सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
भारत की आर्थिक विकास का रास्ता उत्तर प्रदेश से गुजरता है. अगर उत्तर प्रदेश का विकास नहीं होगा तो भारत आगे नहीं बढ़ सकता. उत्तर प्रदेश का लगातार तेजी से विकास के रास्ते पर चलना एक उम्मीद जगाता है. राज्य में करोड़ों लोग गरीबी की रेखा से बाहर हुए हैं.सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चाहते हैं कि दलित-पिछड़े और अल्पसंख्यकों की एकजुटता का माहौल बने. इसलिए ही उन्होंने यूपी कि सियासत मे पीडीए का जाल बिछाने की जबानी रणनीति तय की है. पीडीए का फुलफॉर्म है- दलित,पिछड़ा और अल्पसंख्यक. सपा अपने अतीत की पारम्परिक जमीनी धरातल को दोहराना चाहती है.सियासत | बड़ा आर्टिकल

मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
ग्वालियर चंबल अंचल में अपने गढ़ बरकरार रखना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगा. तो वहीं इन गढ़ों को फतेह करना भाजपा के लिए नाक का सवाल बन गया है. कौन किस पर भारी पड़ेगा. कौन किसका किले ढहाएगा. यह 2023 के चुनावी रण में देखने को भी मिलेगा.सियासत | बड़ा आर्टिकल

क्या आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल छोड़ देंगे I.N.D.I.A. का दामन?
दिल्ली सर्विस अमेंडमेंट बिल पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस को पंडित नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और डॉ अंबेडकर की बातों को याद दिलाकर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश की होगी, लेकिन कांग्रेस के लिए गठबंधन की मजबूरियों में न फंसकर आम आदमी पार्टी से सावधान रहने की नसीहत के पीछे कई गूढ़ रहस्य छिपे हैं, ये कांग्रेसी भी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं.सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

जनता के लिए 'नमो' कूल है और विपक्षी नेताओं को मोदी फोबिया है!
'मोदी हटाओ' के नारे में I.N.D.I.A का इमोशनल फैक्टर डाल दिया गया है. विपक्ष के लिए गुपचुप नीति बनाने की ज़रूरत है, लेकिन वे तो अपनी किसी भी चाल को गोपनीय नहीं रख पा रहे हैं. 'हम साथ साथ हैं मोदी को हटाने के लिए' जैसी राजनीतिक चाल का भी खुल्लम खुल्ला ढिंढोरा पीट रहे हैं.सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल

लव मैरिज पर गुजरात के मुख्यमंत्री का कथन एक नई बहस को जन्म देता तो है!
एक सामाजिक समस्या का समाधान करने के लिए गुजरात सरकार ने इसके बारे में सोचा है. परंतु इस बात को जरूर ध्यान देना है कि अनैतिक और गैरकानूनी दोनों में बहुत फर्क है. लिव-इन रिलेशनशिप अनैतिक हो सकती है, पर वो गैरकानूनी नहीं है. अगर आप शादी करना चाहते हैं जो आपके माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध है, वो सामाजिक तौर पर गलत हो सकता है. अनैतिक हो सकता है, पर गैरकानूनी नहीं है.सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

सख्त कानून कायदों का क्या मतलब यदि कानून की आंखों की पट्टी सरक गई हो
कहने को कहा जाता है कानून सबके लिए समान होता है या क़ानून की नजरों में सब समान है. हकीकत में क्या स्थिति इतनी आदर्श है ? कम से कम भारत में तो नहीं है. यहाँ तो गणमान्यों व नेताओं के लिए नियम, कायदे कानून बने ही हैं 'सारे नियम तोड़ दो' के लिए !सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

ऐन चुनावों के वक़्त बिना साथी के कैसे जिएगा हाथी !
BSP सुप्रीमो मायावती बार-बार कह रही हैं कि उसकी पार्टी किसी भी गठबंधन में नहीं शामिल होंगी. जिस शिद्दत से भाजपा से लड़ने के लिए बड़े-बड़े विपक्षी दल एकजुटता हो रहे हैं और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जता रहे हैं कि भाजपा से अकेले लड़ना किसी एक अकेले के बस में नहीं है.सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

'सेक्युलरवाद' के जरिए राजनीतिक पार्टियों का फायदा तो है!
भारतीय सेक्युलरवाद दैवी बनाम सांसारिक न हो कर सर्वधर्मसमभाव का है. यह बहुलता के प्रति सहनशीलता और राज करने के नियमित सिद्धांत के रूप में मान्यता देने का है. पर भारतीय और पश्चिमी सेक्युलरवाद में फर्क करने का मतलब यह नहीं है कि हम राज्य की सेक्युलर पहचान पर ही सवाल उठाना शुरू कर दें.सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
