समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

देह के शिकारियों के लिए दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष का महिला होना काफी है
स्वाति मालीवाल के साथ बदसलूकी हुई है और इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है, क्योंकि आखिरकार हैं तो वे एक लड़की ही. क्योंकि छे़ड़खानी करने वालों को लगता है कि लड़की है तो छेड़ा जा सकता है...लड़की है क्या कर लेगी? लड़की है मतलब कमजोर है? लड़की है कहां जाएगी?
समाज | 4-मिनट में पढ़ें

अंजलि केस में पुलिस से पूछताछ करेगी पुलिस, बताइये फिर क्या होगा?
कंझावला मामले में दिल्ली पुलिस की जांच सवालों के घेरे में है. आरोप लग रहे हैं कि पुलिस की तरफ से 'बहुत कुछ' छुपाया जा रहा है. जांच सही से चले अब इसकी जांच फिर दिल्ली पुलिस को सौंपी गई है. पुलिस यदि अपनी ही पुलिस की जांच करेगी तो पीड़िता को कितना न्याय मिलेगा ये बात भी किसी से छिपी नहीं है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 6-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें

बेटी की सुरक्षा के लिए सिंगल मदर को 'फादर' के वेष में रहना पड़े, इसके मायने क्या हैं?
इस मां ने मजबूरी में साड़ी छोड़कर लुंगी और शर्ट पहन ली. जिसने अपने लंबे, काले, घने बालों और श्रृंगार का त्याग कर पुरुष का भेष धारण कर लिया. सालों सहे अत्याचार के बाद इस मां का चेहरा एकदम पिता की फिक्र वाला लगने लगा है.
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

Women safety: औरतों ने कहने की हिम्मत दिखाई है, योगी जी सुनने की दिलेरी दिखाइए!
योगी आदित्यनाथ दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए हैं. सूबे में महिलाओं और लड़कियों को उनसे काफी उम्मीदें हैं. अपने दूसरे कार्यकाल में योगी सरकार को चाहिये कि पहले वो स्त्रियों से सम्बन्धित अपराधों को स्वीकार करे और उनपर उचित एक्शन ले.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

Women's Day 2022 : देवी को छोड़िए, वो मनुष्य का दर्जा पाने के लिए युद्धरत है!
Women's Day 2022: इज़्ज़त कोई मुश्किल अष्टांग सूर्यनमस्कार की प्रक्रिया नहीं है, केवल हाव भाव व्यव्हार में इतनी सी बात समझनी है कि स्त्री आप जैसी ही जीती जागती मनुष्य है. महिला दिवस पर कुछ नहीं बस - देवी सा दर्जा नहीं ,स्त्री को मनुष्य रूप में सम्मान दें.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

प्रियंका गांधी ने कविता चोरी कर चुनावी स्वार्थ साधा, रचयिता ने फेल कर दिया!
प्रियंका गांधी वाड्रा चित्रकूट थीं जहां उन्होंने महिला कार्ड खेलते हुए 'उठो द्रौपदी शस्त्र संभालो' पंक्ति का उद्घोष किया. प्रोग्राम अच्छा हुआ. प्रियंका को प्रोग्राम के जरिये वो पब्लिसिटी हासिल हुई जिसकी वो तलबगार थीं. लेकिन प्रियंका का एक कविता के जरिये भाजपा पर यूं इस तरह हमला करना कविता लिखने वाले कवि को रास नहीं आया है और उन्होंने आपत्ति दर्ज की है.
समाज | 4-मिनट में पढ़ें
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