समाज | बड़ा आर्टिकल

प्रिये प्रियतमा, आज एकबार फिर तुम्हारी नगरी में हूं...
किसी बस स्टॉप पर बस के रूकने पर जब वो परचून वाला चढ़ता तो हमदोनों के ही जीभ लपलपा उठते थे और हमदोनों जी भरकर फिर अपना बचपन जीते. अबकी भी अभी उसी बस में बैठा हूं, पर अकेला. तुम नहीं हो साथ मेरे. पिछली सीट पर ही हूं और बस की उछल-कूद जारी है. पर इसबार बचपन नहीं, तुम्हारे साथ बिताए वो सारे पल जी रहा हूं.
सियासत | 2-मिनट में पढ़ें

उच्च न्यायालय ऐसे कैसे प्रो रेपिस्ट आदेश दे सकती है ?
क्या न्यायाधीश की आस्था 'Marry your Rapist Law' में हैं ? सो जब पीड़िता के वकील ने कहा कि वह मांगलिक नहीं है तो उन्होंने दोनों पक्षों की सहमति से लड़की की कुंडली चेक कराने की ठान ली ताकि आरोपी को उससे शादी करने का आदेश देकर मामले का पटाक्षेप कर दें.
सियासत | 5-मिनट में पढ़ें

'ये पंजाब है भारत नहीं,' स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानियों का खुला खेल फिर शुरू हो गया है!
तो क्या अमृतसर स्थित गोल्डन टेम्पल का स्टाफ ने मान बैठा है कि पंजाब, भारत का हिस्सा नहीं है? सवाल इसलिए क्योंकि चेहरे पर तिरंगा लगाकर स्वर्ण मंदिर में एंट्री करने वाली लड़की के साथ जो हुआ, उसने गोल्डन टेम्पल के प्रशासन की नीयत पर सवालिया निशान लगा दिए हैं.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

दिल्ली मेट्रो गर्ल ने जो चाहा था उसे मिल गया, हमने और आपने ही मदद की है!
दिल्ली मेट्रो गर्ल रिदम अब फेमस हो चुकी हैं. गूगल पर उनके बारे में खोजा जा रहा है. उनके नाम के कीवर्ड्स मौजूद हैं. लोग उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो कर रहे हैं. इंस्टाग्राम से उनकी तस्वीरें और वीडियो निकालकर वायरल कर रहे हैं. लोग उन्हें देखना चाहते हैं...यानि छोटे कपड़े पहनकर वे जो करना चाहती थीं वो देर सबेर हो ही रहा है.
सोशल मीडिया | 5-मिनट में पढ़ें
सोशल मीडिया | 5-मिनट में पढ़ें

दिल्ली मेट्रो गर्ल Vs हरियाणवी महिला का सबक: इंटरनेट पर वायरल सेंसेशन दो समाज के प्रतीक हैं
चाहे वो बिकनी पहन कर घूमने वाली दिल्ली मेट्रो गर्ल हो. या मेट्रो में ही अश्लीलता फैलाने वाले कपल को नसीहत करती बुजुर्ग महिला. ये दोनों ही दो अलग तरह के कैरेक्टर हैं और समाज के दो बिलकुल विपरीत चेहरे दिखाते हैं. इनमें से एक इंसान को अपनी हदों में रहने की वकालत करता है. जबकि दूसरा माय बॉडी माय चॉइस पर ऐसा बहुत कुछ करता है जो नहीं होना चाहिए.
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें
समाज | एक अलग नज़रिया | 2-मिनट में पढ़ें