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Updated: 29 सितम्बर, 2022 09:47 PM
Neetu Titaan
 
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पीरियड्स हो गए तो तुम अचार मत छूना, मंदिर में पैर न रखना. ऐसी तमाम तरह की बातें मासिक धर्म के दौरान सुननी ही नहीं होती बल्कि निराधार होते हुए इनका पालन भी करना पड़ता है. घर में सभी लड़कियों ने दादी, नानी, चाची, मौसी या अपनी मां को यह निर्देश देते जरूर सुना होगा कि पीरियड के दिनों में अचार की बरनी को नहीं छूना है, क्योंकि छूने पर अचार खराब हो जाएगा. लेकिन इसके इतर सच्चाई यह है कि मासिक धर्म यानी पीरियड्स से अचार का कोई तालमेल ही नहीं है. भला मात्र छूने से कोई चीज कैसे ख़राब हो सकती है.

उसी तरह मंदिर जाने को लेकर भी पीरियड्स में मनाही होती है. भारतीय समाज में बच्चों को भगवान की देन माना जाता है. लेकिन गौर करने वाली बात है कि बच्चे भी तभी होते हैं जब महिलाओं को पीरियड्स होते हैं. ऐसे में ये तर्क बड़ा ही बेतुका है कि पीरियड्स में मंदिर नहीं जाना चाहिए, अब पीरियड्स भी तो भगवान की ही देन है.
 
गौरतलब है कि लड़कियों को पीरियड्स आना एक नेचुरल प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन आज तक पीरियड्स को लेकर अंधविश्वास खत्म नहीं हुआ है. आज भी दुनियाभर में कहीं तो पीरियड्स होने पर खुशियां मनाई जाती हैं तो कहीं इस पर दुःख जाहिर किया जाता है. यही कारण है कि दुनियाभर में इससे जुड़े कई रीति-रिवाज बनाए गए हैं जो आज भी जताते हैं कि पीरियड्स को लेकर सोच में कितना बदलाव हुआ है.
 
Periods, Delay periods, Late Periods, Period shamingआज भी ऐसे कई देश हैं, जहां पीरियड्स के दौरान लड़कियों को अछूत की श्रेणी में डाल दिया जाता है
 
भेदभाव और दुर्व्यवहार की अति का ये आलम है कि उन्हें खाने से लेकर सोने तक की अलग व्यवस्था करके दी जाती है. दूसरी तरह कुछ ऐसे भी देश हैं जहां लड़कियों को पीरियड्स आने पर त्योहार की तरह जश्न मनाया जाता है. उस दिन घर में खास तरह के पकवान बनाए जाते हैं. आइये जानते हैं कहां उत्सव है पीरियड्स और कहां मातम... 
 
साउथ इंडिया
 
विविधताओं के देश भारत में पीरियड्स को लेकर एक नहीं अनेकों अनूठी संस्कृतियां देखने को मिलती है. एक तरफ भारत का वो हिस्सा है जहां पीरियड्स में लड़कियों के साथ भेदभाव और दुर्व्यहार होता है. उन्हें अछूत तक मान लिया जाता है. वहीं दूसरी तरफ वो हिस्सा है जो इस पड़ाव को खुशियों के साथ त्योहार की तरह सेलिब्रेट करता है. 
 
जैसे भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में पीरियड्स को त्योहार की तरह मनाया जाता है. इस त्योहार को मंजल निरातु विजा कहा जाता है. पूरी भव्यता के साथ एक समारोह किया जाता है. रिश्तेदारों को निमंत्रण दिया जाता है. लड़की के चाचा द्वारा नारियल आम और नीम के पत्तों से एक झोपड़ी बनाई जाती है इसके उपरांत लड़की को हल्दी के पानी से स्नान कराया जाता है. बाद में लड़की झोपड़ी में रहती है. रेशम की साड़ी पहनाई जाती है और कई तरह के खास पकवान बनाए जाते हैं. बाद में झोपड़ी को हटा दिया जाता है. 
 
इंडोनेशिया 
 
इंडोनेशिया में पीरियड्स के दौरान महिला को रसोई में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है, और न ही उसे मासिक धर्म के दौरान अपने पति के साथ यौन संबंध बनाने की अनुमति है. उसे परिवार से अलग सोना होता है और उसे मासिक धर्म के दौरान पहने जाने वाले कपड़ों को मंदिर में पहनने वाले किसी भी कपड़े से दूर रखना होता है. सबसे महत्वपूर्ण नियमों में से एक यह है कि मासिक धर्म के दौरान एक महिला को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है.  
 
इजरायल 
 
पीरियड्स को लेकर इज़राइल में भी अनोखा रिवाज है यहां लड़की को पीरियड्स होने पर शहद चटाया जाता है. क्योंकि माना जाता है इससे पीरियड्स में होने वाली परेशानियों से उसे निजात मिलेगी. हालांकि कुछ निजात मिलती है या नहीं पुष्ट नहीं है. लेकिन मान्यता होने के चलते सभी लड़कियों को यह करना होता है. 
  
