फ अपना फायदा देख रही थीं. अपना करियर बना रही थीं, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं था कि उनके इस ऐड का सांवली लड़कियों के मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
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इंदौर हादसे में जिन्होंने अपनों को खो दिया उनकी पीड़ा कौन समझेगा?
इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर हादसे का जिम्मेदार कोई भी हो मगर जिन्होंने अपनों को खो दिया उनकी पीड़ा कौन समझेगा? किसी ने अपना बच्चा खो दिया, किसी ने पत्नी, किसी ने मां तो किसी ने पिता. कोई तो हाथ जोड़े ही बावड़ी (कुएं) में ही समा गया. कहने को कितनी ही बातें कह दी जाएं, मुवाअजे दे दिए जाएं मगर जो चले गए वे लौट कर नहीं आने वाले.
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'नंगे तो सभी हैं, बस फर्क इतना है मैं कपड़ों से कुछ लोग सोच से', उर्फी से कितना सहमत हैं आप?
उर्फी जावेद ने टोलर्स को करारा जवाब देते हुए कहा है कि, नंगे तो सभी हैं भाई, बस फर्क इतना है मैं कपड़ों से, कुछ लोग सोच से. इस बारे में आपका क्या कहना है?
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शादी के बाद किस तरह बदल जाती है लड़कियों की जिंदगी?
शादी के बाद घर की सारी जिम्मेदारी बहू के ऊपर डाल दी जाती है. घर का काम करने और रसोई में खाना बनाने में बुराई नहीं है, लेकिन यह तब उबाऊ हो जाता है सब सब कुछ उस महिला को ही संभालना पड़ता है.
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परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा की शादी की खबरों को क्यों सच माना जा रहा है?
परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा (Parineeti Chopra Raghav Chadha) दोनों के रिश्ते की खबर तब पक्की हो गई जब आम आदमी पार्टी के सांसद संजीव अरोड़ा ने ट्वीट कर दोनों को हार्दिक बधाई दे दी.
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ज्योति गुप्ता
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चाहे जो भी हो एक मां को ये 10 बातें अपनी बेटी को नहीं सिखानी चाहिए
जमाना बदल रहा है इसलिए मांओं को भी अपनी सोच बदलनी होगी. आपकी बेटी बाहर जाती है, दोस्तों से मिलती है, कॉलेज जाती है...उसकी भी अपनी एक सोच है, अपना एक नजरिया है. ऐसे अगर आप उससे वही घिसी पिटी पुरानी बातें कहेंगी तो वह आपसे दूर होती जाएगी.
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ज्योति गुप्ता
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अनुपमा शो ने साबित किया हर पति 'वनराज' जैसा होता है और अनुज जैसे सिर्फ कल्पनाओं में होते हैं!
अनुपमा शो को पहले देखकर तसल्ली मिलती थी कि चलो वनराज जैसे लोग हैं तो अनुज जैसे भी तो हैं. मगर फिलहाल जो कुछ शो में दिखाया जा रहा है उस हिसाब से तो रियल दुनिया में अनुज जैसे अच्छे किरदार का अस्तित्व ही नहीं है. सच में ऐसा सीरियल में ही हो सकता है, क्योंकि असल दुनिया में लोग इतनी जल्दी अनुज से वनराज नहीं बन जाते. आपका क्या कहना है?