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सच्चे क्रास सेलर 'नाऊ' हैं, बैंकिये और बेचारे बीमा वाले नाहक बदनाम हैं!
बाजार में तमाम तरह के उत्पाद हैं और उतनी ही तरह के दुकानदार लेकिन नाई इन सब में सबसे अलग है. ये व्यक्ति के बार बार लगातार मना करने के बावजूद उसे कुछ भी बेच सकता है. कह सकते हैं कि सच्चे क्रास सेलर तो ये नाऊ ही होते हैं. बैंकिये बेचारे तो नाहक बदनाम हैं कि वो बैलेंस पूछने आये ग्राहक को भी बीमा/म्यूचुअल फण्ड भेड़ने में लग जाते हैं.
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बिल्डर-बैंक और अथॉरिटी के बीच फंसे आम आदमी की बर्बादी तय है!
बिल्डर की करतूतों को आम इंसान को क्यों झेलना पड़ता है? क्यों बैंक ऐसे केस में बिल्डर से वसूली नहीं करता? क्यों हर बार आम आदमी पिसता चला जाता है? बिल्डर की देनदारी आखिर कब तय होगी? कब आम इंसान को इन परेशानियों से मुक्ति मिलेगी? होना तो ये भी चाहिए कि आम-बायर की सारी EMI वाला पैसा और तय समय के बाद वाले सारे समय का उसके किराये का पैसा भी बिल्डर को देना चाहिए.
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Loan write off Vs Loan waive off: कर्ज को बट्टे खाते में डालने और कर्ज माफ करने में फर्क क्या है?
संसद के मानसून सत्र के दौरान बैंकों राज्यसभा में वित्त राज्यमंत्री भागवत के कराड ने एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए कहा था कि पिछले पांच वित्त वर्ष में लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के ऋण यानी लोन को बट्टे खाते (loan write off) में डाला गया है. जिसके बाद विपक्षी नेताओं ने दावा कर दिया कि 'मोदी सरकार (Modi Government) ने अपने दोस्तों के 10 लाख करोड़ माफ (Waive Off) कर दिए.'
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FASTag Scam: वीडियो बनाकर अफवाह फैलाने वालों को भी 'स्कैन' करना जरूरी है
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो (Viral Video) में दावा किया गया था कि एक स्मार्टवॉच के जरिये आपके फास्टैग (FASTag) की रकम चुटकियों में उड़ा ली जाती है. हालांकि, वीडियो के वायरल होने के कुछ समय बाद ही इसे 'अफवाह' फैलाने वाला फेक वीडियो करार दे दिया गया.
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'भारत बंद' की बहकी-बहकी रिपोर्टिंग पर न्यूयॉर्क टाइम्स को ट्रोल होना ही था
भारत सरकार की नीतियों के खिलाफ सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने 28 और 29 मार्च को दो दिन के 'भारत बंद' (Bharat Bandh) का आह्वान किया था. भारत बंद के पहले दिन सार्वजनिक क्षेत्रों के कई बैंकों और परिवहन सेवाओं पर मिला-जुला असर दिखाई पड़ा. वहीं, भारत बंद पर न्यूयार्क टाइम्स (New York Times) की रिपोर्टिंग ने उसे सोशल मीडिया पर ट्रोल करवा दिया.
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