सिनेमा | एक अलग नज़रिया | 5-मिनट में पढ़ें
दिलीप कुमार की ये पांच फिल्में नहीं देखी तो क्या देखा, साहब के बिना सिनेमा जगत अधूरा है!
दिलीप कुमार (Dilip Kumar) नहीं होते तो शायद लोगों को बॉलीवुड से इतना प्यार नहीं होता. अदाकारी क्या होती है, साहब के बिना शायद यह किसी को समझ ही नहीं आता. जादूगर भले दुनिया को अलविदा कह गया, लेकिन उनका तिलिस्म अभी भी कायम है और रहेगा.
सिनेमा | 2-मिनट में पढ़ें
दिल को तेरी ही तमन्ना, दिल को है तुझसे ही प्यार... अलविदा दिलीप साहब!
इस खबर के बाद कि सदी के महानतम सितारों में से एक दिलीप कुमार हम सबको छोड़कर जा चुके हैं. फैंस आहत हैं. पर्दे पर जिस तरह दिलीप साहब ने मुहब्बत को उकेरा है वो अपने में बेमिसाल है. चाहे वो देवदास हो या फिर अनारकली की मुहब्बत के लिए ज़माने से लड़ता सलीम ये दिलीप साहब का अभिनय ही है जिसने मुहब्बत को एक नयी परिभाषा दी.
सिनेमा | 7-मिनट में पढ़ें
दिलीप कुमार-राज कपूर की 'जिगरी' दोस्ती, जिसमें खटास पड़ गई
पेशावर की किस्सागो गली के दो मकानों में महज दो साल के फासले से पैदा हुए दो दिग्गज कलाकारों की किस्सागोई जमाने ने बड़े चाव से सुनी है. एक 'Positively Not The End' कहते हुए दुनिया से पहले ही रुखसत हो गया था. दूसरा अपनी लिखी याददाश्त की अलसभोर में फंसे हुए किरदार जीते हुए अब अलविदा कह गया.
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Madhubala: अधूरी मुहब्बत की मुकम्मल दास्तान है 'बॉलीवुड की वीनस' की असल जिंदगी
मधुबाला, जिसके नाम में ही मिठास थी. जिस वैलेंटाइन डे को दुनिया मुहब्बत के दिन के तौर पर मनाती है, उसी दिन मधुबाला का जन्म हुआ था. लेकिन असल ज़िन्दगी में सच्चे प्यार के लिए तरसती रही. चाही तो कलियां लेकिन नसीब में शायद कांटे ही लिखे थे.
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