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Updated: 08 जुलाई, 2022 04:02 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को चुनाव प्रचार के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी गई है. प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने शिंजो आबे की गंभीर हालत को लेकर पहले ही चिंता जताई थी. शिंजो आबे कई घंटों तक जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे. इस घटना के बाद से ही पूरा जापान शिंजो आबे की सलामती की प्रार्थना कर रहा था. लेकिन, चीनी नागरिकों ने शिंजो आबे को गोली मारने की घटना को सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया. चाइनीज माइक्रोब्लॉगिंग साइट वाइबो (Weibo) पर चीनी नागरिकों ने शिंजो आबे की हत्या का प्रयास करने वाले कातिल को 'हीरो' के तौर पर पेश किया जा रहा है. वाइबो पर चीनी नागरिक खुलकर शिंजो आबे के मरने की कामना कर रहे थे. इतना ही नहीं, चीन का सरकारी मीडिया भी जापान के खिलाफ जहर उगल रहा है. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि शिंजो आबे की मौत की कामना क्यों कर रहे थे चाइनीज?

China assassination Japan Shinzo Abe शिंजो आबे ईस्ट एशिया में चीन की दादागिरी के सामने मुखरता से खड़े होने वाले राजनेता के तौर पर पहचान रखते थे.

- क्या है घटना : जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे पश्चिमी जापान के नारा शहर में चुनाव प्रचार कर रहे थे. नारा शहर की एक सड़क पर भाषण के दौरान शिंजो आबे पर पीछे से हत्यारे ने गोलियां दाग दीं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक गोली उनके सीने में फंसी हुई है. शिंजो आबे को बचाने के लिए तत्काल ही एयरलिफ्ट किया गया है. वहीं, स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, एयरलिफ्ट करने के दौरान शिंजो आबे की सांस और धड़कन नहीं चल रही थी.

- कौन है हत्यारा, क्यों किया हमला : बताया जा रहा है कि गिरफ्तार किये गए शूटर की पहचान नारा शहर के ही रहने वाले तेत्सुया यामागामी के तौर पर हुई है. इस हमले के लिए उसने हैंडमेड शॉटगन का इस्तेमाल किया था. जो कैमरे और उससे जुड़े अन्य सामान की तरह नजर आ रही थी. फूजी टीवी के अनुसार, तेत्सुया यामागामी जापान की नौसेना में सेल्फ-डिफेंस फोर्स का हिस्सा रहा है. गोली चलाने के बाद यामागामी ने भागने की कोशिश की. लेकिन, पकड़ा गया.

- कौन हैं शिंजो आबे : 67 वर्षीय शिंजो आबे एक मजबूत राजनीतिक पैंठ रखने वाले परिवार से आते थे. शिंजो आबे के नाना नोबोसुके किशी और चाचा इसाकु सैतो भी जापान के पीएम रह चुके थे. जापान के इतिहास में शिंजो आबे सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले शख्स थे. शिंजो आबे ने अपने सियासी करियर की शुरुआत जापानी संसद के लोअर हाउस से 1993 में की थी. लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष शिंजो आबे 2006 से 2007 तक पहली बार जापान के प्रधानमंत्री बने. कुछ विवादों के चलते उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी. लेकिन, 2012 में शिंजो आबे फिर से प्रधानमंत्री बने. और, अगस्त 2020 तक पीएम पद पर रहे.

- आबे पर हमले से चीनी क्यों खुश हैं : शिंजो आबे एक ऐसे राजनीतिक परिवार से आते थे, जो जापान के मुद्दों पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करने के लिए जाना जाता है. चीन की नजरों में शिंजो आबे को उसके सबसे बड़े दुश्मन के तौर पर देखा जाता था. क्योंकि, आबे के समय में पूर्वी चीन सागर में जापान अपने द्वीपों की सुरक्षा के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी भिड़ने को तैयार था. वहीं, शिंजो आबे ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बार यासुकुनी तीर्थ का दौरा भी किया. दरअसल, चीन की नजरों में दूसरे विश्व युद्ध का दोषी जापान है. लेकिन, शिंजो आबे ऐसा नहीं मानते थे.

- आबे का चीन के प्रति रवैया : शिंजो आबे ईस्ट एशिया में चीन की दादागिरी के सामने मुखरता से खड़े होने वाले राजनेता के तौर पर पहचान रखते हैं. शिंजो आबे के कार्यकाल में ही जापान की सेना को चीन से युद्ध लड़ने के लिए तैयार करने के लिए कई जरूरी बदलाव किये थे. शिंजो आबे ने जापान की नौसेना को मजबूत करने के लिए डिफेंस बजट को बढ़ाया था. इतना ही नहीं, ताइवान की स्वतंत्रता को लेकर भी शिंजो आबे की ओर से चीन को तगड़ी लताड़ लगाई जाती रही थी.

- क्वाड में भूमिका : शिंजो आबे के कार्यकाल के दौरान भारत के साथ जापान की दोस्ती की जड़ें काफी गहरी हुई थीं. भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के साथ शिंजो आबे की दोस्ती ने जापान-भारत के संबंधों को एक नया आयाम दिया था. बता दें कि सामरिक तौर पर भारत और जापान के लिए चीन एक बिगड़ा पड़ोसी देश है. जिसे सुधारने के लिए ही शिंजो आबे ने क्वाड संगठन बनाने का सपना देखा था. इस संगठन में भारत, ऑस्ट्रेलिया के साथ अमेरिका को स्थान दिया गया. चीन को घेरने के लिए बनाया गया क्वाड संगठन आज चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए नाक में दम बना हुआ है. क्योंकि, इसके चलते उसकी दादागिरी को कड़ी चुनौती मिलने लगी है.

शिंजो आबे के निधन पर भारत में राष्ट्रीय शोक की घोषणा 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिंजो आबे के मौत पर गहरा दुख जताया है. इसी के साथ भारत में एक दिन के राष्ट्रीय शोक का भी ऐलान कर दिया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट में शिंजो आबे के साथ अपनी दोस्ती के बारे में भी कई बातें कही हैं. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा है कि-

'मैं अपने प्यारे दोस्तों में से एक शिंजो आबे के दुखद निधन पर स्तब्ध और दुखी हूं. वह एक महान वैश्विक स्टेेेेेेेट्समैन, एक बेहतरीन नेता और एक उल्लेखनीय प्रशासक थे. उन्होंने जापान और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. शिंजो आबे के साथ मेरा जुड़ाव कई साल पुराना था. मैं गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान से उन्हें जानता था और मेरे पीएम बनने के बाद भी हमारी दोस्ती जारी रही. अर्थव्यवस्था और वैश्विक मामलों पर उनकी तीक्ष्ण अंतर्दृष्टि ने हमेशा मुझ पर गहरी छाप छोड़ी है. अपनी हालिया जापान यात्रा के दौरान मुझे शिंजो आबे से मिलने और कई मुद्दों पर बातचीत का मौका मिला था. वह हमेशा की तरह मजाकिया और समझदार थे. जब उनसे मिला था, तो नहीं जान पाया कि यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी. उनके परिवार और जापानी लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है.'

नरेंद्र मोदी ने लिखा कि आबे ने भारत-जापान संबंधों को एक विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया. आज पूरा भारत जापान के साथ शोक में है और हम इस कठिन घड़ी में अपने जापानी भाइयों और बहनों के साथ खड़े हैं. पीएम मोदी ने ये भी बताया कि वह भारत-जापान के संबंधों को मजबूत करने के लिए हमेशा से उत्साही रहे थे. हाल ही में उन्होंने जापान-भारत एसोसिएशन के चेयरमैन का पद संभाला था.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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