समाज | बड़ा आर्टिकल

भले ही Dolo ने खेल खेला लेकिन अब कहीं न कहीं उसे बलि का बकरा बनाया जा रहा है!
Dolo-650 के मालिकों पर इल्जाम लग चुका है कि उन्होंने अपनी दवा की बिक्री बढ़ाने के डॉक्टर्स को गिफ्ट दिए. पॉलिटिक्स के रूल लागू होते तो माइक्रो लैब्स के लिए बड़ा आसान होता कहना कि विरोधी फार्मा कंपनियों की कुटिल चाल है. जब वही ऐसा नहीं कह रही है तो मीडिया कूल रहे और साथ ही न्यायालय भी कूल रहते हुए तथ्यों और सबूतों के आधार पर ही बातें करें मामला कुछ भी हो.समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | 4-मिनट में पढ़ें

केरल की कोर्ट का ऐसा है कि,' तेरे पहनावे ने मुझे लुभाया फिर मैंने तुझे छेड़ दिया...!'
महिलाओं के पहनावे पर नजरें टेढ़ी करना दशकों से चला आ रहा है. लेकिन हमें और केरल की अदालत दोनों को इस बात को समझना होगा कि अगर किसी महिला ने छोटे कपड़े पहने हैं तो इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि वो 'अवेलेबल' या छेड़खानी को नजरअंदाज करने के लिए तैयार है.समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

गुडफेलोज सीनियर सिटीजन स्कीम, बुजुर्गों के लिए नहीं युवाओं के लिए है!
गुडफेलोज सीनियर सिटीजन स्कीम का फायदा वही बुजुर्ग उठा सकते हैं जो अमीर हैं. जिनके पास पैसा है. जिन्हें पेंशन के रूप में मोटी रकम मिलती है. वरना जो बुजुर्ग गरीब हैं, जिनके बच्चे उन्हें अकेला छोड़ गए हैं, उन्हें तो पूछने वाला भी कोई नहीं है. उन्हें तो वृद्धाआश्रम की ही शरण लेनी पड़ेगी.समाज | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें

उर्फी जावेद की खिल्ली उड़ाने वाले करण जौहर-सोनम कपूर को कोई आईना दिखा दे
कितने शर्म की बात है कि खुद को बॉलीवुड का एलीट क्लास समझने वाले करण जौहर (Karan Johar) और सोनम कपूर (Sonam kapoor), एक ऐसी अभिनेत्री से खुद की तुलना कर रहे हैं जो सेल्फ मेड है. माना कि इनके गैंग में उर्फी जावेद फिट नहीं बैठती हैं लेकिन उनका मजाक बनाने का अधिकार इन्हें किसने दिया?समाज | 3-मिनट में पढ़ें

बात दो रुपए बढ़ने की नहीं है, जैसे हाल हैं जल्द ही दूध का शुमार लग्जरी में होगा!
दूध के बढ़े हुए दाम, पहले से ही बिगड़ते जा रहे आम घर के बजट के लिए किसी सदमे से कम नहीं हैं.इससे परेशान वो मां बाप भी हैं जिनकेनौनिहालों का पूरा पोषण है. कह सकते हैं कि इन बढ़ी हुई कीमतों को देखकर मेहनतकश माता पिता चाहकर भी गरीबी से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | बड़ा आर्टिकल
समाज | 4-मिनट में पढ़ें

कभी आजादी का केंद्र मगर अब गुमनाम होने की कगार पर है गढ़वाल की सबसे पुरानी मंडी दुगड्डा!
किसी ज़माने में उत्तराखंड में कोटद्वार के पास स्थित दुगड्डा, अपने विशेष ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता था और किसी परिचय का मोहताज नहीं था. लेकिन जैसे आज के हाल हैं.दुगड्डा अपनी पहचान खो रहा है और यहां के लोग पलायन को मजबूर हैं.समाज | 3-मिनट में पढ़ें

सरहद के झगड़े में एक हाथी की जान चली गयी, मामला हिंदुस्तान-पाकिस्तान का नहीं है!
केरल-तमिलनाडु बॉर्डर पर एक हाथी की मौत हुई है. वजह सीमा विवाद है. जैसा मामला है कह सकते हैं कि, आज के समय में राजनीति ने इंसानों और जानवरों के बीच के भेद को मिटा दिया है. ये अपने में दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरहद के हवाले से इंसान जानवर बनने पर मजबूर हो गया है.समाज | एक अलग नज़रिया | 6-मिनट में पढ़ें
