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देखो भैया ई बजट में क्या हुआ, आपको समझ आ जाए तो हम जैसों को समझा देना!
मुन्ना भाई एमबीबीएस में एक डायलॉग है, तू समझ ले मुझे बाद में सीखा देना. यही हाल बजट समझने वाले हमारे जैसे कुछ लोगों का है. इस फिल्म एक सीन में जब टीचर दूसरें बच्चों के साथ मुन्ना को पढ़ा रहा होता है तो उसे सिलेबस का कुछ भी समझ नहीं आता है. सबकुछ उसके सिर के ऊपर से निकल जाता है. दिमाग में कुछ घुसता नहीं है. यह बजट भी आम लोगों के लिए ऐसा ही है.
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बजट तो बैलेंस लेकिन निर्मला समझें रसोई वाली समस्या अभी भी जस की तस है!
नए बजट में बजट में जितनी भी योजनाओं को लागू करने की बात कही गई है उन्हें ईमानदारी से अमल में लाया जाए. क्योंकि कई योजनाएं ऐसी होती हैं, साल बीत जाने तक शुरू नहीं होती. ये हर पिछले बजट में होता आया है, इसमें ऐसा ना हो, ऐसी सबको उम्मीदें हैं.
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सियासत | बड़ा आर्टिकल

9 राज्यों और 2024 के आम चुनाव को देखते हुए बनाया गया है ये बजट
जानकार कहते हैं कि मध्यम वर्ग की होने वाली कमाई की तुलना में मंहगाई का बोझ भी बढ़ा है. इसलिए सरकार द्वारा 2023-24 में कड़वी दवाई पिलाने की उम्मीद कम दिखाई दे रही थी. पर यह भी सोचने वाली बात है कि यदि सरकार के पास पैसा नहीं आएगा तो लोक लुभावन काम या विकास की रफ्तार को कैसे संतुलित कर पाएगी.
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अमृत काल के बजट में 100 साल के भारत का 'ब्लू प्रिंट'...
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2023-24 का वार्षिक बजट पेश किया. यह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट है. बजट में एक तरफ गरीब, मध्यमवर्गीय लोगों के लिए राहत दी गई तो दूसरी ओर 100 साल के भारत के लिए ब्लू प्रिंट भी नजर आता है.
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