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Sirf EK Bandaa Kaafi Hai Movie Review: बेस्ट कोर्ट रूम ड्रामा, जरूर देखना चाहिए
Sirf EK Bandaa Kaafi Hai Movie Review in Hindi: हिन्दी सिनेमा में ढेरों ऐसी फिल्में आईं हैं जिनमें कोर्ट रूम ड्रामा नजर आता है या कथित बाबाओं की कहानियां नजर आती हैं. लेकिन यह फिल्म उन सभी में अपने को शीर्ष पर ले जाकर खड़ा करती है.
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अपने समय की ज़रुरी फिल्म है ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’
सिर्फ एक बंदा काफी है आसाराम के जीवन से प्रेरित है. या कहें साधु के भेष में बैठे शैतान के कुकर्मों से प्रेरित है. आसाराम को एक सामान्य कथावाचक से भगवान और फिर धीरे धीरे उसके अपराधों का कच्चा चिट्ठा खुलने के दौरान शैतान बनते हम सबने देखा है. लेकिन, फिल्म को सिर्फ इसकी कहानी के लिए नहीं देखा जाना चाहिए.
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सिर्फ एक बंदा काफी है जो रब का है, लॉ उसका धंधा है, जस्टिस दिलाना काम है!
हकीकत में वो बंदा पीसी सोलंकी है जिसने ना सिर्फ बंदे का नाम लेकर फिल्म ने इशारा भर किया है और कहते हैं ना इशारों को अगर समझों, सो एक और इशारा हमने भी कर दिया है. समझ गए ना आसूमल वही सजायाफ्ता बदनाम कथावाचक रेपिस्ट बाबा है, जो जेल में है.
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Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai की तरह ये चार फिल्में भी सच्ची कहानियों पर आधारित हैं!
मनोज बाजपेयी की फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' 23 मई से जी5 पर स्ट्रीम होने जा रही है. इस फिल्म की कहानी स्वयंभू संत आसाराम बापू के करतूतों का शिकार हुई एक 16 साल की लड़की की लड़ाई की सच्ची कहानी पर आधारित है. सच्ची घटनाओं और कहानियों पर आधारित बॉलीवुड में पहले कई फिल्में बन चुकी हैं.
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