सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें

Kanwar Movie Review: आस्था के बहाने स्याह पक्ष उभार गई 'कावड़'
यह फिल्म कावड़ के बहाने से हमारे समाज की दूषित सोच को उजागर करती है. एक और बाबा बेहद गंदे शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है. वे तमाम लड़के जो कावड़ ला रहे हैं वे भी बीच-बीच में एक दूसरे को गालियां देते नजर आते हैं. अपने को सभ्य समाज का सभ्य नागरिक समझने वाले ये लोग अंदर से कितने मैले हो चुके हैं यह फिल्म बताती है.
समाज | 4-मिनट में पढ़ें

गंगा विलास रिवर क्रूज़ अति धनाढ्य वर्ग को ख़ुश करने की कोशिशें भर नहीं हैं?
समुद्र विशाल होता है. इतना विशाल कि गंगा जैसी सैकड़ों नदियां उदरस्थ कर लेता है और आह भी नहीं भरता. केवल 270 क्रूज़ शिप के बाद उस समंदर के हालात ऐसे हैं तो गंगा की दशा क्या होगी? जनवरी 2021 में उत्तर प्रदेश का जल बोर्ड गंगा के पानी को पीने योग्य जल की सूची से बाहर कर चुका है. गंगा का प्रदूषण इतनी बड़ी समस्या बन चुकी है कि अलग से नमामी गंगे विभाग का गठन किया गया है.
सियासत | 6-मिनट में पढ़ें

मोदी के हिंदुत्व के आगे राहुल गांधी का हिंदू कार्ड गंगा में डूब गया, क्योंकि...
राहुल गांधी यदि सही हैं तो मोदी की तरह जनता के दिलों में अपील क्यों नहीं करते? राहुल गांधी का 'हिंदू सच' शराब की दुकान पर बैठकर भजन गाने जैसा क्यों दिखाई देता है? राहुल गांधी सच, प्रेम करुणा, भाईचारा बोलते वक्त इतने ग़ुस्से और आक्रोश में रहते हैं कि ये शब्द अपनी संवेदनाएं खो देते हैं.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें

बेटियों का मुखाग्नि देना, ऐसा सामाजिक बदलाव हिन्दू धर्म में ही संभव है
दोनों बेटियों ने समाज की रवायतें तोड़ते हुए अपने माता-पिता को मुखाग्नि दी और पूरे रीति-रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया. बेटियों ने अपने माता-पिता को एक ही चिता पर मुखाग्नि देने की बात कही, जिसका पालन भी किया गया. इतना ही नहीं दोनों बेटियों ने हरिद्वार जाकर अपने माता-पिता की अस्थियों को मां गंगा में प्रवाहित किया. हिन्दू धर्म के लचीलेपन की यही खासियत है.
समाज | 6-मिनट में पढ़ें
समाज | 6-मिनट में पढ़ें
समाज | 3-मिनट में पढ़ें

वो अभागे बिहारी जिनको न जीते जी आराम मिला, न मरने के बाद मिट्टी...
अब इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इस कोविड के दौर में, अगर कोई राज्य सबसे ज्यादा ख़राब स्थिति में है तो वो बिहार है. सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और जनता मरने को मजबूर है. जैसे हालात हैं न लोगों को इलाज और ऑक्सीजन ही मिल पा रहा है और न ही मरने के बाद शमशान और कब्रिस्तान.
समाज | 3-मिनट में पढ़ें

'आजादी के दीवानों' ने डाली कानपुर में सात दिनों तक चलने वाली होली की अनोखी परंपरा
कानपुर में गंगा मेला तक होली खेलने की परंपरा 1942 में अंग्रेजों के विरोध में पड़ी थी. किसी समय 'पूरब का मेनचेस्टर' कहे जाने वाले कानपुर का हटिया बाजार का इलाका व्यापारियों के साथ ही आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने वाले क्रांतिकारियों का भी डेरा माना जाता था.
ह्यूमर | 7-मिनट में पढ़ें
