समाज | 4-मिनट में पढ़ें
क्यों समाज महिलाओं को हर समय बेहद खास बनाने पर तुला है?
समाज आज यह बताने में व्यस्त है कि महिलाएं बहुत ख़ास हैं और हमारी लड़ाई ही इसी बात की है कि हमें ख़ास नहीं बनना, सामान्य बनना है. इतना सामान्य कि हम कुछ हासिल कर लें तो मोटिवेशन के नाम पर तालियां न पीटी जाएं. इतना सामान्य कि आप हमारे लिये कुछ करके यह न गाते फिरें कि हमने अपनी बेटी के लिये ऐसा किया. इतना सामान्य कि हम अपने निर्णयों को आख़िरी मानना सीख लें और समाज का मुंह न ताकें जो हमें ट्युटोरियल दे.
सोशल मीडिया | 5-मिनट में पढ़ें
स्पोर्ट्स | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
महिला क्रिकेटर्स को पुरुष खिलाड़ियों के बराबर मैच फीस देना, एक नए युग की शुरुआत करना है
बीसीसीआई (BCCI) के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब महिला क्रिकेटर्स (Cricketers) को पुरुष खिलाड़ियों के समान ही मैच की सैलरी दी जाएगी. वरना यह बात सभी को पता है कि महिला खिलाड़ियों को वह स्टारडम कभी नहीं मिला जो पुरुष खिलाड़ियों को मिलता है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें
स्कूलों में सर्वधर्म समभाव के लिए 'कलमा' पढ़ाए जाने की क्या जरूरत है?
कानपुर के एक स्कूल (Kanpur School) में प्रार्थना में कलमा (Kalma) पढ़वाए जाने का विरोध अभिभावकों और हिंदू संगठनों ने किया. जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने राष्ट्रगान (National Anthem) करवाने की बात कही है. लेकिन, कई मुस्लिम नेता, इस्लामिक संगठन और उलमा तो राष्ट्रगान को भी इस्लाम-विरोधी बताते हैं. उनका क्या करेंगे?
समाज | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें
रणवीर सिंह की नंगी तस्वीरों पर वाहवाही करने वाले, किसी अभिनेत्री को इस रूप में देख क्या कहेंगे?
रणवीर सिंह की तरह अगर यही फोटोशूट बॉलीवुड या साउथ की किसी अभिनेत्री ने कराई होती तो? क्या तब भी लोगों के मुंह से उसकी तारीफ में फूल झड़ते? जिन्हें ब्रा की पट्टी और क्लीवेज से दिक्कत हो जाती है, हम उनके लिए बोल रहे हैं...
समाज | एक अलग नज़रिया | 6-मिनट में पढ़ें
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सोशल मीडिया | 6-मिनट में पढ़ें
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