सिनेमा | 3-मिनट में पढ़ें

बॉलीवुड की चकाचौंध में कम दिखे लेकिन खूब बिके KK
हमारे टीनेज के दोस्त. हमारे इश्क़ को अल्फ़ाज़ देकर परवान चढ़ाने वाले. हमारे प्रेमियों को प्रेम अभिव्यक्त करने में सहायता देने वाले. दुख को बगैर आंसुओं के गाकर रोने वाले. हमारे भीगे तकियों के गवाह. हमारी खलिश, बेचैनी, आवारापन, बन्जारा पन के साथी केके अब जबकि तुम जा चुके हो तो कैसे समझोगे, जाने यह कैसी आग लगी है, जिसमें धुंआ न चिंगारी... हो न हो इस बार कोई खाब जला है सीने में...समाज | 5-मिनट में पढ़ें

परिवार बचाना सिर्फ स्त्री की ज़िम्मेदारी है, बिस्तर पर पति की जबर्दस्ती सहना भी शामिल है!
अब इसे ही विडंबना कहें या कुछ और, समाज हर बार पुरुष की शरीरिक ज़रूरतों को औरत की इच्छा, पर तरजीह देता है. शौहर को मजाजी खुदा (ईश्वर समान) मानते हुए उसकी हर इच्छा का मान रखने, हर तरह से 'खुश रखने' की कंडीशनिंग करवाता है.समाज | 5-मिनट में पढ़ें

कंडोम को 'छतरी' कहने वाला समाज औरतों के 'ऑर्गेज़म' कहने, और चाहने पर तो बौखलाएगा ही
रोटी, कपड़ा, मकान व्यक्ति की बुनियादी ज़रूरते हैं. भूख, प्यास, मूत्र, मल और संभोग जैविक जरूरतें हैं. प्राथमिकता के हिसाब से पहले जैविक जरूरतें पूरी होनी चाहिए. होती भी है. लेकिन सिर्फ पुरुषों की. महिलाओं तक आते आते आखिरी ज़रूरत को 'गंदी बात' कह के ख़ारिज कर दिया जाता है.समाज | 4-मिनट में पढ़ें
सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें

Sharma Ji Namkeen: रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी की कश्मकश जो बोर करेगी और एक्साइट भी!
Sharmaji Namkeen के बाद सवाल फिर वही है कि हिंदी सिनेमा जाने क्यूं हर सब्जेक्ट में हीरो हीरोइन और उनके बीच हो सकने वाले प्यार की संभावना को खोज लेता है. ना भी हो तो दर्शकों को संभावना का अश्वासन दे ही देता है. बॉलीवुड खुद को इस परिपाटी से कब आज़ाद करेगा, अल्लाह जाने. फिलहाल एक आखिरी बार सिर्फ ऋषि कपूर के लिए फिल्म देखी जा सकती है.सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

Hijab पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले ने पितृसत्ता को और मज़बूत किया है, वजहें तमाम हैं
Karnataka Highcourt on Hijab Row: हिजाब मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है. क्या इस फैसले के बाद कोर्ट यह सुनिश्चित करेगा कि बुर्का पहनने वाली तमाम औरतों को बुल्लिंग, टीज़िंग, हूटिंग, इशारेबाज़ी, और उन कुटिल मुस्कानो का सामना नहीं करना पड़ेगा जो आंखों ही आंखों से उन्हें जाहिल, निरक्षर, लड़ाका, गुलाम कहती समझती रही हैं.सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

Women safety: औरतों ने कहने की हिम्मत दिखाई है, योगी जी सुनने की दिलेरी दिखाइए!
योगी आदित्यनाथ दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए हैं. सूबे में महिलाओं और लड़कियों को उनसे काफी उम्मीदें हैं. अपने दूसरे कार्यकाल में योगी सरकार को चाहिये कि पहले वो स्त्रियों से सम्बन्धित अपराधों को स्वीकार करे और उनपर उचित एक्शन ले.समाज | 4-मिनट में पढ़ें

सेनेटरी नैपकिन का नाम व्हिस्पर क्यों है? औरतों के मामले फुसफुसाने वाले क्यों हैं?
ऊपरी सुंदरता दिखाने के बजाय अपनी सेहत और शौक़ पर भी पैसे खर्च करें. ना कमा रही हों तो जानिए पति की कमाई आधी आपकी है. बेटे की सारी. बच्चों को पालते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं. परजीवी नहीं. थोड़ा खुदगर्ज़ हो लें. ताकि आपका 'नहीं/हां/मुझे चाहिये' ज़ोर से सुनाई दे. क्योंकि गूगल बाबा कहते हैं, 'बोलने से ही सब होगा'. नॉऊ नो मोर व्हिसपर.समाज | 4-मिनट में पढ़ें
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'पंक्चर' बनाने वाली जाहिल क़ौम के लिये सस्ता मनोरंजन नहीं है हिजाब का मुद्दा
सदैव कपड़े, गहने में रुचि के फेर में स्त्रियों को फंसाकर उन्हें सदियों से दिशाभ्रमित किया जा रहा है. नारी सशक्तिकरण को कमज़ोर किया जा रहा है. हमें पता है हिजाब कंडीशनिंग है मजबूरी है. चॉइस नहीं. लेकिन जीन्स, स्कर्ट, पतलून को वैश्विक स्तर पर आरामदायक घोषित करते हुए कब आप पश्चिमी सभ्यता के बाजारवाद की कंडीशनिंग में ट्रैप होते हैं, आप को भी पता नहीं चलता.समाज | 3-मिनट में पढ़ें

हिजाब कंडीशनिंग है, मजबूरी है, या फ़ैशन? चॉइस कभी नहीं...
बहन बेटियों को बुर्क़ा पहनाने के पक्ष में प्रदर्शन करने वाले मोमिन हज़रात तीन तलाक़ के वक़्त उन्हें गरिया रहे थे. 'शेरनी हिजाब गर्ल' की बलैय्या लेने वाले वे ही मर्द साहेबान बाप की प्रॉपर्टी में से बेटी का चवन्नी भर शरई हक़ देने के मामले में अंधे, गून्गे, बहरे हो जाएंगे. किसी बहन-बेटी के मांगे पर दे भी दिया तो आईंदा के लिये निगाह, लहजा, रिश्ता सख्त कर लेंगे. मुंह फेर लेंगेसमाज | 4-मिनट में पढ़ें