सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

'सेक्युलरवाद' के जरिए राजनीतिक पार्टियों का फायदा तो है!
भारतीय सेक्युलरवाद दैवी बनाम सांसारिक न हो कर सर्वधर्मसमभाव का है. यह बहुलता के प्रति सहनशीलता और राज करने के नियमित सिद्धांत के रूप में मान्यता देने का है. पर भारतीय और पश्चिमी सेक्युलरवाद में फर्क करने का मतलब यह नहीं है कि हम राज्य की सेक्युलर पहचान पर ही सवाल उठाना शुरू कर दें.
संस्कृति | 5-मिनट में पढ़ें
समाज | बड़ा आर्टिकल

जानिए राजनीतिक और सांस्कृतिक स्वाधीनता संघर्ष में गोरक्षपीठ का योगदान
इतिहास साक्षी है कि सनातन आस्था के महान केंद्र श्री गोरक्षपीठ के योगी राष्ट्र-रक्षा हेतु स्वयं सहभागी बन सुप्त समाज के राष्ट्रीय बोध को जागृत करने का युगान्तरकारी कार्य शताब्दियों से कर रहे हैं. मध्ययुगीन पराधीनता से लेकर आधुनिक युग की ब्रितानी गुलामी तक, प्रत्येक स्वाधीनता के स्वर में 'नाथ पंथ' की हुंकार सुनने को मिलती है.
समाज | 3-मिनट में पढ़ें

भारतीय इतिहास लेखन में अत्याधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता!
समय है इतिहास और पुरातत्व क्षेत्र से जुड़े पाठ्यक्रमों में उच्च कोटि के व्यवहारिक और अत्याधुनिक वैज्ञानिक तत्वों के समावेश से इनमें नयापन लाया जाए ताकि बदलते परिदृश्य में भारतीय इतिहास अध्ययन व शोध बदलते भारत की सोच का प्रतिनिधित्व करे.
सिनेमा | बड़ा आर्टिकल

नानेरा के जरिये राजस्थानी सिनेमा को नजर का टीका लग चुका है...
फिप्रेसी की इस साल 2023 की लिस्ट में ‘नानेरा’ ने ‘कांतारा’, ‘आरआरआर’ जैसी चर्चित फिल्मों को पीछे छोड़ एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. नानेरा जिस तरह की फिल्म है माना जा रहा है कि इसके जरिये लोगों को राजस्थानी संस्कृति को और करीब से समझने का मौका मिलेगा.
संस्कृति | 3-मिनट में पढ़ें

नवाब मीर जाफर की मौत ने तोड़ा लखनऊ का आईना...
मीर जाफर अब्दुल्ला की मौत से पूरा लखनऊ सूना हो गया है. मीर जाफर अब्दुल्ला सिर्फ एक नाम नहीं था ये एक तहज़ीब थे,तहरीक थे, एक तारीख़ थे. वो लखनऊ के नवाबों की सांस्कृतिक विरासत संजोने वाले नवाबीन दौर के नुमाइंदे ही नहीं थे बहुत कुछ थे. वो शहर-ए-लखनऊ की पहचान थे. इतिहासकार, किस्सागो, रंगकर्मी और फिल्म कलाकार भी थे.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
संस्कृति | 6-मिनट में पढ़ें

सांस्कृतिक राष्ट्रत्व में है अलगाव की समस्या का समाधान
हमारी उदारता, संवदेनशीलता, मानवता के साथ ही सहिष्णुता का मूल कारण हमारी सांस्कृतिक विरासत है. वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए और गौरवमयी भविष्य के लिए भारत और भारतीयता के हित में आज की राजनीति के केंद्र में सांस्कृतिक राष्ट्रत्व को लाने की आवश्यकता है.
संस्कृति | 3-मिनट में पढ़ें
