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Updated: 01 जनवरी, 2022 03:07 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को सपा एमएलसी और समाजवादी इत्र बनाने वाले पुष्पराज जैन के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी. लेकिन, अखिलेश यादव की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही कन्नौज के बड़े व्यापारियों में शामिल समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन के यहां आयकर विभाग ने छापेमारी कर दी. वैसे, अखिलेश यादव की ये प्रेस कॉन्फ्रेंस भाजपा के समाजवादी पार्टी पर लगाए जा रहे आरोपों पर होनी थी. लेकिन, पुष्पराज जैन के घर पर पड़े छापे ने अखिलेश यादव की नाराजगी को बढ़ा दिया. और, प्रेस कॉन्फ्रेंस की दिशा ही बदल गई. अखिलेश यादव ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग से अपील कर डाली कि 'अगर मुमकिन हो, तो छापे यूपी चुनाव 2022 के बाद मारे जाएं.' भले ही अखिलेश यादव पीयूष जैन पर हुई कार्रवाई से खुद को अलग कर लें. लेकिन, अब इस मामले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अखिलेश यादव ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है. क्योंकि, पीयूष जैन से भले ही अखिलेश यादव भाजपा का आदमी घोषित कर दें, लेकिन, पुष्पराज जैन को समाजवादी पार्टी से अलग नहीं किया जा सकता है.

Akhilesh Yadav Pushpraj jainयूपी चुनाव 2022 के मद्देनजर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी इत्र लॉन्च किया था.

चुनाव आयोग से चुनाव बाद छापे डालने की गुहार देगी झटका

यूपी चुनाव 2022 के मद्देनजर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी इत्र लॉन्च किया था. लेकिन, उत्तर प्रदेश में समाजवादी इत्र को कायदे से पहचान कुछ दिनों पहले ही मिली थी. जब कन्नौज के इत्र व्यापारी पीयूष जैन के कई ठिकानों पर आयकर और डीजीजीआई की छापेमारी में 196 करोड़ कैश, 64 किलो सोना, 600 लीटर चंदन का तेल जैसी चीजें बरामद हुई थीं. इसे लेकर समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच खूब शब्दबाण चलाए जा रहे थे. हालांकि, समाजवादी पार्टी ने पीयूष जैन से संबंध नकार दिए थे. लेकिन, जिस समय अखिलेश यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, उसी समय समाजवादी पार्टी के एमएलसी और समाजवादी इत्र बनाने वाले पुष्पराज जैन के यहां छापेमारी की जा रही थी. और, इस छापेमारी का दर्द अखिलेश यादव के चेहरा पर साफ देखा जा सकता था. क्योंकि, अगर अखिलेश यादव के भाजपा पर लगाए जा रहे आरोपों (पीयूष जैन भाजपा का आदमी है) को सही भी मान लिया जाए, तो भी पुष्पराज जैन पर हुई कार्रवाई को गलत नहीं ठहराया जा सकता है.

पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव यही साबित करने की कोशिश में लगे रहे कि पुष्पराज जैन पर कार्रवाई गलत है. और, इस कार्रवाई के लिए वह भाजपा को ही कोसते नजर आए. लेकिन, आसान शब्दों में कहा जाए, तो इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अखिलेश यादव ने भाजपा को बैठे-बिठाए एक ये 'एस्केप प्लान' थमा दिया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में भाजपा अपने करीबी लोगों पर भी कार्रवाई करने में नहीं हिचकिचाती है. लेकिन, अखिलेश यादव के करीबी पुष्पराज जैन के खिलाफ जब छापेमारी हो रही है, तो वह उसे बचाने के लिए चुनाव आयोग से भी चुनाव बाद छापे डालने की गुहार लगाने से नहीं चूक रहे हैं. भ्रष्टाचार के मामलों पर चुनाव आयोग से अखिलेश यादव को साथ तो नहीं मिलेगा. लेकिन, लोगों के बीच ये संदेश जरूर चला गया कि समाजवादी पार्टी भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश कर रही है. क्योंकि, इससे पहले भी जब अखिलेश यादव के कुछ करीबियों के खिलाफ छापेमारी की गई थी, तब वह उनके बचाव में खड़े नजर आए थे.

वैसे तो अखिलेश यादव ने छापे को भाजपा की बौखलाहट और डर बताया. लेकिन, कायदे से देखा जाए, तो इस छापेमारी का उलटा ही असर नजर आ रहा है. लिखी सी बात है कि पीयूष जैन के घर पर आयकर और डीजीजीआई की छापेमारी में उसके लेन-देन से जुड़े जानकारी भी सामने आई होगी. अगर आयकर और डीजीजीआई इन लेन-देन की जानकारियों के सहारे कन्नौज के बड़े व्यापारियों में शामिल सपा एमएलसी पुष्पराज जैन के साथ मलिक मियां के यहां छापेमारी कर रहा है, तो इसमें कुछ भी गलत नजर नहीं आता है. वैसे अखिलेश यादव भले ही नोटबंदी को फेल बता रहे हों. लेकिन, इसे पूरे मामले को नोटबंदी के हवाले से देखा जाए, तो स्थिति साफ हो जाती है. नोटबंदी के दौरान लोग इस बात पर खुश थे कि अमीरों का छुपा और दबा हुआ पैसा सामने आ रहा है. वो खुद लाइन में थे. लेकिन, उन्हें संतोष था कि उनके बगल में करोड़पति धन्नासेठ भी खड़े हुए हैं. इस पूरे इत्र प्रकरण और छापेमारी से लोगों के बीच ऐसा ही संदेश गया है. 

अपनी ही बातों में उलझ गए अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने पुष्पराज जैन पर पड़े छापे के सहारे समाजवादी पार्टी की इमेज चमकाने की भरपूर कोशिश की. लेकिन, उनकी ये कोशिश कोई खास रंग लाती नहीं दिख रही है. दरअसल, यूपी चुनाव को लेकर पूछे गए एक सवाल पर अखिलेश यादव भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरह ही पत्रकार पर भड़क गए. अखिलेश ने कहा कि 'मामले को घुमाने की कोशिश मत कीजिए. समाजवादी इत्र की बात हो रही है, उसी की बात कीजिए.' पत्रकार का सवाल था कि क्या यूपी चुनाव कराने को लेकर सभी दलों के साथ सपा ने भी हामी भरी है? इतना ही नहीं, अखिलेश यादव ने ये भी कहा कि 'जनता भाजपा के कार्यक्रमों में नहीं जा रही है. इनकी यात्रा में जितनी भीड़ आ रही है, उतनी तो चाउमीन के ठेले पर आ जाती है.' लेकिन, आगे उन्होंने कहा कि 'लोगों को जबरदस्‍ती रैलियों में भेजा जा रहा है. लोगों को जबरन बसों में भरकर ले जाते हैं.' वैसे, आज के समय में किसी से जबरन क्या ही कराया जा सकता है. लेकिन, आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव के शब्दों और उनके दिमाग के बीच तालमेल में कमी ही दिखाई दी.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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