समाज | 4-मिनट में पढ़ें
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

PFI पर बैन लगाने से होगा क्या? ये तो 'रक्तबीज' है जो फिर से उठ खड़ा होगा
एनआईए (NIA) ने कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर एक बार फिर से कार्रवाई करते हुए करीब 200 लोगों को हिरासत में लिया है. इससे पहले भी एनआईए ने पीएफआई के कुछ बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया था. इसी के साथ पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. लेकिन, सवाल ये है कि PFI पर प्रतिबंध लगाने से होगा क्या?
सियासत | 2-मिनट में पढ़ें

फ्लोर टेस्ट से पहले सीबीआई ने राबड़ी के भाई सुनील सिंह के घर की घंटी यूं नहीं बजाई!
जिस राजद नेता सुनील सिंह पर सीबीआई ने रेड मारी है. वह पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी राखी भाई हैं. राजद के कोषाध्यक्ष के साथ एमएलसी पद पर भी विराजमान हैं. विधान परिषद में एनडीए को घेरने में अपने आप को कई बार साबित भी कर चुके हैं. साफ़ है कि इस रेड के बाद नीतीश कुमार से ज्यादा तेजस्वी की मुसीबतें बढ़ेंगी.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

मनीष सिसोदिया पर CBI छापे ने आप और केजरीवाल को चौतरफा उलझा दिया
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के घर पर सीबीआई की छापेमारी (CBI Raid) को कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सही कदम बताया है. जबकि, विपक्षी दल भाजपा पर सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप जड़ते रहते हैं. वहीं, सिसोदिया के बचाव में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे तारीफ के लेख में भी घोटाला सामने आ गया है.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

अखिलेश यादव ने कन्नौज छापों पर बयान देकर समाजवादी इत्र में गंधक मिला दी!
समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन (Pushpraj Jain) पर हुई छापेमारी ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को असहज कर दिया. क्योंकि, अखिलेश यादव के भाजपा (BJP) पर लगाए जा रहे आरोपों (पीयूष जैन भाजपा का आदमी है) को सही भी मान लिया जाए, तो भी पुष्पराज जैन पर हुई कार्रवाई को गलत नहीं ठहराया जा सकता है.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

कोरोना का कमाई-काल, और फिर लखनऊ के अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में बीयर की बोतलें मिलना!
इस कोरोनाकाल में जब अस्पतालों ने बल भर पैसा कमाया है तो स्वाभाविक था कि उनके फ्रिज से बियर की बोतलें और मुर्गे जैसी चीजें निकलेंगी. अब जब लखनऊ में जिला प्रशासन के छापे के बाद ऐसा हुआ है तो फिर हैरत कैसी? लोग बेवजह इसे मुद्दा बना रहे हैं. साफ़ है कि ऐसी बातें तो होनी ही नहीं चाहिए.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

फिल्मी 'नरेंद्र मोदी' विवेक ओबेराय के घर छापा, अब कांग्रेस बोले तो क्या बोले?
एक कलाकार किसी सरकार के समर्थन में है या विरोध में इससे क्या फर्क पड़ता है. भारत में हर कोई आज़ाद है अपनी पसंद और नापसंद को ज़ाहिर करने को, लेकिन क्या हो जब किसी कलाकार को किसी पार्टी का सदस्य ही समझ लिया जाए तब क्या ? ऐसा ही मामला विवेक ओबेरॉय का है जिनके घर ड्रग्स के मद्देनजर छापा पड़ा है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

चाय-पकौड़ी कच्चा वोट, दारू-मुर्गा पक्का वोट!
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं ख़बरें आनी शुरू हो जाती हैं कि फलां जगह से कैश बरबाद हुआ या फिर कहीं से पुलिस ने शराब जब्त की. कह सकते हैं कि नेता और प्रजा दोनों ही एक दूसरे की साइकोलॉजी समझते हैं. नेता जानते हैं कि वोट पिलाने खिलाने और खर्चा करने से ही मिलते हैं.
सियासत | बड़ा आर्टिकल
