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Updated: 17 अक्टूबर, 2020 07:58 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
 
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फिल्म नरेंद्र मोदी तो याद ही होगी आपको, 2019 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से पहले इस फिल्म के रिलीज़ को लेकर खूब हंगामा मचा हुआ था. विपक्ष का आरोप था कि भाजपा (BJP) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को इस फिल्म से चुनाव में फायदा हो सकता है. भाजपा ने भी जवाबी सियासी बोल बोले. लेकिन इस पूरे मामले में सबसे मुखर होकर कोई बोला था तो वह फिल्म में नरेंद्र मोदी का किरदार निभाने वाले अभिनेता विवेक ओबेराय (Vivek Oberoi) थे. कट्टरता के साथ कांग्रेस पार्टी (Congress Party) को जवाब दिए जा रहे थे, सोशल मीडिया पर विवेक ओबेराय को नरेंद्र मोदी का भक्त तक का तमगा दे दिया गया था. विवेक भी इस तमगे को पाकर मुस्कुरा उठे और खुशी जता दी कि उन्हें नरेंद्र मोदी का चाहने वाला बताया जा रहा है. वही विवेक ओबेराय अब कानूनी मुश्किल में फंस गए हैं. इसके पीछे की वजह उनके साले साहब हैं. जिनकी तलाश में विवेक और उनकी पत्नी के घर में सेंट्रल क्राइम ब्यूरो (Crime Bureau) ने छापा मारा है.

Vivek Oberoi, Drugs, Raid, Karnataka, Narendra Modi, Congress, Allegationड्रग्स मामले में जैसे विवेक ओबेरॉय पर रेड डाली गयी कांग्रेस उससे सकते में है

विवेक के साले का नाम आदित्य है जोकि एक प्रभावशाली परिवार से संबंध रखते हैं. आदित्य के पिता जीवनराज अल्वा अपने समय के कद्दावर नेता थे और कर्नाटक सरकार के सबसे शक्तिशाली मंत्री कहलाए जाते थे. आदित्य की तलाश ड्रग केस के चलते हो रही है इसमें सैंडलवुड के कई सितारों का नाम अबतक सामने आ चुका है. जांच एजेंसी का मानना है कि आदित्य का बहुत गहरा रोल है और वह विवेक ओबेराय के घर में ही है इसीलिए कोर्ट से परमीशन लेने के बाद ही छापेमारी की गई है.

बॅालीवुड की तरह ही सैंडलवुड में ड्रग्स का मामला गरमाया हुआ है. अबतक 15 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. अब आदित्य की तलाश चल रही है. विवेक ओबेराय के घर छापा पड़ा तो सोशल मीडिया पर अलग अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आनी भी शुरू हो गई. कुछ उन्हें इस छापेमारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिटर्न गिफ्ट कहने लगे तो कुछ उनके साथ खड़े हो लिए.

विवेक ओबेराय भाजपा सरकार से प्रभावित हैं और वह सरकार के करीबी माने जाते हैं सरकार के समर्थक माने जाते हैं. अब उनके और उनकी पत्नी के घर छापा पड़ा है तो विरोधी दल चाहकर भी मुंह नहीं खोल पा रहे हैं. विपक्षी दल सोच रहे हैं कि अगर हमने विवेक ओबेराय के घर पर हुए इस तरह की कार्यवायी पर कुछ प्रतिक्रिया दिया तो ये भाजपा के पक्ष में चली जाएगी. इसलिए इस पूरे मामले पर कोई भी कुछ भी बोलने से कतरा रहा है.

सोशल मीडिया पर किसी भी घटना की खिल्लियां तो उड़ती ही रहती हैं. विवेक ओबेराय के मामले में भी कुछ ऐसा ही है. तमाम तरह के मीम्स शेयर किए जा रहे हैं. वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं विवेक ओबेराय के साथ खुलकर समर्थन में आ गए हैं और दावा कर रहे हैं कि विवेक भाजपा के करीबी हैं और स्टार प्रचारक हैं इसलिए उनके खिलाफ जांच को मंजूरी दी जा रही हैं.

वहीं बॅालीवुड में चल रहे ड्रग्स केस को दबाने की कोशिश की जा रही है. इस दावे के साथ भाजपा के कुछ संगठन महाराष्ट्र के गृह मंत्री से अनिल देशमुख से मुलाकात भी की है. कांग्रेस इस पूरे मामले पर क्या जवाब दे ये तो उसे भी सुझाई नहीं दे रहा है. मगर भाजपा खुलकर विवेक के साथ उतर आयी है और इस पूरे प्रकरण को साजिश मान रही है.

अब यहां से एक बात जो सामने आती है तो वह यह है कि किसी भी सितारे का राजनैतिक दल के साथ रहना या न रहना उसे ही राजनीतिकरण बना देता है. ऐसा ही कंगना रनौत के बारे में भी कहा जाता है तो क्या किसी भी फिल्मी सितारे का किसी भी सरकार के समर्थन में होना उसे उसी राजनैतिक दल का हिस्सा बना देता है. अगर ऐसा है तो बॅालीवुड से लेकर जितने भी कलाकार हैं वह राजनीति का ही हिस्सा होंगे.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास

लेखक पत्रकार हैं, और सामयिक विषयों पर टिप्पणी करते हैं.

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