सियासत | बड़ा आर्टिकल

क्या अन्य सरकारें बाल विरोधी कानून को अमल में लाने के लिए असम का अनुसरण करेंगी ?
असम सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए सभी 2,197 ग्राम पंचायत सचिवों को बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत बाल विवाह रोकथाम अधिकारी के रूप में नामित किया है. ये अधिकारी ही पॉक्सो एक्ट के उन मामलों में शिकायत दर्ज कराएंगे, जहां लड़की की उम्र 14 साल से कम है.अगर आंकड़ों के आईने में देखें तो असम सरकार का फैसला स्वागत योग्य प्रतीत होता है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें

प्यारी लड़कियों तुम दुनिया के लिए खुद को ऐसे नहीं भूला सकती, तुम्हारे लौटने का इंतजार है
कॉलेज के दिनों में वो टॉपर तो नहीं थी लेकिन होनहार इतनी थी कि कुछ तो कर ही लेती, उसे प्रोफेसर बनना था लेकिन शादी होते ही जैसे उसकी दुनिया बदल सी गई है. ऐसा भी नहीं है कि उसे वहां किसी बात की दिक्कत हो या फिर कमी हो लेकिन वो अब उसे भूल सी गई है जो कभी हुआ करती थी. कभी-कभी याद आती है उसे खुद की...
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'स्मार्ट फोन मेरी तौबा'...पहले तुमने पर्दा उठाया फिर भेद खोल दिया!
विवाह सात जन्मों का बंधन ना भी मानें तो ये एक सोशल एग्रीमेंट तो है ही. दोनों के बीच तालमेल नहीं है तो तलाक का प्रावधान है. लेकिन संबंध में बने रहते दूसरे संबंध बनाना केवल अनैतिक ही नहीं बल्कि अपने सामाजिक दायित्वों से मुंह मोड़ना जैसा भी है.
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क्या ठंड सिर्फ पुरुषों को लगती है, सुबह उठकर काम करने वाली गृहिणी को नहीं?
वह मां है, पत्नी है, बहू है और इसी का फर्ज निभाती है. वह दिन रात चकरी की तरह भागती ही रहती है. जैसे उसके अंदर रोबोट फिट कर दिया गया हो. आखिर उसकी कभी छुट्टी क्यों नहीं होती? आखिर वह कभी आराम क्यों नहीं करती? वह किस मिट्टी की बनी है, आखिर उसे ठंड क्यों नहीं लगती?
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