
अणु शक्ति सिंह
anushakti19.singh
लेखिका समसामयिक मुद्दों पर लिखती हैं और शर्मिष्ठा की ऑथर हैं
समाज | 4-मिनट में पढ़ें

गंगा विलास रिवर क्रूज़ अति धनाढ्य वर्ग को ख़ुश करने की कोशिशें भर नहीं हैं?
समुद्र विशाल होता है. इतना विशाल कि गंगा जैसी सैकड़ों नदियां उदरस्थ कर लेता है और आह भी नहीं भरता. केवल 270 क्रूज़ शिप के बाद उस समंदर के हालात ऐसे हैं तो गंगा की दशा क्या होगी? जनवरी 2021 में उत्तर प्रदेश का जल बोर्ड गंगा के पानी को पीने योग्य जल की सूची से बाहर कर चुका है. गंगा का प्रदूषण इतनी बड़ी समस्या बन चुकी है कि अलग से नमामी गंगे विभाग का गठन किया गया है.सिनेमा | 1-मिनट में पढ़ें

दीपिका पादुकोण समझें कि नोरा बनना उनके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है!
दीपिका बिकिनी में बहुत ख़ूबसूरत लगती हैं. कॉकटेल और हालिया फ़िल्म गहराईयां में वे बड़ी अच्छी लगी हैं पर यहां नोरा फतेही के डांस मूव्स कॉपी करती हुई तनिक अटपटी लग रही हैं. नोरा बेहतरीन डांसर हैं और दीपिका अच्छी अभिनेत्री हैं पर डांस के मसले में वे नोरा के सामने कहीं नहीं टिकतीं.समाज | 2-मिनट में पढ़ें

औरतों की ग़ायब इच्छाओं के दौर में तमाम चीजें कचोटती हैं, जबरन निर्जला रहना भी...
तीज का त्योहार उस पर महिलाओं को व्रत रखते देखकर ख्याल आया कि, आस्था अपनी इच्छा पर रखी जाने वाली चीज है. पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की इच्छा गाहे-बगाहे गौण हो जाती है. कैसे मान लूं कि यह केवल आस्था की ही बात है? डर या ज़ोर-ज़बरदस्ती की नहीं?सोशल मीडिया | 3-मिनट में पढ़ें

Alia की IIT जाने की इच्छा क्रिएटिव लोगों का मन तो खट्टा कर ही देती है!
आलिया की आईआईटी जाने की इच्छा को देखकर जो ख्याल आता है, वो ये कि कलाकार ही यूं मारे-मारे आईआईटी जाएंगे तो आम जनता का क्या होगा? वह तो वैसी ही महत्वाकांक्षा की मारी हुई है.आईआईटी पर ऐसा स्टेटमेंट लिखना कहीं न कहीं उसी घुटन को ग्लोरीफ़ाय करना है.समाज | 2-मिनट में पढ़ें

हर घर की शान बनता तिरंगा तब ज़रूर इतराता जब हर शख़्स के पास अपना मकान होता
दो दिन पहले दिल्ली स्थित मयूर विहार फ़ेज़ 1 के चौक पर भी विशाल तिरंगा लगा है. आज ठीक वहीं फ़्लाई ओवर के नीचे सैकड़ों लोग न जाने कहां से अपना डेरा-डंडा लेकर आ पहुंचे हैं. बारिश के दिनों में जब कपड़े भी बाहर नहीं छोड़े जाते, उनके बिछौने सड़कों पर बिछ गये हैं. आंखों को ख़ुशी से कोई दुश्मनी है शायद.समाज | 3-मिनट में पढ़ें

ऑर्गेज़म की बात तो औरतों के लिए नर्क का दरवाजा ही खोल देगी... तौबा, तौबा!
पुरुषों की तरह महिलाओं के लिए भी ऑर्गेज़म (orgasm) जरूरी है. सेक्सुअली ऐक्टिव लोगों के लिए सेक्स की चाह पद, क्लास, पढ़ाई, उम्र, पैसा, ज़मीन, जगह और देश नहीं देखती है. हां, इसकी बात करने से नैतिकता के सवाल खड़े हो जाते हैं. औरतों के लिए नर्क का द्वार खोल दिया जाता है.सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

'पढ़ी-लिखी' स्त्रियों की कूढ़मगजी आखिर क्यों पितृसत्ता से भी ज्यादा घातक है
कोई बाल-बच्चेदार वयस्क किसी अन्य स्त्री के साथ रहना चुन रहा है तो यह उस व्यक्ति की अपनी बात हुई ना. दो लोगों के सम्बंध में कभी भी और कैसे भी कोई तीसरा आता है तो समस्या उस तीसरे में नहीं होती, यह पहले और दूसरे व्यक्ति के बीच का कमज़ोर रिश्ता होता है.सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

हिपोक्रेसी भारतीय समाज की पहचान है, यहां प्यार जैसी छिपी चीज़ें सात्विक हैं!
प्रेम कई बार बेहद निजी भाव होता है. इसे हम किसी और पर लाद नहीं सकते… यहां असहमति की बड़ी और विस्तृत जगह होनी चाहिए. Polyamory के संदर्भ में एक ज़रूरी बात यह है कि इसमें सभी पार्ट्नर को दूसरे की उपस्थिति का भान होता है. यानी कोई भी दबा छिपा पक्ष नहीं. सबके पास पूरी जानकारी हो.सोशल मीडिया | 2-मिनट में पढ़ें

Aamir Khan Kiran Rao divorce मामले में लोगों को निष्कर्षवादी बनने की इतनी जल्दबाजी क्यों है?
आमिर-किरण के मामले में किरण के ऊपर तोहमत लगाते लोगों को देखकर अचंभित हो रही हूं. बार-बार पढ़ रही हूं कि किरण को उसके कर्मों का फल मिला है. ग़ज़ब निष्कर्षवादी दुनिया है. कुछ आगे-पीछे नहीं देखना है, सीधे तौर पर स्त्री को दोष दे देना है.समाज | 2-मिनट में पढ़ें