संस्कृति | 5-मिनट में पढ़ें
समाज | 4-मिनट में पढ़ें
कभी आजादी का केंद्र मगर अब गुमनाम होने की कगार पर है गढ़वाल की सबसे पुरानी मंडी दुगड्डा!
किसी ज़माने में उत्तराखंड में कोटद्वार के पास स्थित दुगड्डा, अपने विशेष ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता था और किसी परिचय का मोहताज नहीं था. लेकिन जैसे आज के हाल हैं.दुगड्डा अपनी पहचान खो रहा है और यहां के लोग पलायन को मजबूर हैं.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच वर्चस्व की जंग आसानी से खत्म नहीं होगी!
आरजेडी के स्थापना दिवस पर तेज प्रताप ने कहा था कि तेजस्वी यादव देश-दुनिया में व्यस्त रहते हैं. वो जब बाहर होते हैं, तो यहां का मोर्चा हम संभाल लेते हैं. क्या तेज प्रताप अपने इस बयान से बिहार की कमान यानी प्रदेश अध्यक्ष का पद उन्हें सौंपने का इशारा दे रहे थे. ये बात तो तय है कि भविष्य में तेजस्वी यादव ही लालू की विरासत को संभालते हुए आरजेडी के अध्यक्ष होंगे.
ह्यूमर | 4-मिनट में पढ़ें
CBSE results: इस साल भी फेल छात्र ही हमारे देश की असली धरोहर हैं
CBSE के 12वीं के नतीजों में 99.37 फीसदी छात्रों ने सफलता अर्जित की. लेकिन, किसी का भी ध्यान देश की उन 0.67 फीसदी विलक्षण प्रतिभाओं पर नहीं पड़ा, जो परीक्षा न होने के बावजूद फेल हो गए. वैसे, मेरा ध्यान भी इस ओर देर से ही गया. और इस देरी की वजह भी है...
संस्कृति | 7-मिनट में पढ़ें
Dholavira: विश्व धरोहर की यूनेस्को लिस्ट में शामिल हुई दुनिया की सबसे पुरानी स्मार्ट सिटी
यूनेस्को का धोलावीरा (Dholavira) को विश्व-विरासत सूची में सम्मिलित करना बेहद महत्वपूर्ण है. धोलावीरा का नगर-नियोजन और इसकी जल-संरक्षण की योजनाएं उत्तम कोटि की पाई गई हैं. आज से 4500-5000 साल पहले दुनिया में इस श्रेणी का नगर-नियोजन कहीं नहीं था.
सियासत | बड़ा आर्टिकल
क्या लालू अपने बेटों को एक रख पाएंगे? या आरजेडी में भी होगा विरासत पर घमासान
लालू यादव के बड़े बेटे और हसनपुर विधायक तेज प्रताप यादव ने मंच पर पहुंचते ही जमकर भड़ास निकाली. तेज प्रताप यादव ने अपने भाषण के दौरान मंच पर बैठे छोटे भाई तेजस्वी यादव और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर तंज कसे. पार्टी में अपनी उपेक्षा को लेकर एक बार फिर से तेज प्रताप का दर्द छलक कर लोगों के सामने आ गया.
समाज | बड़ा आर्टिकल
देख तमाशा लकड़ी का: पिता जी की आराम कुर्सी और उससे जुडी स्मृतियां...
ड्राइंग रूप में फर्नीचर के नाम पर बाबा आदम के जमाने की कुर्सी मेज तब तक शान से पड़ी रही जब तक की हम सब इतने बड़े न हो गए कि हम सब के मित्रों का आना जाना नहीं शुरू हुआ. अच्छा बड़ी मजेदार बात यह कि न जाने कैसे और किन परिस्थितियों में वो सब फर्नीचर बने कि सब अलग अलग डिजाइन और आकार में होते थे.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें






