संस्कृति | 6-मिनट में पढ़ें

सांस्कृतिक राष्ट्रत्व में है अलगाव की समस्या का समाधान
हमारी उदारता, संवदेनशीलता, मानवता के साथ ही सहिष्णुता का मूल कारण हमारी सांस्कृतिक विरासत है. वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए और गौरवमयी भविष्य के लिए भारत और भारतीयता के हित में आज की राजनीति के केंद्र में सांस्कृतिक राष्ट्रत्व को लाने की आवश्यकता है.
सिनेमा | 5-मिनट में पढ़ें

कश्मीर में पठान का हाउसफुल होना तो राइट विंग के लिए भी अच्छी खबर है!
देश में जिस तरह शाहरूख खान की फिल्म पठान को हाथों हाथ लिया जा रहा है, उसका सीधा असर हमें कश्मीर में भी देखने को मिल रहा है. फिल्म ने 32 साल का रिकॉर्ड भले ही तोड़ा हो. लेकिन पठान की ये कामयाबी दक्षिणपंथियों को ज़रूर सुखद अनुभूति देगी और इस कथन के पीछे पर्याप्त कारण हैं.
समाज | 4-मिनट में पढ़ें

हमारे देश का राष्ट्रवाद पश्चिमी देशों से कितना अलग है?
Nationalism and Politics in India: भारत का राष्ट्रवाद दुनिया के दूसरे देशों के राष्ट्रवाद से अलग है. पश्चिम का राष्ट्रवाद बहुत नया है और यह राजनीति पर केंद्रित है. जबकि भारत का राष्ट्रवाद सनातन है और यह राजनीति पर नहीं, बल्कि संस्कृति केंद्रित है.
सियासत | 2-मिनट में पढ़ें
समाज | 2-मिनट में पढ़ें

हर घर की शान बनता तिरंगा तब ज़रूर इतराता जब हर शख़्स के पास अपना मकान होता
दो दिन पहले दिल्ली स्थित मयूर विहार फ़ेज़ 1 के चौक पर भी विशाल तिरंगा लगा है. आज ठीक वहीं फ़्लाई ओवर के नीचे सैकड़ों लोग न जाने कहां से अपना डेरा-डंडा लेकर आ पहुंचे हैं. बारिश के दिनों में जब कपड़े भी बाहर नहीं छोड़े जाते, उनके बिछौने सड़कों पर बिछ गये हैं. आंखों को ख़ुशी से कोई दुश्मनी है शायद.
सोशल मीडिया | 4-मिनट में पढ़ें

महिला को तिरंगे की आरती करता देख तमाम भाव मन में आएंगे, आपके मन में क्या आया?
तिरंगे की आरती के बाद वायरल हुए वीडियो को देखकर जो पहला विचार हमारे मन में आया वो 'वाह- अति सुन्दर' था.अब जबकि आप भी इस वीडियो को देख चुके हैं. हम इस बात को जरूर जानना चाहेंगे कि जब आपने तिरंगे की आरती होते देखी तो आपने क्या महसूस किया? क्या भविष्य में भी हमें ऐसे कृत्यों को दोहराना चाहिए?
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

ब्रो! हमारे जवान सियाचिन में खड़े हैं, क्या अब भी आप इस मजाक पर हंस पाएंगे?
मुझे इतना 100% पता है कि एक्सट्रीम सिचुएशन में खड़ा जवान रिस्पेक्ट का हक़दार बराबर है. सिर्फ इसलिए नहीं कि ऐसी सिचुएशन में सरवाइव कर रहा है, बल्कि इसलिए भी कि ऐसी सिचुएशन में, जीवित रहकर, चौकन्ना हो बॉर्डर्स को सिक्योर भी रख रहा है ताकि हम जीवित रह सकें. मुझे ऐसे किसी भी जोक पर हंसी नहीं आती जिसमें सियाचिन में खड़े जवानों का ज़िक्र होता है.
सिनेमा | 5-मिनट में पढ़ें

सिनेमाई तकनीक उत्तम पर 'अनेक' रचनात्मक काइयांपन है...
अनुभव सिन्हा ने 'अनेक' को यथार्थपरक बनाने के लिए इसकी रफ्तार के साथ समझौता किया है. इसका क्लाइमेक्स भी जटिल और उलझाऊ है, यहां निर्देशकीय दृष्टि अस्पष्ट है. बेशक ‘अनेक’ तकनीकी रूप से बेहतर है लेकिन यह फिल्म वंचित राज्यों की कहानी सामने लाने के नाम पर एक महीन तरीके से अलगाववाद को सही ठहराती है.
सिनेमा | 6-मिनट में पढ़ें
