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Updated: 29 जनवरी, 2023 05:13 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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सरकारी दावें लाख हों. कमेटियां बनें। आयोग गठित हो लेकिन तल्ख़ हकीकत यही है कि श्रीनगर में रहने वाला आम कश्मीरी अब भी भारत को 'India' समझता है और अपने को उससे अलग मानता है. उसे यही लगता है कि यहां उसका शोषण हो रहा है. उसके अधिकारों का दमन किया जा रहा है. इस बात में कोई शक नहीं है कि जैसा कश्मीरियों का भारत के प्रति रवैया है, उनके पास भारत के लिए बुराइयों की भरमार है. ऐसे कश्मीर में शाहरुख़ खान की फिल्म पठान ने कमाल कर दिया है और पिछले 32 सालों के सभी रिकार्ड्स तोड़ दिए हैं. बताया जा रहा है कि पठान की रिलीज के बाद कश्मीर घाटी के थिएटर्स के बाहर हाउसफुल के साइन बोर्ड लगने लगे हैं.

Pathaan, Shah Rukh Khan, Deepika Padukone, FIlm, Kashmir, Srinagar, Housefull, Bollywood, Right WIngersतमाम राज्यों की तरह शाहरुख़ की फिल्म पठान ने कश्मीर में भी इतिहास रच दिया है

वादी के सिनेमाघरों की तमाम तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हैं और लोगों का फिल्म को लेकर उत्साह देखने लायक है. दरअसल, शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' कश्मीर में भी बहुत पसंद की जा रही है. शाहरुख़ ने कोई चार साल के बाद पठान के जरिये कमबैक किया है और लोग फूले नहीं समां रहे हैं.

किंतु

अब जबकि पठान ने कश्मीर में इतिहास रच ही दिया. तो भले ही ये इंडस्ट्री और बॉलीवुड के लिहाज से एक अच्छी खबर हो. मगर तमाम प्रश्न हैं जो इस जानकारी के बाद खड़े हो रहे हैं. सवाल ये है कि वो तमाम कश्मीरी जो एक देश के रूप में भारत को अपने किसी दुश्मन की तरह देखते हैं. जिनका मानना है कि भारत अपनी गतिविधियों से लगातार आम कश्मीरी अधिकारों का हनन कर रहा है अगर वहां भारत में बनी एक फिल्म हिट हो रही है. उसके सभी शो हाउस फुल जा रहे हैं तो कहीं इसकी वजह पठान से जुड़ा विवाद तो नहीं है?

कहीं ऐसा तो नहीं कि भारत के और तमाम शहरों की तरह अगर फिल्म को कश्मीर में फैंस द्वारा हाथों हाथ लिया जा रहा है तो इसकी एकमात्र वजह शाहरुख़ का मुसलमान होना है.

ध्यान रहे शाहरुख़ खान की पठान को लेकर जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं. उनमें कहा यही जा रहा है कि, देश की एक बड़ी आबादी जहां इसका बहिष्कार कर रही है तो वहीं जब हम थियेटर्स का रुख करते हैं तो वहां अलग ही नज़ारे हमें दिखाई पड़ रहे हैं. मिलता यही है कि सिद्धार्थ आनंद निर्देशित इस फिल्म को देखने वालों में मुसलमानों कि संख्या ज्यादा है.

पठान के प्रति कश्मीरियों के प्यार को देखकर कह सकते हैं कि. शायद 32 सालों में आम कश्मीरी आवाम को अब जाकर इस बात का एहसास हुआ है कि, जब एक मुसलमान (शाहरुख़ खान) परेशानी में हो तो उसके साथ खड़े होना ही दूसरे मुसलमानों का कर्तव्य है.

आखिर क्यों खुश हो रहे होंगे दक्षिणपंथी

जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को बता चुके हैं कि सरकार लाख बड़ी बड़ी बाते कर ले. लेकिन जैसा भारत के प्रति किसी साधारण कश्मीरी का रवैया है वो उसे दुश्मन ही मानता है. इसके अलावा आम कश्मीरी आवाम की पाकिस्तान परस्ती भी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में जब हम एक फिल्म के रूप में पठान की बात करते हैं तो जैसी फिल्म पठान है. इसमें शाहरुख़ एक स्पाई के रोल में हैं. जो एक मिशन पर हैं और भारत के लिए कुछ भी कर सकते हैं. फिल्म के अंत में भी उन्हें जयहिंद का नारा लगाते हुए दिखाया गया है.

यानी इस फिल्म के जरिये कश्मीरी शाहरुख़ खान और उनकी एक्टिंग को तो एन्जॉय कर ही रहे हैं साथ ही उन्हें जय जय हिंद, भारत, भारतीय एजेंट उसके राष्ट्रवाद से भी कोई विशेष दिक्कत नहीं है. यानी कहा ये भी जा सकता है कि जो काम पीएम मोदी, अमित शाह और भाजपा इतने दिनों में नहीं कर पाए उस काम को बॉलीवुड में बादशाह की उपाधि पा चुके शाहरुख़ खान ने बड़ी ही आसानी के साथ कर लिया है.

पठान के प्रति जैसा कश्मीरियों का रुख है जिस तरह वहां हाउस फुल के बोर्ड लगे हैं ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं है कि सिर्फ एक फिल्म से शाहरुख़ खान ने देश की नीतियों से रुष्ट कश्मीरी को देश के बेहद करीब ला दिया है. पठान ने भाजपा और दक्षिणपंथियों का बरसों पुराना सपना साकार कर दिया है. कह सकते हैं कि कहीं पर किया हो या न किया हो पठान ने कश्मीर में तो जरूर ही ऐतिहसिक काम किया है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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