समाज | 7-मिनट में पढ़ें

बिंदेश्वर पाठक ने गांधी के स्वच्छता अभियान को जमीनी स्तर पर कार्यान्वित किया
ब्राह्मण कुल में पैदा होकर वाल्मिकी समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले और देश को सुलभ शौचालय जैसा अद्भुत सिस्टम देने वाले बिंदेश्वर पाठक सच्चे गांधीवादी थे. गांधी के लिए सफाई और स्वच्छता कार्य भारत के लिये एक महत्वपूर्ण काम था.समाज | 5-मिनट में पढ़ें

हिंदुस्तान के 'टॉयलेट मैन बिंदेश्वर पाठक' छोड़ गए संसार
पाठक का स्वच्छता आंदोलन स्वच्छता सुनिश्चित करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रोकता है. ग्रामीण समुदायों तक इन सुविधाओं को पहुंचाने के लिए इस तकनीक को अब दक्षिण अफ्रीका की ओर भी बढ़ा दिया है. ऐसे व्यक्ति का यूं चले जाना, निश्चित रूप से बड़ा अघात है. उनके न रहने की क्षति को कोई पूरा नहीं कर सकता.समाज | 5-मिनट में पढ़ें

Seema-Sachin Love Story: सीमा की प्रेमकथा में उलझी जांच एजेंसियां
अगर सीमा हैदर पाकिस्तान की जासूस निकली तो इसके पीछे भारतीय खूफिया तंत्र की घोर लापरवाही मानी जाएगी. खूफिया एजेंसियों को छोड़ो, स्थानीय पुलिस और राज्य सरकार को भी भनक नहीं हुई. जैसे हाल हैं यूपी पुलिस, सुरक्षा एजेंसियों, लोकल इंटेलिजेंस और पुलिसिंग बीट के लिए सीमा की कहानी किसी भंयकर सिर दर्द से कम नहीं है.समाज | 6-मिनट में पढ़ें
समाज | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | 2-मिनट में पढ़ें

आपबीती: दिल्ली मेट्रो की इस 'नाइंसाफी' से पुरुष समाज आहत है!
हम इस बात को नकार नहीं सकते कि उत्पीड़न का सबसे ज़्यादा शिकार इस समाज में महिलाएं होती हैं, और यह सच है, लेकिन यह भी गलत नहीं है कि महिलाएं अपनी आवाज समय-समय पर उठाती रहती हैं. उनके साथ लोग जुड़ भी जाते है, लेकिन पुरुषों के साथ ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है जब कोई पुरुष अपने लिए आवाज उठाता है या लोग उसका साथ देते हैं.समाज | बड़ा आर्टिकल

इंटरनेट आज के विद्यार्थी की जरूरत, लेकिन वहां भी जलवा इंटरटेनमेंट मीडिया का है!
इंटरनेट दुनिया के हर कोने में उपयोगी जानकारियां उपलब्ध कराने की क्रांतिकारी तकनीक है. इसके जरिए लोग किसी भी जानकारी को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. उसका आदान-प्रदान कर सकते हैं. यह भी जानना होगा क्यों इंटरनेट का दुरुपयोग हो रहा.समाज | 4-मिनट में पढ़ें

तो क्या अब ये मान लिया जाए जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर खड़ा हो गया है भारत?
आज जैसे हालात हैं न सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण करने वालों को प्रोत्साहन देने की जरुरत है, बल्कि जो इसके विपरीत व्यवहार करे उसे दण्डित करने की भी जरुरत है. आखिर इस प्रकृति पर पेड़ पौधों, जानवरों और पक्षियों का भी उतना ही हक़ है जितना हम इंसानों का.समाज | 5-मिनट में पढ़ें

New Academic Session 2023-24: नए शिक्षा सत्र का यूं करें अभिनंदन
बच्चे ग्रीष्मकालीन अवकाश की वर्ष भर प्रतीक्षा करते हैं, क्योंकि इसमें उन्हें सबसे अधिक दिनों का अवकाश प्राप्त होता है. बच्चों के लिए ग्रीष्म कालीन अवकाश किसी पर्व से कम नहीं होता. इस समयावधि में उन्हें कोई चिंता नहीं होती अर्थात उन्हें न तो प्रात:काल में शीघ्र उठकर विद्यालय जाने की चिंता होती है और न ही गृहकार्य करने की कोई चिंता होती है.समाज | 4-मिनट में पढ़ें
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