सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

पूर्वोत्तर में बीजेपी की धमाकेदार वापसी पीएम मोदी की मेहनत का नतीजा है!
2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था, तो उस समय केवल सात ही राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगियों की सरकार थी. वहीं, कांग्रेस और उसके सहयोगी 14 राज्यों में सत्ता में थे. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी के जनकल्याणी नीतियों और संकल्पों को जनमानस द्वारा एक अभूतपूर्व स्वीकार्यता मिली है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

ममता बनर्जी की मजबूरी है 'एकला चलो' और जिम्मेदार तो राहुल गांधी भी हैं
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) करें भी तो क्या करें? आने वाले आम चुनाव (General Election 2024) में अकेले उतरने के अलावा कोई रास्ता भी तो नहीं बचा था - और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का हालिया रवैया तो देखने के बाद तो तमाम क्षेत्रीय नेताओं का ऐसा ही रुख देखने को मिल सकता है.
ह्यूमर | 4-मिनट में पढ़ें

राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से देश नहीं जुड़ा, पूर्वोत्तर तो बिल्कुल भी नहीं!
नागालैंड में 1, मेघालय और त्रिपुरा में 60-60 सीटों में से कांग्रेस पार्टी ने 4 सीटों पर लीड दर्ज की है. तीनों ही राज्यों में जैसी परफॉरमेंस कांग्रेस की रही, साफ़ हो गया कि भले ही राहुल गांधी की इमेज बिल्डिंग हो गयी हो लेकिन भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ. यात्रा अपने से देश को नहीं जोड़ पाई. पूर्वोत्तर को तो बिल्कुल भी नहीं.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | बड़ा आर्टिकल

अमित शाह क्या कर्नाटक की बोम्मई सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं?
अमित शाह (Amit Shah) का कैंपेन देख कर ऐसा लगता है, जैसे कर्नाटक में कोई गैर-बीजेपी सरकार हो. तब तो और ज्यादा ताज्जुब होता है, जब वो बसवराज बोम्मई (BR Bommai) की जगह येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) और मोदी के नाम पर बीजेपी को वोट देने को कहते हैं.
समाज | 5-मिनट में पढ़ें

बाल विवाह के खिलाफ समूचे हिंदुस्तान में असम जैसी मुहिम की दरकार है
बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार द्वारा चलाया जा रहा अभियान चर्चा में है. ऐसे अभियान पहले भी विभिन्न राज्यों में खूब चले, लेकिन धीरे-धीरे कमजोर पड़े. पर मौजूदा मुहिम ने फिर से ताकत दी है, नई चेतना जगाई है. इसकी वजह से खलबली हिंदी पट्टी से लेकर पहाड़ी राज्यों तक मची हुई है.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा की राह कितनी आसान?
जल्द ही त्रिपुरा के लिए 13वीं विधानसभा का चुनाव होगा. ये ऐसा राज्य है जो एक वक्त वामपंथी शासन का गढ़ था, लेकिन 2018 के चुनाव में भाजपा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीएम की सत्ता को यहां से उघाड़ फेंका. अब आम लोगों से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के जेहन में ये सवाल गूंज रहा है कि क्या इस बार भाजपा अपनी सत्ता बरकरार रख पाएगी या सीपीएम को फिर से मौका मिलेगा.
सियासत | बड़ा आर्टिकल

विपक्षी एकजुटता के लिए ममता बनर्जी ने तय कर लिया है कि कांग्रेस का क्या करना है
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को समझ में आ चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से पहले कांग्रेस को चैलेंज करना जरूरी है, ताकि विपक्ष में वो पोजीशन हासिल की जा सके. मेघालय स्ट्राइक एक नमूना है - और सोनिया गांधी से न मिलने की एक वजह भी.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें
