
अनुज शुक्ला
anuj4media
ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia
इकोनॉमी | 9-मिनट में पढ़ें

रूल तो कांग्रेस राज में भी बदला गया था, अडानी नहीं माल्या की कहानी से समझिए समाज विरोधी नियत!
आज अडानी के मसले पर राहुल गांधी ने संसद में पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा. बात दूसरी है कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा जो इससे पहले वे कह ना चुके हों. मुख्य रूप से उन्होंने नियमों में फेरबदल करने और अडानी के अनुभव पर सवाल उठाया. लेकिन विजय माल्या जैसा ब्लंडर करने वाले राहुल के तमाम सवाल हवा हवाई नजर आ रहे थे.सियासत | 12-मिनट में पढ़ें

कांग्रेस की बनाई मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड असल में क्यों विदेशी अशराफ बोर्ड है?
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जो असल में विदेशी अशराफ गैंग ज्यादा नजर आता है- इसे कांग्रेस ने राजनीतिक फायदे के लिए बनाया था. मगर अब यह संस्था भारत के लिए भस्मासुर साबित हो रही है. कैसे उसकी हालिया योजनाओं, और अतीत से समझते हैं...समाज | 9-मिनट में पढ़ें

मानस ज्यादा जरूरी तो अखिलेश-तेजस्वी संसद में प्रस्ताव क्यों नहीं लाते, बाकी अब PAK बचेगा नहीं
आरजेडी और समाजवादी पार्टी को लगता है कि दुनिया में जिस तरह की उथल-पुथल मची है उसमें राम चरित मानस ज्यादा जरूरी मसाला है तो उन्हें विषय पर संसद में बहस के लिए रखना चाहिए और इसे पार्टी के घोषणापत्र में जगह देनी चाहिए. वर्ना तो माना जाएगा कि वह जाने अनजाने किसी के हाथों खेल रहे हैं और मकसद वोटबैंक की राजनीति ही है.ह्यूमर | 9-मिनट में पढ़ें

मोदी को अब शाहरुख खान ही चैलेंज कर सकते हैं, राहुल-अखिलेशों से ना हो पाएगा
अखिलेश यादव ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के लिए वह चेहरा खोज लिया है- पिछले नौ साल से टॉर्च की रोशनी में जिसे खोजा जा रहा था. ये चेहरा है शाहरुख खान का. थकाऊ यात्रा के बाद यह चीज राहुल के लिए निराशाजनक हो सकती है, मगर देश में सकारात्मकता लाने के प्रयास में जुटे लोगों के लिए पठान की कामयाबी बहुत बड़ी बात है.स्पोर्ट्स | 9-मिनट में पढ़ें

पाकिस्तान को अभी और बर्बाद होना है, इन दो एक्टिव क्रिकेटर्स की ताजा उपलब्धियों से समझिए कैसे?
पाकिस्तान के इन दो मशहूर क्रिकेटर्स के जरिए भी वहां के हालात और पीछे की वजहों को आसान भाषा में समझा जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि वहां के तमाम इलाकों में आतंकियों ने अपनी सरकार गठित कर ली है. और भी इलाके टूटने को तैयार हैं. लोग तिल-तिल कर मरने को विवश है. लोगों को भूखे सोना पड़ रहा है.सियासत | 9-मिनट में पढ़ें

भूखे भेड़िए पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को नोच खाएंगे, भारत कुछ करता क्यों नहीं?
लगता है भारत ने बांग्लादेश की घटना से कोई सबक नहीं लिया है. पाकिस्तान में सरेआम मनुष्यता की हत्याएं की जा रही हैं, भारत की संप्रभुता पर चोट पहुंचाने की तैयारी है मगर वीर बहादुर भारत की सरकार का यूं चुप रहना हैरान करने वाला है.सियासत | 13-मिनट में पढ़ें

BBC डॉक्युमेंट्री से अडानी तक, राहुल के करीबी एंटनी ने ही बताया- भारत विरोधी विचार की जगह नहीं अब
बीबीसी की डॉक्युमेंट्री से लेकर गौतम अडानी प्रकरण तक कांग्रेस जैसी पार्टियों के अंदर से जिस तरह का स्टेटमेंट निकलकर आ रहा है, वह साफ़ कर देता है कि असल में फिलहाल का माहौल हिंदू पुनर्जागरण नहीं बल्कि भारत के पुनर्जागरण की घोषणा है. यह कैसे भारत का पुनर्जागरण है, आइए समझते हैं.सिनेमा | 11-मिनट में पढ़ें

बॉलीवुड में उर्दू के लिए नसीरुद्दीन की चिंता और हिंदी पर एमके स्टालिन की आशंका क्यों एक जैसी है?
भारत में इस वक्त अलगाववाद का भाव लिए तमाम तरह के बयान आ रहे हैं. कुछ पर बात हो रही है कुछ पर नहीं. मगर उन्हें गौर से देखिए- तो सबमें एक तगड़ा कनेक्शन साफ़ नजर आता है. क्यों इसे नसरुद्दीन शाह और एमके स्टालिन के अलग-अलग बयानों से भी समझा जा सकता है, जो असल में एक ही है. लेकिन इस पर कोई बहस नहीं होगी. जैसे देश के शहरों को कर्बला बना देने पर बहस नहीं हुई.सियासत | 8-मिनट में पढ़ें

पाकिस्तान के 4 नहीं 40 टुकड़े होंगे, 3 किमी फांसले पर बसे अटारी-वाघा में आटा-तेल की कीमत से यूं समझें
पाकिस्तान भारतीयों से घृणा और मजहब के आधार पर एक अलग देश बना था. भारत और पाकिस्तान के बीच तीन किमी दूरी में आटा-दाल की कीमतों से 74 साल बाद समझा जा सकता है कि वह फैसला कितना गलत था. भारत जरूर अमेरिका या चीन नहीं बन पाया, मगर जितना भी है पाकिस्तान नहीं जाने वाले अपने फैसले पर गर्व कर सकते हैं.सिनेमा | 11-मिनट में पढ़ें

पठान के साथ 'साइलेंट रेबिलियन' शाहरुख की एक सिनेमाई यात्रा तो पूरी हुई, अब आगे का खेल क्या है?
मैं हूं ना से पठान तक शाहरुख खान की फिल्मों में एक निरंतरता और कनेक्शन नजर आता है. ऐसा लगता है जैसे शाहरुख मुसलमानों की छवि बदलने निकले हैं लेकिन नई-नई चीजें भी स्थापित कर रहे हैं. बावजूद कि वह रत्तीभर भी भारत का विचार नहीं है लेकिन विजुअल के जरिए वह भागीरथ प्रयास करते तो दिखते हैं. शाहरुख सच में एक शांत विद्रोही ही हैं जैसा कि एक पत्रिका ने कवर छापकर बताया भी है.सिनेमा | 6-मिनट में पढ़ें
