स्पोर्ट्स | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

नगर को संतुलित करने की जरूरत समझनी हो तो जापान से समझें!
जापान सरकार ने महानगरों को संतुलित करने के उद्देशय से एक अहम फैसला लिया है. जापान सरकार के निर्णय में यह कहा गया है कि राजधानी टोक्यो सहित अन्य महानगरों को छोडने के लिए प्रति बच्चा 6 लाख 36 हजार पैरेंट्स को दिया जाएगा ताकि वे ग्रामीण क्षेत्र में बस सकें.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

Nagasaki Day: 9 अगस्त याद रखिये, और परमाणु युद्ध की बात हल्के में मत करिये
9 अगस्त को नागासाकी डे (Nagasaki Day) के तौर पर मनाया जाता है. क्योंकि, इसी दिन अमेरिका (USA) ने जापान (Japan) के हिरोशिमा शहर के बाद नागासाकी में दूसरा परमाणु बम हमला किया था. परमाणु हथियारों के खतरे के बारे में जागरूकता पैदा करने और शांति को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में नागासाकी दिवस मनाया जाता है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

Shinzo Abe की मौत की कामना क्यों कर रहे थे चाइनीज?
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe) कई घंटों तक जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे. इस घटना के बाद से ही पूरा जापान शिंजो आबे की सलामती की प्रार्थना कर रहा था. लेकिन, चीनी नागरिकों (China) ने शिंजो आबे को गोली मारने की घटना को सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया. वहीं, भारत (India) में शिंजो आबे की मौत पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है.
ह्यूमर | 7-मिनट में पढ़ें

'कुत्ते वाले' IAS, न घर के रहे न घाट के!
केदारनाथ मंदिर (Kedarnath) में नंदी महाराज के पैर छूता हस्की ब्रीड का कुत्ता (Dog) हो या दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में टहलने वाला आईएएस (IAS) का ग्रेट डेन या फिर जापान (Japan) में एक शख्स द्वारा कोल्ली ब्रीड का कुत्ता बनने के लिए बनवाई गई कॉस्ट्यूम हो. सारी खूबियों के बाद भी कुत्ता हमेशा कुत्ता ही रहेगा. इंसान का न जाने क्या होगा!
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

Quad Summit में सबसे आगे विश्वगुरु भारत के पीएम मोदी ख़ुशी की पराकाष्ठा तो हैं लेकिन...
जापान गए पीएम मोदी की एक तस्वीर ने भारत में इंटरनेट को बहस करने का मौका दे दिया है. तस्वीर में सबसे आगे पीएम मोदी हैं और उनके ठीक बगल में जापान के प्रधानमंत्री हैं. तस्वीर सामने आने के बाद कहा यही जा रहा है कि पीएम मोदी की इस तस्वीर ने दुनिया को बता दिया कि असली विश्वगुरु भारत ही है. लेकिन क्या सच में ऐसा है? आइये समझने की कोशिश करें.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

हम अमर जवान ज्योति का चिराग़ हैं, गर्व की अनुभूति के लिए प्रमाण नहीं चाहिए!
देश के जांबाज़ों की यादों की अमर ज्योति हमारे दिल-ओ-दिमाग़ों में रोशन थी, रौशन हैं और रोशन रहेगी. क्यों न रहे, हमारा वजूद ही इनसें है. क्योंकि हम इस ज्योति के चिराग हैं. साइंस, सहाफत और सेना.. का गौरवशाली इतिहास हमारी खानदानी विरासत से जगमगाया है. हमें गर्व की अनुभूति के लिए प्रमाण नहीं चाहिए.
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