
अनुज शुक्ला
anuj4media
ना कनिष्ठ ना वरिष्ठ. अवस्थाएं ज्ञान का भ्रम हैं और पत्रकार ज्ञानी नहीं होता. केवल पत्रकार हूं और कहानियां लिखता हूं. ट्विटर हैंडल ये रहा- @AnujKIdunia
स्पोर्ट्स | 9-मिनट में पढ़ें

पाकिस्तान को अभी और बर्बाद होना है, इन दो एक्टिव क्रिकेटर्स की ताजा उपलब्धियों से समझिए कैसे?
पाकिस्तान के इन दो मशहूर क्रिकेटर्स के जरिए भी वहां के हालात और पीछे की वजहों को आसान भाषा में समझा जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि वहां के तमाम इलाकों में आतंकियों ने अपनी सरकार गठित कर ली है. और भी इलाके टूटने को तैयार हैं. लोग तिल-तिल कर मरने को विवश है. लोगों को भूखे सोना पड़ रहा है.सियासत | 9-मिनट में पढ़ें

भूखे भेड़िए पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को नोच खाएंगे, भारत कुछ करता क्यों नहीं?
लगता है भारत ने बांग्लादेश की घटना से कोई सबक नहीं लिया है. पाकिस्तान में सरेआम मनुष्यता की हत्याएं की जा रही हैं, भारत की संप्रभुता पर चोट पहुंचाने की तैयारी है मगर वीर बहादुर भारत की सरकार का यूं चुप रहना हैरान करने वाला है.सियासत | 13-मिनट में पढ़ें

BBC डॉक्युमेंट्री से अडानी तक, राहुल के करीबी एंटनी ने ही बताया- भारत विरोधी विचार की जगह नहीं अब
बीबीसी की डॉक्युमेंट्री से लेकर गौतम अडानी प्रकरण तक कांग्रेस जैसी पार्टियों के अंदर से जिस तरह का स्टेटमेंट निकलकर आ रहा है, वह साफ़ कर देता है कि असल में फिलहाल का माहौल हिंदू पुनर्जागरण नहीं बल्कि भारत के पुनर्जागरण की घोषणा है. यह कैसे भारत का पुनर्जागरण है, आइए समझते हैं.सिनेमा | 11-मिनट में पढ़ें

बॉलीवुड में उर्दू के लिए नसीरुद्दीन की चिंता और हिंदी पर एमके स्टालिन की आशंका क्यों एक जैसी है?
भारत में इस वक्त अलगाववाद का भाव लिए तमाम तरह के बयान आ रहे हैं. कुछ पर बात हो रही है कुछ पर नहीं. मगर उन्हें गौर से देखिए- तो सबमें एक तगड़ा कनेक्शन साफ़ नजर आता है. क्यों इसे नसरुद्दीन शाह और एमके स्टालिन के अलग-अलग बयानों से भी समझा जा सकता है, जो असल में एक ही है. लेकिन इस पर कोई बहस नहीं होगी. जैसे देश के शहरों को कर्बला बना देने पर बहस नहीं हुई.सियासत | 8-मिनट में पढ़ें

पाकिस्तान के 4 नहीं 40 टुकड़े होंगे, 3 किमी फांसले पर बसे अटारी-वाघा में आटा-तेल की कीमत से यूं समझें
पाकिस्तान भारतीयों से घृणा और मजहब के आधार पर एक अलग देश बना था. भारत और पाकिस्तान के बीच तीन किमी दूरी में आटा-दाल की कीमतों से 74 साल बाद समझा जा सकता है कि वह फैसला कितना गलत था. भारत जरूर अमेरिका या चीन नहीं बन पाया, मगर जितना भी है पाकिस्तान नहीं जाने वाले अपने फैसले पर गर्व कर सकते हैं.सिनेमा | 11-मिनट में पढ़ें

पठान के साथ 'साइलेंट रेबिलियन' शाहरुख की एक सिनेमाई यात्रा तो पूरी हुई, अब आगे का खेल क्या है?
मैं हूं ना से पठान तक शाहरुख खान की फिल्मों में एक निरंतरता और कनेक्शन नजर आता है. ऐसा लगता है जैसे शाहरुख मुसलमानों की छवि बदलने निकले हैं लेकिन नई-नई चीजें भी स्थापित कर रहे हैं. बावजूद कि वह रत्तीभर भी भारत का विचार नहीं है लेकिन विजुअल के जरिए वह भागीरथ प्रयास करते तो दिखते हैं. शाहरुख सच में एक शांत विद्रोही ही हैं जैसा कि एक पत्रिका ने कवर छापकर बताया भी है.सिनेमा | 6-मिनट में पढ़ें

पठान पर आज ही नहीं 20 साल बाद भी बात होगी, सबसे जरूरी मुद्दों को नजरअंदाज करना नासूर बनेगा!
पठान रिलीज हो गई है. यह दुनिया के किसी भी देश की कहानी हो सकती है भारत की नहीं. फिल्म में जिस तरह से एजेंडाग्रस्त चीजों को दिखाया गया वह संप्रभुता के लिहाज से एक खतरनाक ट्रेंड है. दुनिया के किसी भी देश में कला के नाम पर ऐसा नहीं किया जा सकता. पठान में इंडिया फर्स्ट की बजाए मनी फर्स्ट है- दुर्भाग्य से किसी समीक्षक ने इस बिंदु पर विचार नहीं किया.ह्यूमर | 9-मिनट में पढ़ें
सिनेमा | 10-मिनट में पढ़ें

RRR VS The Kashmir Files: दो फ़िल्में और विदेशी उपनिवेश को लेकर 2 अलग-अलग खतरनाक नजरिये
आरआरआर (RRR) और द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) भारत में दो अलग-अलग तरह की विदेशी उपनिवेश की वजह से उपजी कहानियां हैं. मगर ऐसा क्या है कि आरआरआर की तारीफ़ होती है और द कश्मीर फाइल्स को प्रोपगेंडा फिल्म बता दिया जाता है. आइए समझते हैं.सिनेमा | 7-मिनट में पढ़ें

रूस हमारा दुश्मन नहीं, आतंक मजहबी ही है, सेंसर बोर्ड बताए कि क्या शाहरुख की फिल्म से नीति तय होगी?
पठान के ट्रेलर में तीन खतरनाक भारत विरोधी विचार हैं. कम से कम दो भारत और मानवताविरोधी विचार पर समूचे देश को आगे आना चाहिए और विरोध दर्ज करना चाहिए. कला के नाम पर मनमानी चीजों की अनुमति नहीं दी जा सकती.सिनेमा | 3-मिनट में पढ़ें
सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें
