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Updated: 09 अप्रिल, 2019 07:16 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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एक पाकिस्तानी जोड़े ने इंटरनेट की दुनिया में तहलका मचा रखा है. जिस देश में शरिया कानून को तवज्जो दी जाती है वहां एक शौहर हिजाब में दिखाई दे रहा है. ये जोड़ा ‘TheMewlyWeds’ नाम से सोशल मीडिया अकाउंट चलाता है. और दोनों का मकसद है जेंडर ईक्वैलिटी की अहमियत लोगों को समझाना. इनका मोटो है बेहतर समाज बनाने के लिए रिश्तों को बेहतर करना.

इन्होंने हाल ही में दो तस्वीरों के साथ एक तंज करती हुई पोस्ट लिखी है जिसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस हो रही है. तस्वीर एक रेस्त्रां की है जहां ये जोड़ा खाना खाने के लिए गया था. लेकिन खास इसलिए है क्योंकि इसमें पति ने हिजाब पहना हुआ है, पत्नी ने नहीं.

pakistani coupleये तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो गई है

इस पोस्ट को पढ़ना बेहद जरूरी है, क्योंकि ये मजाक नहीं मुस्लिम महिलाओं का सच है-

'ये मेरा सुंदर पति है. बेशक, आप देख नहीं सकते कि वो कितना सुंदर है क्योंकि मैं ये ध्यान रखती हूं कि वो हमेशा अपनी सुंदरता को छिपाए रखे क्योंकि मैं ही इसकी अकेली हकदार हूं. वो जो कुछ भी है, उसकी सारी उपलब्धियां, उसके सपने, उसकी सारी जिंदगी सिर्फ मेरे लिए ही है. किसी भी ना-मेहरम की नज़र उसपर हराम है, इसलिए मैं चाहती हूं कि वो घर पर ही रहे क्योंकि ये दुनिया बहुत खराब है.

हां, जब वह मेरे साथ बाहर जाता है तो ठीक है. मैं कल रात उसे डिनर पर लेकर गई. हम वहां सिर्फ इसलिए जाते हैं क्योंकि वो स्टेरॉयड फ्री चिकन का इस्तेमाल करते हैं. और हम स्वास्थ्य के प्रति बहुत सचेत हैं. खासकर जब से ये पता चला है कि ग्रोथ हार्मोन इंजेक्शन लगाया हुआ चिकन फर्टिलिटी पर भी असर डालता है. मैं नहीं चाहती कि उसकी प्रजनन क्षमता पर कोई भी असर पड़े. क्योंकि उसके होने का एक मात्र मकसद तो मुझे बच्चा देना और मुझे मां बनाना ही तो है. इसलिए चाहे कुछ भी हो, मैं उसे केवल यहां खाने के लिए ही लाती हूं.

मुझे बहुत अच्छा लगता है जिस तरह वो बाहर जाते वक्त खुद को छिपाकर चलता है. क्योंकि वो तो खुली तिजोरी है और मैं नहीं चाहती कि कोई उसके साथ छेड़छाड़ करे. फिर भी अगर कोई छेड़छाड़ करता है तो हम उसे क़िस्मा मानेंगे और उम्मीद करेंगे कि ऐसा करने वाले को अल्लाह सजा दें.

pakistani coupleएक तंज के जरिए समाज का आईना दिखाने की कोशिश की गई

वहीं दूसरी ओर, मैं कहीं भी कभी भी अपने हिसाब से घूम सकती हूं, अपने अंतर्वस्त्रों में, अपने टैंक टॉप्स में, अपने स्पेगेटी स्ट्रैप टॉप या शर्टलेस भी, क्योंकि मैं एक महिला हूं. एक महिला होने के नाते मैं अच्छी तरह जानती हूं कि महिलाएं कितनी भयानक हो सकती हैं. लेकिन मुझे दूसरी महिलाओं का डर नहीं है. वो मेरे साथ मारपीट नहीं करेंगी. और अगर करती हैं तो मैं इसके बारे में बात नहीं करूंगी क्योंकि यह मुझे पूरी दुनिया के सामने कमजोर साबित करेगा. और आप तो जानते ही हैं कि एक महिला को कमजोर नहीं माना जाता, हम मजबूत और माचो बनने के लिए ही बने हैं.

इसके अलावा, मैं उसे बाहर काम पर भी जाने देती हूं, ड्राइव भी करने देती हूं. क्योंकि मैं समानता को बहुत मानती हूं. हालांकि, ना-मेहरमों (जिनसे खून का रिश्ता न हो) को देखना और उनके साथ किसी भी तरह से बातचीत करने की सख्त मनाही है. ये मेरा कर्तव्य है कि ये सब प्रथाएं चलती रहें क्योंकि एक पाक पति ही मेरे जन्नत की चाबी है. वरना मैं इस जिंदगी के बाद 70 हूरों के साथ साथ कैसे सोऊंगी?

हां, फ़ोटोग्राफ़ी जैसी चीजें भी हराम हैं लेकिन हमें यह सब करना पड़ा क्योंकि हम आप सब को कुछ सिखाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे आपको कब्र के सांपों और जहन्नुम की आग से बचा सकें.

मेरा मेडल कहाँ है?'

जाहिर तौर पर ये एक बेहतरीन तंज था जो जेंडर रोल बदलकर इन दोनों पति-पत्नी ने पितृसत्ता पर मारा था. इन्होंने लोगों को इसी रूप में आईना दिखाने की कोशिश की थी. कि समाज किस तरह के रूढ़ीवादी नियम महिलाओं पर थोपता है. लेकिन इस समाज को समझाना इतना भी आसान नहीं है. और इस रास्ते से तो शायद बिलकुल नहीं.

लोग इस पोस्ट में छिपे मजाक और इसके मकसद को समझे बगैर इस महिला के पीछे पड़ गए. लोग जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं, उन्होंने इस महिला को खूब खरी खोटी सुनाई, उनका कहना था कि वो अपने धर्म और प्रथाओं का मजाक उड़ा रही है. उसने लोगों की धर्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है.

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हालांकि महिला का कहना था कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने में और समाज की सोच, पितृसत्तात्मक प्रथाओं को सही ठहराने के लिए किस तरह धर्म का दुरुपयोग किया गया है उसे दुनिया के सामने लाने में फर्क है.

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हालांकि कुछ महिलाओं को ये भी कहना था कि जो महिलाएं नकाब और हिजाब को अपनी मर्जी से पहनती हैं उनके लिए ये सब बहुत खराब है और दिल दुखाने वाला है.

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बहुत से लोगों ने इस तंज को समझा और लोगों को भी समझाया कि इसके जरिए महिलाओं के साथ हो रहे व्यवहार को सामने लाया गया है. और कोशिश की जा रही है कि पुरुष भी समझें कि अगर उनके साथ ऐसा किया जाए तो उन्हें अहसास होगा कि महिलाओं के साथ किस तरह की नाइंसाफी की जाती है. हालांकि इस जोड़े को ट्रोल के साथ-साथ बहुत सराहन भी मिली है कि इन्होंने पाकिस्तान जैसी जगह पर ऐसी बात कहने की हिम्मत की है.

हालांकि पाकिस्तान हो या भारत फर्क क्या पड़ता है. इस्लाम के नाम पर महिलाओं के लिए जो कायदे कानून बनाए गए हैं वो हर जगह एक ही जैसे हैं. कोई उन्हें तोड़ना नहीं चाहता बल्कि अल्लाह की मर्जी कहते हुए उन्हें इसी तरह निभाया जाता है. हैरानी तो तब होती है जब महिलाएं खुद बदलाव पर ऐतराज करती हैं. जो खुद को दुनिया से छिपाकर रखने को धर्म से जोड़ती हैं और अपना अधिकार मानती हैं. और यहां बात सिर्फ इस्लाम की नहीं है. हर धर्म में ऐसा ही है. हिंदू धर्म में भी तो पर्दा होता है. लेकिन उसे भी धर्म और संस्कृति के नाम पर थोपा जाता है. लेकिन पर्दा या हिजाब को कोई रूढ़िवादी सोच कहे तो उसे धर्म के खिलाफ कहकर मामले का रुख ही बदल दिया जाता है. बराबरी के लिए लड़ने वाले कम हैं, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती तो खुद महिलाएं ही हैं जो कभी सबरीमाला मंदिर में 'ready to wait' का बैनर उठाए होती हैं तो कभी खतीजा रहमान की तरह हिजाब को अपना निजी फैसला बताने वाली.

ऐसे में इस शख्स की तारीफ करना बनता है जो अपनी पत्नी का साथ समानता की लड़ाई लड़ने के लिए दे रहा है. हिजाब भी पहना और लोगों के ताने भी सुने. लेकिन वो ये जानता है कि महिलाओं की स्थिति को सुधारना है तो पुरुषों को महिलाओं का साथ देना ही होगा. तभी समाज में समानता की लड़ाई जीती जा सकती है.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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