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अमित शाह, नाम ही काफी है - कहानी एलिसब्रिज सीट पर बीजेपी को मिली प्रचंड जीत पर!
गुजरात विधानसभा चुनावों के तहत भाजपा ने अहमदाबाद की एलिसब्रिज सीट से अमित शाह को टिकट दिया और कमाल हो गया. शाह ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया है. एलिसब्रिज सीट से अमित शाह भाजपा के लिए 80.39 प्रतिशत वोट जुटाने में कामयाब हुए हैं.
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अखिलेश बाबू, समाजवाद के नाम पर आपने कांधल भाई के रूप कैक्टस बोया है...
गुजरात में कुटियाना सीट से, सपा के टिकट पर जीते माफिया कांधल भाई जडेजा को पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बधाई दी है. अखिलेश ने एक ट्वीट किया है और इस जीत को गुजरात में समाजवादी मूल्यों की राजनीति का पौधारोपण बताया है. अखिलेश शायद भूल गएकांधल भाई पौधा नहीं बल्कि जरायम की दुनिया में कैक्टस की तरह है.
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चुनावी विश्लेषणों में मुस्लिम फैक्टर को नजरअंदाज करना बहुदलीय लोकतंत्र के लिए अब जरूरी है
अब हर जेब में इंटरनेट होने की वजह से चुनावों से जुड़ा जितना डेटा किसी पत्रकार, विश्लेषक और पार्टी प्रवक्ताओं के पास हैं- लगभग उतना ही डेटा आम मतदाता के पास भी है. अब अंग्रेजी का भी भौकाल नहीं रहा. इसलिए विश्लेषण के नाम पर फर्जी स्थापनाएं कर पार्टियों को गुमराह ना किया जाए तो ही अच्छा है. मुस्लिम एंगल से विश्लेषण के नाम पर होता क्या है और इसका मकसद क्या है, आइए जानते हैं...
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गुजरात में 'लेडी डॉन' के बेटे कांधल भाई जडेजा के 'टिकट' पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई है!
भौकाली होने के कारण कुटियाना विधानसभा सीट ने हमेशा ही गुजरात में लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. इस बार भी इस सीट ने लोगों के बीच खूब बज पैदा किया. इस सीट पर सपा के कांधल जडेजा ने बीजेपी उम्मीदवार को 5 हजार से ज्यादा वोटों से हराया और अपनी जीत की हैट्रिक पूरी कर ली है.
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Gujarat results: 'हिंदुत्व' पर निशाना साधने से पहले एक नजर मुस्लिम वोटों के बिखराव पर
गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Election Results) में भाजपा (BJP) ने मुस्लिम प्रत्याशियों को एक भी टिकट नहीं दिया था. इसके बावजूद कई मुस्लिम बहुल सीटों (Muslim Dominated Seats) पर भाजपा ने जीत दर्ज की. वहीं, मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने के बावजूद भी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम के हाथ खाली ही रहे.
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राहुल गांधी ने चुनाव के लिए भारत जोड़ो यात्रा से छुट्टी क्यों नहीं ली? गुजरात में होती कम दुर्गति
राहुल गांधी का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि अब जबकि राजनीति में मुसलमान मुद्दा ही नहीं रहे- भारत जोड़ो की थकाऊ यात्रा के बाद किस वोट बैंक के सहारे भविष्य में प्रधानमंत्री बनने का सपना देखेंगे. इस देश का समाज तो दस-बीस रुपये की चीज के लिए तमाम ऑफर चेक कर ही फैसला लेता है. किसी को यूं ही देश की कमान थोड़े दे देगा.
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