सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट कितनी भरोसेमंद है?
हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट पर केंद्र सरकार का अभी तक कोई आधिकारिक पक्ष सामने नहीं आया है, विपक्षी दल कांग्रेस इस मामलें में सरकार पर हमलावर है, कांग्रेंस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे सहित विपक्षी दलों ने जेपीसी (जॉइंट पार्लियामेंटरी कमिटी) गठित करने की मांग की है.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
इकोनॉमी | 6-मिनट में पढ़ें

दुनिया के दूसरे सबसे अमीर बने गौतम अदानी की नेट वर्थ इतनी तेज कैसे बढ़ी?
दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स बन चुके गौतम अदानी (Gautam Adani) की व्यापार में ज्यादा तेज रफ्तार पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. अदानी ग्रुप (Adani Group) का कर्ज (Debt) पिछले पांच सालों में एक ट्रिलियन रुपये से बढ़कर 2.2 ट्रिलियन रुपये पहुंच गया है. सवाल उठना लाजिमी है कि दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अदानी की नेट वर्थ इतनी तेजी से क्यों बढ़ रही है?
इकोनॉमी | 2-मिनट में पढ़ें

ब्रह्मास्त्र की पनौती का असर PVR और INOX के शेयर प्राइस पर भी नजर आ गया
फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' (Brahmastra) को स्क्रीन कर रहे सबसे बड़ी सिनेमा चेन्स पीवीआर (PVR) और आईनॉक्स (INOX) के शेयरों (Shares) में भी आज काफी गिरावट दर्ज की गई है. इसे पनौती ही माना जाएगा. क्योंकि, ऐसा तब हुआ है, जब बीते दो दिनों से शेयर बाजार (Share Market) में तेजी आई है. और, कई स्टॉक्स में बढ़िया उछाल भी दर्ज किया गया है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

Rakesh Jhunjhunwala: मोदी सरकार की बाजार नीतियों के 'भक्त'
शेयर बाजार के 'बिग बुल' के नाम से मशहूर इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) का 62 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. राकेश झुनझुनवाला पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की भारत को लेकर बनाई जाने वाली आर्थिक नीतियों (Economic Policies) के मुरीद थे.
इकोनॉमी | 5-मिनट में पढ़ें

LIC IPO: पॉलिसीधारकों को यदि एलआईसी के शेयर्स चाहिए, तो जानना जरूरी हैं कुछ बातें
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) के इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) के लॉन्च होने की खबर के साथ ही पॉलिसीहोल्डर्स (Policyholders) की इस आईपीओ में दिलचस्पी बढ़ने लगी थी. आइए जानते हैं पॉलिसीहोल्डर्स के लिए किन बातों का जानना जरूरी है...
सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

Budget 2022: पुरानी बोतल में नई शराब जैसा है वित्त बजट...
Budget 2022: रोजगार, महंगाई, स्वास्थ्य व शिक्षा में फिर हीलाहवाली हुई. पिछले बजट जैसा ही रहा. हालांकि 60 लाख लोगों को रोजगार देने का वायदा हुआ है, लेकिन ये भी संभव नहीं दिखता. क्योंकि सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर इस क्षेत्र में कभी कमजोर दिखता है, कोई रोडमैप नही है. प्रत्येक विभागों में रिक्तियों की भरमार है. इसके अलावा आयकरदाता को भी कोई ज्यादा सहूलियत नहीं दी गई.
इकोनॉमी | 5-मिनट में पढ़ें