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समाज
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तो क्या अब ये मान लिया जाए जनसंख्या विस्फोट के मुहाने पर खड़ा हो गया है भारत?
आज जैसे हालात हैं न सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण करने वालों को प्रोत्साहन देने की जरुरत है, बल्कि जो इसके विपरीत व्यवहार करे उसे दण्डित करने की भी जरुरत है. आखिर इस प्रकृति पर पेड़ पौधों, जानवरों और पक्षियों का भी उतना ही हक़ है जितना हम इंसानों का.
संस्कृति
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5-मिनट में पढ़ें
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अंबुबाची मेला : आस्था और भक्ति का मनोरम संगम!
अंबुबाची जैसे मेले न सिर्फ लोगों को श्रद्धा से भर देते हैं बल्कि इनसे कुछ दुकानदारों की आजीविका भी चल जाती है. और अपनी लोक संस्कृति को बचाकर रखने के लिए ऐसे स्थानीय पर्व, जो अब ग्लोबल होते जा रहे हैं, बहुत आवश्यक हैं.
समाज
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परीक्षा ज़िंदगी भर चलेगी, बस हारना नहीं है...
सीबीएसई समेत तमाम बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट आ रहे हैं. जिन्हें लेकर बच्चों के माता पिता खासे उत्साहित हैं. अब इसे उत्साह कहें या कुछ और वो सोशल मीडिया पर ऐसा बहुत कुछ कर दे रहे हैं जो खटकने वाला है.
स्पोर्ट्स
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विश्व क्रिकेट सनथ जयसूर्या के इस योगदान को कभी नहीं भूल सकता!
हिंदुस्तान में क्रिकेट किसी धर्म की तरह है. यह खेल खेलने वाले खिलाड़ी कई बार लोगों के लिए भगवान जैसे बन जाते हैं. इस खेल को कभी भद्रजनों का खेल कहा जाता था, जिसकी शुरूआत इंग्लैंड से हुई थी. लेकिन श्रीलंका के एक महान खिलाड़ी सनथ जयसूर्या का अहम योगदान आज भी पूरी दुनिया को याद है.
समाज
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झाबुआ विकास करे लेकिन इस बात का भी ख्याल रखे कि उसका मूल स्वरुप न प्रभावित हो!
मध्य प्रदेश का झाबुआ विकास कर रहा है ये बहुत अच्छी बात है लेकिन हम इतना जरूर कहेंगे कि प्रयास ऐसे हों कि शहर अपना स्वरुप बरकरार रखे. साथ ही हमें इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि विकास के चलते जंगल और प्रकृति न प्रभावित हों
समाज
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हिंदी दिवस को एक और वर्ष बीत गया लेकिन आज भी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है!
हिंदी दिवस भले ही ख़त्म हो गया हो लेकिन कहा यही जाएगा कि हम वो लोग हैं जो हिंदी में ही सोचते हैं, हिंदी ही पढ़ते और सुनते हैं, हिंदी ही लिखते हैं इसलिए कहीं न कहीं हमारी दिली इच्छायही है कि हमारा हिंदुस्तानी समाज हिंदी बोलने को ही प्राथमिकता दे और हर घर हिंदी, हर दर हिंदी नजर आये.
सिनेमा
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'शेरदिल- द पीलीभीत सागा': एक बार फिर पंकज त्रिपाठी का जादू चल ही निकला!
अभी हाल में ही रिलीज़ हुई फिल्म 'शेरदिल- द पीलीभीत सागा'. फिल्म की यूएसपी पंकज त्रिपाठी हैं. होने को तो फिल्म एक बेहद आम सी फिल्म है. लेकिन इसमें जैसी एक्टिंग पंकज की है वो बेजोड़ बन गयी है.
सियासत
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Bank strike के बारे में वो बातें जो हर आम नागरिक को जानना चाहिए...
बैंकों को प्राइवेट किये जाने के विरोध में बैंक कर्मियों ने दो दिवसीय स्ट्राइक की है. सवाल ये है कि आखिर इसका कोई फायदा क्या बैंक के कर्मचारियों को मिलेगा? तो आइये जानें निजीकरण के विरोध में क्यों बहुत जरूरी है हड़ताल.
समाज
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क्या सचमुच हिंदी दिवस मनाने की जरुरत है?
किसी भी देश का अस्तित्व उसकी भाषा और संस्कृति पर निर्भर करता है. और यह एक और चीज से भी प्रभावित होता है और वह कारण यह है कि क्या वह देश किसी अन्य देश का गुलाम रहा है या नहीं. समय के साथ हर चीज में बदलाव आता है, चाहे वह संस्कृति हो या भाषा.
स्पोर्ट्स
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ओलंपिक खिलाड़ियों को पुरस्कृत कीजिये लेकिन भेदभाव मत होने दीजिये...
टोक्यो से आने के बाद खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार की घोषणा हो रही है, उन्हें सम्मानित किया जा रहा है. जीतने के बाद तारीफ़ करना और सिर माथे पर बैठाना गलत नहीं है लेकिन पहले भी थोड़ा उत्साहवर्धन करना जरुरी था. और एक और चीज जो पदक जीतने के बाद खटकती है वह है विभिन्न खिलाडियों को मिलने वाली पुरस्कार की राशि.
समाज
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'बुरा न मानो, होली है' लेकिन हकीकत में होली में बुरा मानने की अपार संभावनाएं हैं!
होली के दौरान कहा यही जाता है कि 'बुरा न मानो, होली है'. सामान्य परिस्थिति में यह बिलकुल ठीक लगता है कि होली खेलने में बुरा क्या मानना. लेकिन अगर हम गौर से होली खेलने के तरीकों को देखें तो लगेगा कि होली में खूब बुरा माना जा सकता है.
सियासत
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Mahatma Gandhi: क्या गांधी किसान आंदोलन में शामिल होकर उसे लीड करते?
फार्म बिल 2020 के विरोध में किसानों का एक बड़ा तबका सड़कों पर है. बड़ा सवाल ये भी है कि यदि आज महात्मा गांधी हमारे बीच होते तो क्या वो इस धरने में शामिल होकर इसकी अगुवाई करते? इस सवाल पर जिसकी जैसी विचारधारा या सोच होगी उसके जवाब वैसे ही होंगे.