सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें
सियासत | 1-मिनट में पढ़ें
बंगला छिन जाना राहुल के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है, कहीं भी बना सकते हैं आशियाना
सूरत की सेशन कोर्ट से आए फैसले के बाद राहुल गांधी के सामने चुनौतियों का पहाड़ है. अब जबकि उनका बंगला भी छिन गया है तो तमाम लोग हैं जो बेचैन हो उठे हैं और तरह तरह की बातें कर रहे हैं. सवाल ये है कि क्या घर का न होना वाक़ई राहुल के लिए परेशानी का कारण है?
संस्कृति | 3-मिनट में पढ़ें
तुलसी दास और रामचरित मानस से जुड़े वो तथ्य जिन्हें हमें जरूर जानना चाहिए
रामचरित मानस को बदला नहीं जा सकता है. इसके प्रभाव को धीरे-धीरे ख़त्म करने की कोशिश हो सकती है. ऐसा केवल अधिक जागरूकता के ज़रिये ही किया जा सकता है. डंडे चलाने से तथ्य ख़त्म नहीं होते हैं. तथ्यों को पहचानते हुए ही जागरूकता फ़ैलाई जा सकती हैं.
सोशल मीडिया | 7-मिनट में पढ़ें
बिरयानी सिर्फ इमोशन है, कहीं की भी हो, कैसी हो!
बिरयानी के कारण फेसबुकऔर ट्विटर पर महिलाओं को आलसी कह दिया गया. जिन्हें लगता है कि उन्हें बिरयानी को घेरने का मौका मिल गया है, वे जान लें बिरयानी का अर्थ चावल, खड़े मसालों को मीट डालकर घी मिले पानी में उबाल देना नहीं है. बिरयानी एक इमोशन है. इसमें हमें कला और साहित्य जैसा अनूठा संगम दिखाई देता है.
सोशल मीडिया | 6-मिनट में पढ़ें
केरल के ट्रांसजेंडर कपल की प्रेग्नेंसी तस्वीरों पर बवाल तो होना ही था!
केरल के कोझिकोड में अपनी तरह का एक अनोखा मामला सामने आया है. यहां एक ट्रांसजेंडर कपल ने अपनी प्रेग्नेंसी की तस्वीरों को इंटरनेट पर पोस्ट किया है. कपल का तस्वीरों को पोस्ट करना भर था, अच्छी से लेकर बुरी हर तरह की बात होनी शुरू हो गयी है.
सोशल मीडिया | 6-मिनट में पढ़ें
सिद्धार्थ - कियारा ने अपनी शादी के राइट्स बेचकर बहस का श्रीगणेश तो कर ही दिया है!
चाहे रिलेशनशिप में आने के बाद शादी हो या फिर उसके राइट्स ओटीटी को बेचने की बात. ये सिद्धार्थ और कियारा का निजी फैसला है. इसलिए इसपर हम कोई कमेंट नहीं करेंगे. लेकिन जिस तरह फेसबुक और ट्विटर समेत कई जगहों पर इसे लेकर बहस छिड़ी है. इतना तो साफ़ है कि ये शादी उन्हें भी क्यूरियस करेगी जिन्हें अब तक इस शादी से कोई विशेष मतलब नहीं था.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल
धर्म और धर्म ग्रंथों के खिलाफ छिड़ी लड़ाई किस दिशा में जा रही है?
कल के माहौल और आज के में कॉमन है पॉलिटिकल हैंड. कल हैंड कम थे, आज वे मल्टीप्लाई कर गए हैं. इसीलिए माहौल ज्यादा खराब है. और सारा कुछ हो रहा है फ्रीडम ऑफ़ स्पीच के नाम पर. बात न्याय प्रणाली की करें तो चीजें कूल नहीं रख पा रही हैं अदालतें!
सोशल मीडिया | 5-मिनट में पढ़ें



