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Updated: 22 सितम्बर, 2022 02:38 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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दुनिया के अमीरों की लिस्ट में टॉप थ्री में शामिल हो चुके गौतम अदानी लगातार सुर्खियों में छाए हुए हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते दिनों अमेरिकी बिजनेसमैन जेफ बेजोस को पछाड़ कर गौतम अदानी अमीरों की इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर पहुंच गए थे. वैसे, फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार अदानी फिलहाल तीसरे नंबर पर हैं. फोर्ब्स की मानें, तो अदानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदानी की कुल नेट वर्थ 153.5 बिलियन डॉलर है. हाल ही में गौतम अदानी ने अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी में होल्सिम (Holcim) के भारतीय कारोबार का अधिग्रहण कर लिया है. बताया जा रहा है कि हिस्सेदारी की इस खरीद की वजह से अदानी ग्रुप के कर्ज में 40,000 करोड़ का इजाफा हो सकता है.

वैसे, गौतम अदानी के इतनी तेज गति से आगे बढ़ने पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. कहा जा रहा है कि अदानी ग्रुप पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके बावजूद उनकी नेट वर्थ में उछाल दर्ज किया जा रहा है. जो असंभव सा प्रतीत होता है. दरअसल, अदानी ग्रुप का कर्ज पिछले पांच सालों में एक ट्रिलियन रुपये से बढ़कर 2.2 ट्रिलियन रुपये पहुंच गया है. बीते दिनों क्रेडिट सुइस और क्रेडिटसाइट्स ने गौतम अदानी के अदानी ग्रुप पर भारी-भरकम कर्ज लदने की बात कही थी. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि वो क्या वजह है, जो कर्ज के बावजूद गौतम अदानी की नेट वर्थ में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है? और, क्या अदानी ग्रुप पर इतना भारी कर्ज किसी चिंता की ओर इशारा करता है?

Gautam Adani Adani Group Debtफोर्ब्स की मानें, तो अदानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदानी की कुल नेट वर्थ 153.5 बिलियन डॉलर है.

अदानी ग्रुप के नेट वर्थ में तेजी की वजह क्या है?

अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर में इस साल बहुत ज्यादा तेजी दर्ज की गई है. अदानी ग्रुप की शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की बात की जाए, तो अदानी इंटरप्राइजेज, अदानी पोर्ट एंड सेज, अदानी पावर, अदानी ट्रांसमिशन, अदानी ग्रीन एनर्जी, अदानी टोटल गैस और अदानी विलमर लिमिटेड के शेयर भाव में लगातार तेजी दर्ज की गई है. कोरोना महामारी के दौरान जहां कई कंपनियों के शेयर भाव नीचे गिर रहे थे. वहीं, अदानी ग्रुप के शेयर्स में कई बार अपर सर्किट लग गया था.

शेयर मार्केट के जरिये कंपनियां बाजार से निवेशकों का पैसा उठाती हैं. और, उन्हें अपने हिसाब से कंपनी के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में निवेश करती हैं. और, गौतम अदानी की नेट वर्थ में बढ़ोत्तरी के पीछे शेयर मार्केट ही सबसे अहम हिस्सा है. उनकी कंपनियों के शेयर आसमान छू रहे हैं. अदानी ग्रुप में निवेशक आंख मूंदकर निवेश कर रहे हैं. जिसका उन्हें फायदा भी मिल रहा है. आज अगर अदानी ग्रुप की सभी कंपनियों का मार्केट कैप देखा जाए, तो ये करीब 20 ट्रिलियन रुपये से ज्यादा है.

क्रेडिटसाइट्स की रिपोर्ट के अनुसार, गौतम अदानी लीक से अलग हटकर नये, गैर-पारंपरिक और बहुत ज्यादा निवेश वाले कारोबारों में विस्तार कर रहे हैं. बीते कुछ सालों में गौतम अदानी ने बंदरगाहों, ग्रीन एनर्जी, पावर ट्रांसमिशन, थर्मल और रिन्यूएबल पावर जेनेरेशन, माइनिंग, स्टील, रियल इस्टेट, डाटा सेंटर्स, हेल्थकेयर, एफएमसीजी जैसे व्यापारों में विस्तार के साथ सीमेंट व्यवसाय के अधिग्रहण जैसे फैसले लिए हैं. 

अदानी ग्रुप के निवेशक भी हुए मालामाल

अदानी विल्मर का शेयर प्राइस 733.55 रुपये है. जो लिस्टिंग के बाद से निवेशकों को 92.53 फीसदी तक का फायदा दे चुका है. अदानी इंटरप्राइजेज का शेयर प्राइस जनवरी 2021 में करीब 500 रुपये था. वहीं, आज इसके शेयर की कीमत 3780.50 रुपये है. अगर किसी ने अदानी इंटरप्राइजेज में इसकी लिस्टिंग के समय निवेश किया होगा. तो, आज निवेशक को 3005.13 फीसदी का फायदा हो चुका है.

