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Updated: 03 अगस्त, 2021 11:14 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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गुजरात के हड़प्पाकालीन शहर धौलावीरा को बीते दिनों यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. जिसके बाद भारत सरकार ने इसे देश को लोगों के लिए गौरवशाली पल बताया. विश्व धरोहरों की लिस्ट में अब भारत के 40 स्थल शामिल हो गए हैं. वैसे, विश्व धरोहर की लिस्ट से इतर भी भारत में धरोहरों की कमी नहीं है. भारत की हर गली में ऐसी-ऐसी प्रतिभाएं मिल जाती हैं, जिन्हें देश धरोहर कह सकता है. कुछ दिनों पहले ही जारी हुए सीबीएसई के 12वीं के नतीजे (CBSE board results) में भी तमाम धरोहरें सामने आई हैं. वैसे, कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है, हमें भी पता है कि इस बार परीक्षाएं न होने की वजह से मेधावी छात्रों वाला सिस्टम नहीं बन पाया है. लेकिन, सीबीएसई बोर्ड के जो नतीजे सामने आए हैं, उसने हमें एक नई धरोहर से रूबरू करवाया है. ये धरोहर हैं, देश के वो बच्चे जो बिना परीक्षा हुए भी फेल हो गए. अब इन्हें देश की असली धरोहर न कहा जाए, तो किसे कहा जाए.

CBSE के 12वीं के नतीजों में 99.37 फीसदी छात्रों ने सफलता अर्जित की. लेकिन, किसी का भी ध्यान देश की उन 0.67 फीसदी विलक्षण प्रतिभाओं पर नहीं पड़ा, जो परीक्षा न होने के बावजूद फेल हो गए. वैसे, मेरा ध्यान भी इस ओर देर से ही गया. और, तब गया, जब अपने पड़ोस के एक बच्चे को दुनियाभर में फेमस भारतीय माता-पिता द्वारा की जाने वाली सुताई से दो-चार होते देखा. वैसे, सोचने वाली बात ये है कि उन बच्चों पर क्या बीत रही होगी, जो बिना परीक्षा दिए भी फेल हो गए. अब तक तो घरवालों ने ताने मार-मार कर कानों से खून निकाल दिया होगा. वैसे, ये हाल सीबीएसई का ही नहीं, देश के अन्य परीक्षा बोर्डों का भी रहा. हर बोर्ड परीक्षा के परिणामों में ये दुर्लभ छात्र ही ऐसे रहे है, जिन्होंने बिना परीक्षा हुए भी फेल होने का अभूतपूर्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है.

हर साल 12-13 फीसदी बच्चे परीक्षाओं में फेल हो जाते थे. उन बच्चों के साथ ये दुर्लभ बच्चे भी गिन लिए जाते थे.हर साल 12-13 फीसदी बच्चे परीक्षाओं में फेल हो जाते थे. उन बच्चों के साथ ये दुर्लभ बच्चे भी गिन लिए जाते थे.

वैसे, साल भर पढ़ाई करने की एक्टिंग करने के बाद परीक्षा में फेल होने पर ये छात्र कोई न कोई बहाना मार कर मां-बाप की डांट से बच ही जाते होंगे. लेकिन, इस बार तो परीक्षा ही नहीं हुई. जस्ट इमेजिन कीजिए कि इन छात्रों के ऊपर कैसा वज्रपात हुआ होगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर कहा था कि छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर 12वीं की परीक्षा भी रद्द की जाती है. भाग्य का ऐसा क्रूर मजाक हर रोज देखने को नहीं मिलता है. इस साल मोदी सरकार ने बिना पढ़े परीक्षाएं देने, परीक्षा से एक दिन पहले किताबों पर जमी धूल हटाने जैसा एडवेंचर करने वालों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है. मतलब ऐसा धोखा कौन करता है?

आप खुद ही सोचिए कि हर साल 12-13 फीसदी बच्चे परीक्षाओं में फेल हो जाते थे. उन बच्चों के साथ ये दुर्लभ बच्चे भी गिन लिए जाते थे. लेकिन, इस बार तो ये आंकड़ा बिल्कुल साफ-साफ सामने आ गया. वैसे, परीक्षा में फेल होने पर माता-पिता का गुस्सा भी एक लेवल पर आकर रुक जाता है. वो भी सोचते हैं कि चलो, कोई बात नहीं. पूरे साल बच्चे ने मेहनत की. पेपर कठिन आ गया होगा, तो नहीं कर पाया. लेकिन, जब परीक्षा ही नही हुई, तो ये वाला मामला तो लटक गया. इसे आसान शब्दों में कहें, तो मोदी सरकार ने जान-बूझकर इन बच्चों के जीवन में कष्टों का अंबार लगाया है. भाई...जब परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया ही था, तो ये भी कह देते कि सबको पास कर दिया जाएगा. इन बच्चों को मां-बाप की डांट और पिटाई से राहत मिल जाती.

वैसे, इन बच्चों का भविष्य भारत में बहुत उज्जवल है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत में इन बच्चों के सामने राजनीति के रूप में एक चमचमाते भविष्य की राह तैयार खड़ी है. जो ऐसी ही विलक्षण प्रतिभाओं से भरी पड़ी है. हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को ही ले लीजिए, वो ग्रेजुएशन भी नहीं कर सके थे और पीएम की कुर्सी तक पहुंच गए थे. तो, इस बात को लेकर संभावना बढ़ जाती है कि ये बच्चे जरूर भविष्य में सांसद, विधायक से लेकर मंत्री या प्रधानमंत्री तक बन सकते हैं. वैसे, मेधावी बच्चों के लिए भारत में कहा जाता है कि ये डॉक्टर, इंजीनियर, टीचर, आईएएस, पीसीएस बनेगा. लेकिन, ये सभी मेधावी छात्र अपने भविष्य में राजनेताओं के कहने पर ही चलते हैं. अगर इन छात्रों ने राजनीति को करियर के तौर पर चुन लिया, तो इनका और देश का दोनों का भविष्य स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. ये कहना गलत नहीं होगा कि देश की असली धरोहर ये छात्र ही हैं.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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