
लोकेन्द्र सिंह राजपूत
@lokendra777
लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रैवल ब्लॉगर हैं। वर्तमान में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में सहायक प्राध्यापक हैं।
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सियासत | 12-मिनट में पढ़ें

बाबा साहेब के व्यक्तित्व में दिखता है बचपन में मिले धार्मिक संस्कारों का प्रभाव
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का बचपन अत्यंत संस्कारी एवं धार्मिक वातावरण में बीता. उनके परिवार के तीन सदस्यों ने संन्यास आश्रम को चुना.पिताजी ने कालान्तर में कबीरपंथ की दीक्षा ली. उनके घर में रामायण, पाण्डव प्रताप, ज्ञानेश्वरी एवं संत साहित्य का नित्य पाठ होता था.संस्कृति | 6-मिनट में पढ़ें

सांस्कृतिक राष्ट्रत्व में है अलगाव की समस्या का समाधान
हमारी उदारता, संवदेनशीलता, मानवता के साथ ही सहिष्णुता का मूल कारण हमारी सांस्कृतिक विरासत है. वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए और गौरवमयी भविष्य के लिए भारत और भारतीयता के हित में आज की राजनीति के केंद्र में सांस्कृतिक राष्ट्रत्व को लाने की आवश्यकता है.समाज | 4-मिनट में पढ़ें

‘धर्मवीर’ छत्रपति शंभू राजे के शौर्य और बलिदान की कहानी सुनाता उनका समाधि स्थल
हिन्दवी स्वराज्य के विस्तार और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहा है. चैत्र अमावस्या, विक्रम सं. 1743 तद्नुसार 11 मार्च 1686 को औरंगजेब ने नृशंसता से उनकी हत्या की दी थी, तिथिनुसार इस वर्ष 21 मार्च को उनका बलिदान दिवस है.सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

‘स्व’ के आधार पर छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्थापित किया ‘हिन्दवी स्वराज्य’!
राज्य संचालन के अन्य क्षेत्रों में भी शिवाजी महाराज ने ‘स्व’ की भावना के आधार पर व्यवस्थाएं बनायीं. स्वराज्य की अपनी मुद्रा होनी चाहिए इसलिए महाराज ने मुगलों द्वारा चलाई गई मुद्रा बंद करके सोने और तांबे के नये सिक्के जारी किए थे. शिवाजी ने बड़े आर्थिक व्यवहार के लिए स्वर्ण मुद्रा बनवायी, जिसे ‘होन’ नाम दिया गया. जबकि सामान्य आर्थिक व्यवहार के लिए तांबे की मुद्रा बनवायी गई, इस ताम्र मुद्रा को ‘शिवराई’ कहा गया.समाज | 4-मिनट में पढ़ें
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
संस्कृति | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | 4-मिनट में पढ़ें

हमारे देश का राष्ट्रवाद पश्चिमी देशों से कितना अलग है?
Nationalism and Politics in India: भारत का राष्ट्रवाद दुनिया के दूसरे देशों के राष्ट्रवाद से अलग है. पश्चिम का राष्ट्रवाद बहुत नया है और यह राजनीति पर केंद्रित है. जबकि भारत का राष्ट्रवाद सनातन है और यह राजनीति पर नहीं, बल्कि संस्कृति केंद्रित है.सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
समाज | 6-मिनट में पढ़ें
समाज | 4-मिनट में पढ़ें

हंगामाखेज नहीं, समाधानमूलक हो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
The Fourth Pillar of Democracy: संचार का उद्देश्य समस्याओं का समाधान देना रहा है. संचार क्षेत्र के अधिष्ठाता देवर्षि नारद की संचार प्रक्रिया एवं सिद्धांतों को जब हम शोध की दृष्टि से देखते हैं तब भी हमें यही ध्यान आता है कि उनका कोई भी संवाद सिर्फ कलह पैदा करने के लिए नहीं था.सिनेमा | 8-मिनट में पढ़ें