इसी तरह अदानी पोर्ट एंड सेज का शेयर भी अब दोगुनी कीमत पर पहुंच चुका है. अडानी पावर का शेयर अब तक अपने निवेशकों को 1189.82 फीसदी का फायदा पहुंचा चुका है. अदानी ट्रांसमिशन का भी हाल ऐसा ही है. इसके जरिये भी निवेशकों के पांच साल में 3,028.03 फीसदी का फायदा मिला है. वहीं, अदानी ग्रीन एनर्जी ने अपने निवेशकों को पांच साल में 7,845.67 फीसदी का फायदा दिया है. अदानी टोटल गैस ने भी पांच सालों में 903.19 फीसदी की बढ़त हासिल की है.

गौतम अदानी के अदानी ग्रुप में निवेश करके बहुत से निवेशक मालामाल हुए हैं. और, इन निवेशकों की वजह से ही अदानी ग्रुप के नेट वर्थ में तेजी दर्ज की गई है. वैसे, ये सब कुछ केवल निवेशकों के दम पर ही नहीं है. अदानी ग्रीन एनर्जी को रेवेन्यू भी साल दर साल बढ़ता रहा है. मार्च 2022 में इस कंपनी का रेवेन्यू 5127 करोड़ रुपये है. 2020 में ये रेवेन्यू 2548 करोड़ था. आसान शब्दों में कहें, तो दो सालों में ही कंपनी का रेवेन्यू दोगुने से ज्यादा बढ़ चुका है. यानी कंपनी को लाभ हो रहा है, नुकसान नहीं. 

क्या भारी-भरकम कर्ज चिंता की ओर इशारा करता है?

गौतम अदानी के नाम के साथ विवाद जुड़ते रहे हैं. खासतौर से बीते एक दशक में अदानी ग्रुप को लेकर तमाम तरह के दावे किए जाते रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तक दावा करते नजर आ चुके हैं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को दो कारोबारी घराने अदानी और अंबानी चला रहे हैं. खैर, ये आरोप सिर्फ आरोप मात्र ही हैं. वैसे, अदानी ग्रुप पर कर्ज बढ़ने का सबसे बड़ा कारण ये है कि गौतम अदानी ने व्यापारों में विस्तार के साथ अधिग्रहण जैसे कई फैसले लिए हैं.

वहीं, एल्युमिनियम और सीमेंट प्रोडक्शन, कॉपर रिफाइनिंग, पेट्रोकेमिकल्स जैसे व्यापारों में भारी-भरकम निवेश की जरूरत होती है. और, ये लंबे समय यानी करीब 5-6 साल बाद रिटर्न देना शुरू करते हैं. अदानी ग्रुप की ज्यादातर कंपनियों के विस्तार पर नजर डालें, तो उनका रुझान भारत में उन व्यवसायों की ओर है, जिनमें लोग हाथ डालने से कतराते हैं. 

लोगों की चिंता का विषय ये है कि अगर अदानी ग्रुप की कोई एक कंपनी भी दिवालिया होती है, तो उसे इस स्थिति से बाहर निकालना मुश्किल होगा. लेकिन, बीते सालों में अदानी ग्रुप की सातों कंपनियों के शेयर भाव लगातार बढ़े हैं. जिसका मतलब साफ है कि निवेशक अदानी ग्रुप द्वारा किए जा रहे निवेश पर भरोसा जता रहे हैं. मार्च 2022 में अदानी ग्रुप के पास 33,000 करोड़ रुपये की ऑपरेटिंग इनकम थी. और, उस पर 2.2 ट्रिलियन का कर्ज था. लेकिन, इस कर्ज के अलग-अलग हिस्सों पर नजर डाली जाए, तो स्थिति साफ हो जाती है.

क्रेडिटसाइट्स के अनुसार, 2.2 ट्रिलियन रुपये के कर्ज में से 35,000 करोड़ का कर्ज प्रमोटर्स की ओर से दिया गया है. 21,000 करोड़ रुपये का कर्ज शार्ट-टर्म लोन के तौर पर है. जो कंपनी को मिलने वाले भुगतान से जाता रहता है. अदानी ग्रुप के पास नकदी और इसी तरह की अन्य चीजें भी हैं, जो करीब 27,000 करोड़ रुपये की हैं. इस हिसाब से 2.2 ट्रिलियन रुपये का कर्ज 1.37 ट्रिलियन रुपये हो जाता है. इस कर्ज में बैकों का शेयर 40 फीसदी है. और, बैंकों के इस कर्ज में 8 फीसदी अंतरराष्ट्रीय बैंकों का कर्ज है. 11 फीसदी कर्ज का हिस्सा प्राइवेट सेक्टर से लिया गया है. और, 21 फीसदी पब्लिक सेक्टर से लिया गया है.

आसान शब्दों में कहें, तो अदानी ग्रुप पर लंबे समय तक रहने वाले कर्ज का हिस्सा 1.37 ट्रिलियन रुपये है. जो ज्यादा से ज्यादा 20 साल के लिए ही है. अदानी ग्रुप के व्यापार विस्तार को देखते हुए कहा जा सकता है कि उन्हें रिफाइनेंस की जरूरत शायद नहीं पड़ेगी. वैसे, कहा जा सकता है कि अदानी ग्रुप को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं का भी परोक्ष रूप से लाभ मिल रहा है. क्योंकि, अदानी ग्रुप का विस्तार ऐसे ही व्यवसायों में हो रहा है, जो देश को मजबूत करें. कुल-मिलाकर गौतम अदानी के अदानी ग्रुप पर चढ़ा कर्ज बहुत बड़ी चिंता का कारण नजर नहीं आता है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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