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Updated: 09 दिसम्बर, 2022 08:38 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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फासीवाद के दर्शन की नींव रखने वालों में से एक, बेनितो मुसोलिनी ने अपने शासनकाल में इटली का क्या हश्र किया? इसपर कई कई दिनों तक विमर्श चल सकता है. संगोष्ठियां आयोजित हो सकती हैं. लेकिन Socialism या समाजवाद पर मुसोलिनी ने बेहद दिलचस्प बात की थी. मुसोलिनी ने कहा था कि, 'Socialism is a fraud, a comedy, a phantom, a blackmail...' होने को मुसोलिनी की विचारधारा फासीवादी थी. इसलिए ये बात किसी घोर समाजवादी को शायद ही कभी अच्छी लगे. मगर जब हम सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को गुजरात में कुटियाना सीट से, सपा के टिकट पर जीते माफिया कांधल भाई जडेजा को बधाई देते देखते हैं. यकीन हो जाता है कि मुसोलिनी गलत नहीं था. वाक़ई समाजवाद एक आम आदमी या ये कहें कि जनता के साथ राजनीति के नाम पर किया गया एक भद्दा मजाक है.

Akhilesh Yadav, Kandhal Jadeja, Samajwadi Party, Gujarat Assembly Elections, Gujarat, Victory, Tweet, Assembly Electionsगुजरात में सपा के टिकट से जीत के बाद कांधल भाई जडेजा को बधाई देकर अखिलेश ने अपनी खिल्ली खुद उड़ाई है

दरअसल मैनपुरी उपचुनाव में पत्नी डिंपल की रिकॉर्ड तोड़ जीत देखकर भावों में बहे अखिलेश ने गुजरात विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर जीते बाहुबली कांधल भाई जडेजा को ट्विटर पर बधाई दी है. अखिलेश ने ट्वीट किया है कि, 'गुजरात में पोरबंदर की कुटियाना सीट से जीते समाजवादी पार्टी के नव निर्वाचित विधायक श्री कांधल जडेजा को बधाई और शुभकामनाएँ! गुजरात में समाजवादी मूल्यों की राजनीति का पौधारोपण हो गया है.

चूंकि ये पहली बार हुआ कि समाजवादी पार्टी गुजरात पहुंची अखिलेश यादव का उत्साहित होना स्वाभाविक है लेकिन सवाल ये है कि, वो अखिलेश यादव जो ये कह रहे हैं कि कांधल जडेजा के रूप में समाजवादी मूल्यों की राजनीति का पौधारोपण गुजरात में हुआ है. क्या ये भूल गए कि कुटियाना सीट पर कांधल जडेजा का कद कैसा है?

विषय बहुत सीधा है. भले ही गुजरात में खाता खुलने के बाद अखिलेश कॉलर उठा कर और सीना चौड़ा कर घूम रहे हों लेकिन इस बात में भी कोई शक नहीं है कि समाजवाद के नाम पर कुटियाना सीट पर कांधल भाई के रूप में कैक्टस बोया गया है जो अपने कांटों से किसी और को नहीं बल्कि अखिलेश यादव को घायल करेगा.

वाक़ई हैरत होती है ये देखकर कि वो अखिलेश जो लॉ एंड आर्डर के मद्देनजर बड़ी बड़ी बातें करते हैं. यूपी जैसे राज्य में मीडिया के सामने ये बताते हैं कि उनकी पार्टी में अपराधियों की कोई जगह नहीं है (इस कथन में भी कितनी सच्चाई है इसपर बहुत कुछ कहने और बताने की जरूरत नहीं है.)

ऐसे में जब हम अखिलेश को एक ऐसी औरत जिसे गुजरात का लेडी डॉन कहा जाता था और जिसपर 500 से ऊपर मुकदमे दर्ज थे. उसके बेटे, जो खुद एक माफिया है और इलाके में जिसकी टूटी बोलती है को टिकट देते देखते हैं तो हैरत होती है ये देखकर कि जब बात नियम कानूनों की आती है तो बतौर नेता अखिलेश यादव का चाल चरित्र और चेहरा सब अलग है.

जिक्र गुजरात की कुटियाना विधानसभा सीट का हुआ है तो ये बता देना भी बहुत जरूरी हो जाता है कि समाजवादी पार्टी से मिली जीत के बाद कांधल भाई ने इस सीट पर अपनी जीत की हैट्रिक पूरी की है. आपराधिक छवि के कांधल भाई पूर्व में इस सीट से एनसीपी के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं.

इस सीट और अपनी जीत को लेकर कांधल भाई किस हद तक बेफिक्र हैं? इसका अंदाजा उनकी उस बात से भी लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने पहले ही कह दिया था कि इस सीट पर जीत के लिए सिर्फ उनका नाम ही काफी है.

विषय अखिलेश की कांधल भाई को बधाई और उनका ट्वीट है तो हम अखिलेश से इतना ज़रूर पूछेंगे कि अपराध को बढ़ावा देना ही क्या समाजवादी मूल्यों की राजनीति का पौधारोपण है? यदि हां तो बतौर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को पुनर्विचार करने की जरूरत है. बाकी जैसे हालात हैं बार बार अखिलेश पर यही आरोप लगते हैं कि उनकी पार्टी यानी समाजवादी पार्टी वो जगह है जहां अपराधियों का बाहें फैलाकर स्वागत किया जाता है.

भले ही तमाम मौकों पर अखिलेश ने इन आरोपों का खंडन किया हो लेकिन अब जबकि उन्होंने कांधल भाई रुपी कैक्टस को समाजवादी मूल्यों का पैदा बता दिया है साफ़ हो गया है कि उनपर लगने वाले आरोप यूं ही बेवजह नहीं हैं. अखिलेश की कांधल भाई को बधाई ने बता दिया है कि वो खुद पार्टी में अपराध और अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं.

बहरहाल अब जब नौबत अखिलेश द्वारा अपराधियों को चुनाव जीतने पर बधाई देने की आ गयी है तो हम चर्चिल द्वारा समाजवाद को लेकर दिए गए उस कोटेशन से अपनी बातों को विराम देंगे जिसमें चर्चिल ने बहुत पहले ही कह दिया था कि Socialism is a philosophy of failure, the creed of ignorance, and the gospel of envy, its inherent virtue is the equal sharing of misery.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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