समाज | एक अलग नज़रिया | 2-मिनट में पढ़ें

क्लास में छात्राओं को बुर्का पहनने की जरूरत ही क्या है?
हमारे हिसाब से यह सिर्फ राजनीति है और कुछ नहीं. इसके जरिए सिर्फ बुर्के का प्रचार किया जा रहा है. अगर क्लास में बुर्के से इतनी परेशानी है तो फिर इन छात्राओं को घर से बाहर ही नहीं निकलना चाहिए. खुद को पूरी तरह छिपाने के लिए घर की चारदीवारी से बेहतर कौन सी जगह है?
स्पोर्ट्स | 4-मिनट में पढ़ें

क़तर के फीफा विश्व कप के दौरान सामने आया 'सभ्यताओं का टकराव'!
विश्व कप में फ़ुटबॉल के साथ ही 'क्लैश ऑफ़ सिविलाइज़ेशन' का भी जमकर मुज़ाहिरा हो रहा है. पश्चिमी जगत क़तर में इस्लामिक नियमों को थोपे जाने से नाराज़ है. वहीं ईरान के खिलाड़ी अपने देश के इस्लामिक शासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं तो जर्मन खिलाड़ी समलैंगिकों के पक्ष में आवाज न उठा पाने पर ऐतराज जताते नजर आए.
स्पोर्ट्स | 6-मिनट में पढ़ें

FIFA WC 2022: कतर में खड़े होकर ईरानी खिलाड़ियों का मुस्लिम शासन का विरोध क्या संदेश देता है?
FIFA World Cup 2022: कतर में आयोजित फुटबॉल वर्ल्ड कप में ईरान के खिलाड़ियों ने अपने देश का राष्ट्रगान नहीं गाया. बताया जा रहा है कि ऐसा करके ईरानी इस्लामी हुकूमत का विरोध और हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया जा रहा है. एक कट्टर इस्लामिक देश की जमीन खड़े होकर ऐसा विरोध प्रदर्शन करना मजबूत संदेश दे रहा है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

ईरान में एंटी हिजाब प्रदर्शनकारियों का मौलानाओं की पगड़ी उछालना प्रोटेस्ट का नेक्स्ट लेवल है!
ईरान में प्रदर्शकारी चाहे वो युवतियां हों या युवक. वो बेधड़क होकर मौलवियों के सिर से पगड़ी उतार रहे हैं. घटना का वीडियो बना रहे हैं. ट्विटर और इंस्टाग्राम पर ऐसे वीडियो की भरमार है, जिनमें युवा राह चलते मौलवियों और मौलानाओं को सबक सिखाने के उदेश्य से उनकी पगड़ी उछाल रहे हैं. ईरान में विरोध के इस नए रूप ने सोशल मीडिया पर एक अलग डिबेट का श्री गणेश कर दिया है.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

60 साल बाद आदमी नहाया फिर मौत हो गई... मजाक नहीं, मैटर सीरियस है, बहुत सीरियस!
दुनिया के सबसे गंदे आदमी के रूप में पहचान रखने वाले एक ईरानी व्यक्ति की 94 साल की उम्र में मृत्यु हो गई. ये तब हुआ जब उसने 60 से अधिक वर्षों में अपना पहला स्नान किया। बताया जा रहा है कि जो व्यक्ति मरा उसका उनका पसंदीदा भोजन पॉर्क्यूपाइन का मांस था.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

हिजाब पर ईरान में खामनेई की अपील, आंध्र में अशराफों का पाखंड और शरद पवार की चिंता!
शरद पवार कह रहे हैं कि बॉलीवुड में अल्पसंख्यकों का योगदान सबसे ज्यादा है. और, ईरान के अली खामेनेई भी हिजाब को लेकर मुस्लिम स्कॉलर और बुद्धिजीवी से अपील करते दिखते हैं. इस बीच गुंटूर में अशराफ मुसलमानों की तरफ से एक दरगाह तोड़ने की कोशिश होती है. तीनों घटनाएं अलग भले हों, पर एक चीज है इनमें जो तीनों को जोड़ देता है. साहिर लुधियानवी के बहाने आइए समझते हैं वह क्या है?
सियासत | 2-मिनट में पढ़ें

मामला जब 'अल्लाह' के हुक्म का ही है तो हिजाब पर पसंद-नापसंद, अदालती नौटंकियों का कोई तुक है क्या?
खुद को मुस्लिम राजनीति का रहनुमा कहने वाले एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) कह देते हैं कि 'कर्नाटक की बच्चियां इसलिए हिजाब (Hijab) पहन रही हैं, क्योंकि कुरान में अल्लाह ने उन्हें कहा है. वैसे, इस्लाम में जब अल्लाह का हुक्म हो, तो वहां पसंद (Choice) और नापसंद का सवाल ही नहीं रह जाता है. तो, बात हिजाब की हो या किसी और की. वो अपने आप ही बाध्यता बन जाता है.
समाज | 2-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल
