सियासत | 3-मिनट में पढ़ें
जाति जनगणना सिर्फ मुद्दा, शिया जनगणना ग्राउंड पर...
लखनऊ में एक वीडियो संदेश के जरिए प्रदेश के ज्यादा से ज्यादा शियों को इज्तिमा मे इकट्ठा होने की भावुक अपील करते हुए मौलाना कल्बे जवाद ने कहा है कि कुछ विरोधी उलमा हमारी जनसंख्या को कम बताने की गलतफहमियां पैदा करते रहे हैं. जिससे हमारी सियासी वैल्यू माइनस ज़ीरो हो गई है. जबकि सच्चाई इसके ठीक विपरीत है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल
भूखे भेड़िए पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को नोच खाएंगे, भारत कुछ करता क्यों नहीं?
लगता है भारत ने बांग्लादेश की घटना से कोई सबक नहीं लिया है. पाकिस्तान में सरेआम मनुष्यता की हत्याएं की जा रही हैं, भारत की संप्रभुता पर चोट पहुंचाने की तैयारी है मगर वीर बहादुर भारत की सरकार का यूं चुप रहना हैरान करने वाला है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
क्यों खास है कैथोलिक-प्रोटेस्टेंट चर्च का करीब आना
भारत में ईसाइयों (Christianity) के दो संप्रदाय क्रमश: कैथोलिक (Catholic) और प्रोटेस्टेंट (Protestant) अपने धार्मिक मतभेदों को दरकिनार करते हुए करीब आते हुये दिख रहे हैं. दक्षिण भारत (South India) में इन दोनों संप्रदायों (Church) ने विभिन्न आपदाओं के समय मिलकर काम भी किया है.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
हिजाब के नाम पर दुनिया में महिलाओं के साथ सिर्फ पाखंड किया जा रहा है
हिजाब (Hijab) की मांग तकरीबन सभी इस्लामिक देशों के साथ नॉन-इस्लामिक देशों में भी एक जैसी ही है. लेकिन, ये मांग पूरी तरह से देश, काल और परस्थिति पर निर्भर करती है. वैसे, भारत फिलहाल इस्लामिक देश नहीं है. लेकिन, यहां भी इस्लामिक कट्टरपंथी (Iran) संगठनों ने मुस्लिमों (Muslim) में हिजाब जैसी चीजों को लेकर कट्टरता भरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें
अब बवाल उस कब्र पर जो जितेंद्र त्यागी ने वसीम रिजवी रहते अपने लिए बुक कराई थी
वसीम रिज़वी द्वारा इस्लाम धर्म त्याग कर त्यागी बन जाने और सनातन धर्म ग्रहण करने के बाद उसकी हयाती कब्र निरस्त कर दी गई. ऐसे में अब बची क़ब्र को शिया समुदाय के लोग अपने लिए खरीदना (आरक्षित) चाहते हैं और पूरा घटनाक्रम देखने लायक बन गया है.
संस्कृति | 7-मिनट में पढ़ें
दास्तान दुनिया के सबसे बड़े मार्च 'अरबईन मार्च' की...
अगर आपने कुंभ मेला देखा हो और करोंड़ों के बीच के इंतेजाम को परखा हो तो शायद आप हैरत करेंगे कि अरबईन मार्च का आयोजन ईराक के लिए कितना रस्साकसी का काम है. 4-6 करोड़ की आबादी एक वक्त में एक जगह हो तो क्या कल्पना की जा सकती है कि इस भीड़ में सबकी भाषा, रंग, नस्ल, और क्षेत्र अलग अलग हैं. बिल्कुल नहीं होता यकीन मगर ये सच है.
संस्कृति | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें





