सियासत | 7-मिनट में पढ़ें
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औरंगजेब की हिंदी डिक्शनरी, मैनेजर पांडे का काम; निराला की जनेऊ से बैर, आखिर इंटेंशन क्या है?
भारत का जितना नुकसान उसके अपने आधुनिक लेखकों/विचारकों ने किया है, उतना किसी और ने नहीं. किसी भी आक्रमणकारी ने नहीं. अरबों, गजनियों, खिलजियों और मुगलों ने भी नहीं. कैसे- इंटेशन, औरंगजेब की डिक्शनरी, मैनेजर पांडे की श्रद्धांजलि, निराला की जनेऊ, छठ और तुलसी पूजा के बहाने समझते हैं.
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औरंगाबाद को उद्धव सरकार के आखिरी दिन संभाजीनगर बनाने की क्या मजबूरी थी?
यह अपने आप में शर्मनाक है कि विदेशी हत्यारे के नाम से एक जिले पहचाना जा रहा है और संभाजी महाराज के रूप में मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले युवा राजा को सदियों से अपमानित किया जा रहा है. उद्धव ठाकरे को बताना चाहिए कि क्या मजबूरी थी जो उन्होंने आख़िरी क्षण में नाम बदलने का फैसला लिया.
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पैगंबर साहेब-औरंगजेब को एक ही तराजू पर रखना बंद करें मुसलमान
देश में मजहब के नाम पर जिस तरह हर हफ्ते अराजकता का माहौल पैदा किया जा रहा है उसपर नरेंद्र मोदी और समूचे विपक्ष की चुप्पी खतरनाक है. जनता चुप जरूर है लेकिन जो चीजें हो रही हैं, उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती. उसके सब्र का बांध टूटा तो चीजें भयावह होने से कोई नहीं रोक सकता.
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शिवाजी महाराज या औरंगजेब में भारत का बड़ा 'हीरो' कौन, दोनों का एक साथ हीरो बनना क्यों असंभव है?
यह हैरानी का विषय है कि एक दूसरे के खिलाफ खूनी संघर्ष करने वाले और जान लेने वाले सभी पक्षों को देश का नायक कैसे माना जा सकता है. यह बिल्कुल असंभव धारणा है बावजूद शिवाजी को हीरो मानने वालों के साथ ही औरंगजेब को भी हीरो मानने वाले लोग हैं. औरंगजेब को हीरो मानने वाले लोग कौन हो सकते हैं आइए इस बारे में जानते हैं.
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