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स्कूलों में सर्वधर्म समभाव के लिए 'कलमा' पढ़ाए जाने की क्या जरूरत है?
कानपुर के एक स्कूल (Kanpur School) में प्रार्थना में कलमा (Kalma) पढ़वाए जाने का विरोध अभिभावकों और हिंदू संगठनों ने किया. जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने राष्ट्रगान (National Anthem) करवाने की बात कही है. लेकिन, कई मुस्लिम नेता, इस्लामिक संगठन और उलमा तो राष्ट्रगान को भी इस्लाम-विरोधी बताते हैं. उनका क्या करेंगे?
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उत्तर प्रदेश के कानपुर के एक स्कूल में प्रार्थना के दौरान छात्रों को कलमा पढ़ाने का मामला सामने आया है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, अभिभावकों और हिंदू संगठनों ने प्रार्थना के दौरान 'कलमा' पढ़ाए जाने पर विरोध जताया. इस मामले में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है. बताया जा रहा है कि विरोध और हंगामे के बाद शासन-प्रशासन ने हस्तक्षेप किया. जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने प्रार्थना में कलमा नही पढ़ाए जाने की बात कही है. इस विवाद पर स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि 'हम पिछले 12 सालों से सभी धर्मों की प्रार्थनाएं कराते आ रहे हैं. अभिभावकों ने आपत्ति जताई, तो हमने एक्शन लेते हुए चारों प्रार्थनाएं बंद कराकर राष्ट्रगान शुरू करवा दिया है. लेकिन, ऐसा कोई नियम नही है कि कोई आपत्ति जताकर प्रार्थना बंद करवा दे.'
In UP's Kanpur, parents objected to recitation of Islamic prayer during morning prayer at a school. Pincipal says prayers from all religions- Hinduism, Islam, Sikhism & Christianity are recited. After objection to Islamic prayers, now only national anthem will be sung. pic.twitter.com/ut2soslNpa
— Piyush Rai (@Benarasiyaa) August 1, 2022
वैसे, इस मामले के सामने आने के बाद कहा जा रहा है कि सांप्रदायिकता की आग में झुलसते हुए ये हम कहां आ गए हैं, जो स्कूलों में होने वाली सर्वधर्म समभाव की प्रार्थना पर भी आपत्ति जताई जाने लगी है. लेकिन, अहम सवाल ये है कि स्कूलों में सर्वधर्म समभाव के लिए 'कलमा' पढ़ाए जाने की जरूरत ही क्या है?
ये वही भारत है, जहां...
- ये वही भारत है. जहां पश्चिम बंगाल के एक स्कूल में शिक्षिका को मजहबी उन्मादियों की एक भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमा दिया जाता है. क्योंकि, उस शिक्षिका ने एक मुस्लिम छात्रा को स्कूल में हिजाब पहनकर आने पर डांट लगा दी थी.
- ये वही भारत है. जहां झारखंड और बिहार के मुस्लिम बहुल इलाकों में सरकारी स्कूलों की छुट्टी रविवार की जगह शुक्रवार यानी जुमा को करवाई जाती है. क्योंकि, इन इलाकों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है. और, पढ़ने आने वाले बच्चों में ज्यादा संख्या मुस्लिम छात्रों की है.
- ये वही भारत है. जहां 'सिर तन से जुदा' का नारा लगाकर लोगों का गला रेत दिया जाता है. वो भी केवल अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए. इतना ही नहीं, लोगों की गिरफ्तारी के बावजूद इस तरह की धमकियों में कोई कमी महसूस नहीं की जाती है.
- ये वही भारत है. जहां तमिलनाडु के एक गांव में मुस्लिम आबादी ज्यादा हो जाने पर कहती है कि हिंदुओं को रथयात्रा सड़कों पर नहीं निकालनी चाहिए. क्योंकि, इस्लाम में यह 'शिर्क' है.
- ये वही भारत है. जहां ऐसे सैकड़ों-हजारों मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन, सियासी दल अपने वोटबैंक को साधने के लिए इस पर एक शब्द बोलने से कतराते हैं. बुद्धिजीवी वर्ग का स्वघोषित धर्मनिरपेक्ष हिस्सा कांवड़ यात्राओं पर सवाल खड़े करता है. लेकिन, मुहर्रम के जुलूसों पर सर्वधर्म समभाव की बात करता है.
सर्वधर्म समभाव के नाम पर बच्चों के दिमाग में स्कूल स्तर से ही धर्म को घुसाने की क्या जरूरत है? (सांकेतिक तस्वीर)
सर्वधर्म समभाव से कहीं बड़ा है व्यापार
फ्लोरेट्स इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि 'हमारे यहां हर धर्म के बच्चे आते हैं. लेकिन, कभी किसी मुस्लिम बच्चे के अभिभावकों ने आपत्ति नहीं जताई कि उनके बच्चों को श्लोक क्यों पढ़ाए जाते हैं?' खैर, प्रिंसिपल साहिबा अपनी जगह बिलकुल दुरुस्त हैं. लेकिन, विवाद के बाद स्कूल प्रबंधन की ओर से राष्ट्रगान का फैसला क्यों लिया गया है? इसके बारे में वह जानकारी नही दे पाईं. जबकि, इसका जवाब सीधा सा है कि देश सभी धर्मों, जाति, पंथ, संप्रदाय से कही बड़ा होता है. वैसे, अगर स्कूल प्रबंधन बच्चों को धर्मनिरपेक्ष बनाने की सोच रखता, तो वह राष्ट्रगान को ही प्रार्थना के तौर पर 12 साल से करा रहा होता. लेकिन, शिक्षा के व्यापार में जहां हर धर्म के बच्चे आते हों. वहां इस तरह से सर्वधर्म समभाव स्थापित करने की कोशिश किया जाना कोई चौंकाने वाली बात नही है. वैसे, मुस्लिम धर्म में तो राष्ट्रगान पर भी आपत्ति जताने वाले नेताओं से लेकर मौलाना मिल जाते हैं.
कौन सा सर्वधर्म समभाव खोज रहे हैं लोग?
सर्वधर्म समभाव कभी भी एकतरफा नही हो सकता है. इस बात में कोई दो राय नही है कि मुस्लिम समाज में एक बड़ा हिस्सा है. जो खुद को प्रगतिवादी और मॉडरेट यानी नरम विचारों वाला मानता है. लेकिन, कश्मीरी पंडितों के पलायन के समय मुस्लिम समाज के इन प्रगतिशील और मॉडरेट विचारों वाले मुस्लिमों को भी इस्लामिक आतंकियों ने खोज-खोज कर अपना निशाना बनाया था. ऐसे विचारों वाले मुस्लिमों को आज भी भारत में निशाना बनाया जाता है. एक दिन पहले ही इंडियन आइडल फेम फरमानी नाज के 'हर हर शंभू' गाना गाने पर विवाद खड़ा हो गया है.
कई मुस्लिम संगठनों इसे 'इस्लाम के खिलाफ' बताया है. दरअसल, इस्लाम में एक ऐसा वर्ग है, जो अल्लाह के सिवा किसी और भगवान को नहीं मानता है. और, ये इस्लाम का आधारभूत नियम है. तो, आज नही तो कल सर्वधर्म समभाव पर इस्लाम भारी हो ही जाएगा. तो, जरूरी यही है कि सर्वधर्म समभाव की जगह राष्ट्रगान को बढ़ावा दें. ताकि, इस देश के लोगों को धर्म नहीं बल्कि राष्ट्र के नाम पर एक होने और सहिष्णुता अपनाने के लिए तैयार किया जाए.