समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें

वो क्या बातें हैं जो 'पीरियड की छुट्टी' को गंभीर मुद्दा नहीं बनने देतीं
वर्किंग महिलाओं ने पीरियड में काम को मैनेज कर लिया है. वे खुद पीरियड लीव नहीं लेना चाहती हैं. आजकल कंपनियों में कंपटीशन बढ़ गया है. उन्हें लगता है कि अगर मैं पीरियड लीव लूंगी तो कोई साथ काम करने वाली दूसरी महिलाएं इसका फायदा उठा लेंगी.
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पीरियड्स की साथी सेनेटरी पैड, यदि तुम भी भरोसा तोड़ोगी तो हम लड़कियों का क्या होगा?
डियर सेनेटरी पैड हमें यकीन था कि तुम हमारी सेहत लिए लाभकारी हो, इसलिए तो कई महिलाओं ने जैसे-तैसे गंदा कपड़ा छोड़कर आंख बंद कर हर महीने तुम्हारा इस्तेमाल किया. हमें बताया गया था कि तुम्हें इस्तेमाल करने से हम कई गंभीर बीमीरियों से बच जाएंगे, मगर ये क्या यहां तो तुम ही हमारी सेहत की दुश्मन बन गई.
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Masoom Sawaal Controversy: सेनेटरी पैड पर भगवान कृष्ण की तस्वीर लगाने वाले 'मासूम' तो नही हैं
फिल्म मासूम सवाल (Masoom Sawaal) के पोस्टर में सेनेटरी पैड (Sanitary Pad) पर भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की तस्वीर लगाई गई है. अब इस पर विवाद हो रहा है. लेकिन, इसका दोष भी बहुसंख्यक हिंदुओं पर ही फोड़ा जाएगा. बुद्धिजीवी वर्ग से लेकर प्रगतिवादी-सेकुलर लोग इसके लिए हिंदूवादी संगठनों को ही दोषी ठहराएंगे. और, फिल्म बनाने वाले 'मासूम' हो जाएंगे.
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Masoom Sawaal trailer: मासिक धर्म एक पीड़ादायक 'धार्मिक कर्म' क्यों है?
मासिक धर्म/पीरियड्स को लेकर पहले भी कई हिंदी फिल्में बन चुकी हैं. इन फिल्मों में इस संवेदनशील विषय को कई नजरिए से पेश किया गया है. 5 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही फिल्म 'मासूम सवाल' पहली बार इसे एक नए नजरिए से पेश करती है. फिल्म का ट्रेलर लॉन्च कर दिया गया है. इसकी कहानी दिल झकझोर देने वाली है.
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Raja Parba: 'धरती मां को पीरियड्स होने पर' ओडिशा में लड़कियों का तीन दिनी पर्व
ओडिशा का रज या रजो फेस्टिवल (Odisha raja festival) यह बताने के लिए काफी है कि नारी का अस्तित्व क्या है. असल में यह त्योहार धरती मां की माहवारी होने की खुशी में मनाया जाता है. इस त्योहार में लड़कियां तीनों दिनों तक जश्न मनाती हैं.
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