
शरत कुमार
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सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

क्यों कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव छलावा है और अगला अध्यक्ष रबर स्टंप ही होगा
उत्तर भारत में सबसे ज़्यादा वोट हैं. सभी राज्य के वोटरों ने प्रस्ताव पास कर राहुल गांधी को फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए भेज दिया है. तो फिर तय है कि जिसे गांधी परिवार चाहेगा वही अध्यक्ष बनेगा. यानी गांधी परिवार अध्यक्ष नहीं बनना चाहे तो उनका नॉमिनी ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है. अब यह चुनाव छलावा नहीं तो और क्या है?सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में आखिर चल क्या रहा है?
गांधी परिवार किसी भी सूरत में पार्टी पर कब्जा नहीं छोड़ना चाहता है. परिस्थितियां प्रतिकूल होने लगी तो राहुल गांधी चुना हुआ अध्यक्ष बनने को तैयार हो सकते हैं. और अगर वो नहीं मानें तो प्रियंका गांधी को आगे कर सबको चुप कराया जा सकता है. दरअसल कांग्रेस के संविधान के अनुसार अध्यक्ष के चुनाव से पहले पार्टी के संगठनात्मक चुनाव पूरे हो जाने चाहिए.सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

Kashmir Files: भारत में मुस्लिम शासन के दौरान हिंदू अत्याचार की प्रयोगशाला रहा है कश्मीर
विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स की रिलीज के बाद घाटी में हिंदुओं पर हुए अत्याचार को लेकर बहस तेज हो गयी है लेकिन जब हम कश्मीर के इतिहास पर नजर डालें तो मिलता है पूर्व में भी ऐसा बहुत कुछ हो चुका है जो बताता है कि कश्मीर का इतिहास डरावना है.सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

Russia-Ukraine War की जड़ रूस-अमेरिकी विवाद में पर्दे के पीछे ग्रेट ब्रिटेन रहा है!
आधी दुनिया पर राज करने वाले ब्रिटिश शासन का खात्मा हो गया मगर दुनिया की इस 'मंथरा' ने जो रायता फैलाया है उसे पूरी दुनिया भुगत रही है.ताजा मामला रूस और यूक्रेन युद्ध का है. यदि आज दोनों देश एक दूसरे के खून के प्यासे हैं तो वजह ब्रिटेन ही है.सियासत | 6-मिनट में पढ़ें
सियासत | 10-मिनट में पढ़ें

हार के बाद कांग्रेसियों में सुगबुगाहट है,'मोदी से सीखिए वर्ना बख्श दीजिए'!
पांच राज्यों में किला फ़तेह करने के बाद पीएम मोदी और उनकी पूरी टीम ने Gujarat Assembly Elections के लिए कमर कस ली है. पीएम इसी सिलसिले में गुजरात में हैं. कांग्रेस और भाजपा में यही मूल अंतर है. कांग्रेस और राहुल गांधी शायद ही कभी इस तरह की मेहनत कर पाएं.सियासत | 8-मिनट में पढ़ें

Russia-Ukraine Conflict: मिस्टर बाइडेन! यह मसला वोट का नहीं, भरोसे का है...
खुद यूक्रेन को अकेला छोड़ कर किनारे बैठकर धमकियां दे रहे अमेरिका पर भारत भरोसा कैसे करे कि वह मुसीबत में साथ खड़ा रहेगा. इसलिए भारत की यह रणनीति बिलकुल सही और साफ़ है कि ओल्ड इज़ गोल्ड, नया नौ दिन पुराना सौ दिन.पुराने और भरोसेमंद मित्र को छोड़कर नए की तलाश करना भारत के हित में नहीं होगा.सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

Ukraine special 4: क्या है पुतिन का व्लादिमीर प्लान, कौन है इस प्लान के पीछे?
पुतिन पश्चिमी मीडिया को Bunch of Lies कहते हैं मगर यह पूरा असत्य नहीं है. वैसे रूस कम्युनिस्ट देश रहा है मगर असल में वह कभी नास्तिक नहीं बन पाया. कम्युनिस्ट पतन से पनपे पुतिन रूस के धार्मिक उपदेशक शेवकुवनोव के सोहबत में रहते हैं जिसने सबसे पहले रूसी जनता को पुतिन के लिए पुतिन से ज़्यादा व्लादिमीर बोलने और पुकारे जाने की रणनीति बनाई.सियासत | 7-मिनट में पढ़ें

Ukraine special 3: रूस-यूक्रेन युद्ध मुहब्बत और जंग की कहानी है...
Russia Ukraine Conflict को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं लेकिन हमें इस बात को समझना होगा कि रूस और यूक्रेन के युद्ध में मुहब्बत भी है और अदावत भी है. कैसे ? इतिहास है जिसमें ऐसा बहुत कुछ है जो बता रहा है कि संघर्ष के बीज सदियों पहले बोये गए थे.सियासत | 9-मिनट में पढ़ें

Ukraine special 2: शीत युद्ध की साज़िशों की विरासत है यूक्रेन-रूस युद्ध!
1954 में रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन को गिफ़्ट कर दिया जबकि केवल 22 फ़ीसदी क्रीमियन यूक्रेनी है. इसके बाद यूक्रेन के रहने वाले लियोनेड ब्रेझनेव सोवियत संघ के कम्युनिस्ट सेक्रेटरी बने. यूक्रेनियन के सोवियत संघ के मुखिया बनने पर दोनों इलाकों में जमकर जश्न मना. सोवियत संघ को अमेरिका-यूरोप के यूक्रेनी प्रोपोगांडा से निबटने और यूक्रेन का दिल जीतने की कोशिश के तौर पर इसे देखा गया.सियासत | 9-मिनट में पढ़ें

Ukraine special 1- यूक्रेन में अमेरिका-यूरोप और रूस के ग्रेट गेम की कहानी...
यूक्रेन और रूस के युद्ध पर तमाम तरह की बातें हो रही हैं लेकिन उससे पहले हमें ये समझना होगा कि दोनों मुल्कों के बीच भी फैली जटिलाएं कोई एक दिन की देन नहीं हैं. इसके बीज बहुत पहले ही डाले गए थे. बाकी चाहे यूक्रेन हो या रूस उन्हें ये भी समझना होगा कि युद्ध शुरू करना आसान है मगर ख़त्म करना बेहद मुश्किल है.सियासत | 10-मिनट में पढ़ें