ब्राजील
 
ब्राजील अपने पर्यटन और टूरिस्ट डेस्टिनेशन के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. पीरियड्स को लेकर यहां एक अनोखा सा रिवाज है. यहां जब लड़की को पहली बार पीरियड्स शुरू होते हैं तो वो किसी ब्रेकिंग न्यूज़ से कम नहीं होती है. इस बात की खबर सभी लोगों से साझा की जाती है. लड़की के दोस्त परिवार को इस बारे में जानकारी दी जाती है. यहां पीरियड्स पर सेलिब्रेशन का माहौल होता है. 
 
श्रीलंका
 
श्रीलंका में पीरियड्स को लेकर एक रस्म होती है जो मासिक धर्म के पहले दिन से शुरू होती है और थोड़ी बहुत यौन शिक्षा प्राप्त करने के साथ समाप्त होती है. इस रस्म के दौरान लड़की को अकेला नहीं छोड़ा जाता है, हमेशा उसके साथ एक अन्य लड़की होती है, और अगर वह लड़की दूर होती है तो वह लड़की के साथ लोहे की कुल्हाड़ी छोड़ती है ताकि अनुष्ठान में बाधा पहुंचाने वाली नेगेटिव एनर्जी को रोका जा सके. प्रक्रिया का यह हिस्सा अनुष्ठान के अधिकांश भाग के पूरा होने के बाद तीन महीने तक जारी रहता है. 
 
दक्षिण एशिया 
 
दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में मासिक धर्म वर्जित है, इसे अशुद्ध माना जाता है. आवाजाही, व्यवहार और खाने पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं. 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, दक्षिण एशिया में एक तिहाई से अधिक लड़कियां मासिक धर्म के दौरान स्कूल नहीं जाती हैं. 
 
जापान
 
दुनिया भर में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विकास करने वाले देश जापान में पीरियड्स को त्योहार की तरह लिया जाता है. यहां कई तरीकों से पीरियड्स को सेलिब्रेट किया जाता है. पीरियड्स होने वाली लड़की की मां इस दिन सेकीहान नामक ट्रेडिशनल डिश बनाती है. सेकीहान स्टीकी राइस और रेड बीन्स की एक मिश्रित डिश है. केवल पीरियड्स पर ही जापान में यह डिश बनाई जाती है, ताकि घर के अन्य सदस्यों को इस बारे में जानकारी हो जाए कि परिवार के सदस्य को पीरियड्स हो गए हैं. 
 
नेपाल 
 
नेपाल में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अलग-थलग रखा जाता है, मासिक धर्म आने वाली महिलाओं को तीन रातों तक घर में रहने की अनुमति नहीं होती है. कहा जाता है इस दौरान उन्हें एक झोपडी या जानवरों के बाड़े में रखा जाता है. वैसे तो इस प्रथा को 2005 में नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन अभी भी जारी है. पीरियड्स में उन्हें पुरुषों और अन्य लोगों से मिलने नहीं दिया जाता है. भगवान की मूर्तियां उनकी पहुंच से दूर रखी जाती हैं. इस नेपाल में चौपड़ी प्रथा कहा जाता है. इस प्रथा से जुड़ा एक अंधविश्वास है कि भगवान इंद्र ने पीरियड्स को श्राप माना था. और तो और अंध विश्वास इतना है कि कहा जाता है पेड़ को छूने पर फल पेड़ देना बंद कर सकता है और पुरुष को छुए तो वो रोगी हो सकता है. 
 
उत्तरी अमेरिका
 
उत्तरी अमेरिका में मूल अमेरिकी जनजातियां पीरियड्स होने पर द सनराइज सेरेमनी नामक उत्सव  मनाती हैं और युवावस्था में पहुंचने वाली लड़की को उपहार और बधाई दी जाती है.
 
फिजी 
 
फिजी में पहली बार पीरियड्स होने पर देश के कुछ समुदाय लड़कियों के लिए एक विशेष चटाई बिछाते हैं और उसे बैठाकर पीरियड्स के बारे में जानकारी दी जाती है. यहां पीरियड्स के चौथे दिन को 'टुनुद्र' (tunudra) नामक एक डिश बनाते हैं. यहां के परिवार अपनी बेटियों के नारीत्व में प्रवेश का जश्न मनाने मानते हैं.
 
आइसलैंड
 
पीरियड्स को आइसलैंड में एक उत्सव की तरह सेलिब्रेट किया जाता है. पीरियड्स में लड़की की माँ द्वारा बेटी के लिए केक बनाया जाता है और बेटी को खिलाया जाता है. लेकिन ये केक अन्य केकों की तरह साधारण नहीं होता है. ये लाल और सफ़ेद रंग का होता है. इन रंगों का अर्थ लड़की के जीवन के नए माइलस्टोन से होता है. यानी अब वह परिपक्व है और उसे अब अपने जीवन में आगे बढ़ना है. 
 

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लेखक

Neetu Titaan

लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं, और कविताएं लिखने की शौकीन हैं. फिलहाल हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र (द संडे पोस्ट) में पत्रकार और उप संपादक के तौर पर जुड़ी हुई हैं.

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