सियासत | 7-मिनट में पढ़ें
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट के बदले रुख से स्पष्ट है, गे कपल की विवाह की चाहत अधूरी ही रहेगी...
हां, सामाजिक संरचना में समलैंगिकों को वे सहूलियतें ज़रूर मिल जायेंगी जिनसे वे वंचित हैं. ऑन ए लाइटर नोट कहें, अन्यथा न लीजिएगा, साजन बिना सुहागन ही सुहाग के फायदे मिल जाएंगे. बिलकुल 'ना' से तो थोड़ा 'हां' हो रहा है तो फ़िलहाल संतोष करें.
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

बीवियों को किनारे करने में तो जीत ही जाएंगी सपा की वंदना...
राजधानी लखनऊ मेंमेयर सीट के लिए सपा ने कमजोर समाज की मजबूत आवाज़ बनने वाली वंदना मिश्रा को अपना प्रत्याशी घोषित करने के बाद भाजपा की मुश्किल बढ़ा दी हैं. वंदना ब्राह्मण हैं और भाजपा इस जाति के वोट को अपना सुरक्षित वोट मानकर यूपी में पिछड़ी जातियों के चेहरों को एहमियत ज्यादा देती रही है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
ह्यूमर | 5-मिनट में पढ़ें

कान पर रीछ जैसे बाल और फिर धोखे से 27 औरतों से शादी... सच बात है, पैसे में दम तो बहुत है!
ओडिशा के फर्जी डॉक्टर ने क्या किया, क्या नहीं वो एक अलग बात है. मगर उन 27 औरतों के जज्बे को जरूर सलाम रहेगा जिन्होंने इससे शादी की. कमाल की बात ये है कि इन औरतों को रुपए तो दिखे लेकिन डॉक्टर साहब के कान पर रीछ की तरह लगे बाल नहीं. क्लियर हो गया पैसा ही बोलता है. पैसे में ही दम है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

दिल्ली मेट्रो गर्ल ने जो चाहा था उसे मिल गया, हमने और आपने ही मदद की है!
दिल्ली मेट्रो गर्ल रिदम अब फेमस हो चुकी हैं. गूगल पर उनके बारे में खोजा जा रहा है. उनके नाम के कीवर्ड्स मौजूद हैं. लोग उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो कर रहे हैं. इंस्टाग्राम से उनकी तस्वीरें और वीडियो निकालकर वायरल कर रहे हैं. लोग उन्हें देखना चाहते हैं...यानि छोटे कपड़े पहनकर वे जो करना चाहती थीं वो देर सबेर हो ही रहा है.
सियासत | 2-मिनट में पढ़ें

गंदगी फैला रही महिलाओं को सार्वजनिक शौचालयों पर ताला लगाकर ही सुधारा जा सकता है
महिलाएं जो कि अपने घर को चमका कर रखती हैं जो फर्श पर एक तिनका देख अपनी कामवाली या बच्चों पर बिगड़ जाती हैं. कभी कभी रौद्र रूप धारण कर ताडंव करने लगती हैं वे महिलाएं सार्वजनिक स्थल तो छोड़िए धार्मिक स्थलों पर भी गंदगी का ढेर लगा आती हैं. जो अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें