ह्यूमर | 4-मिनट में पढ़ें
अंबानी ने दोस्त को 1500 करोड़ का घर दे दिया, अपने साथी पहनने को शर्ट तक नहीं देते
भई वाह.दोस्त हो तो मुकेश अंबानी जैसा। जो दूसरे दोस्त मनोज मोदी को 1500 करोड़ का घर यूं ही गिफ्ट कर दे. इधर एक हमारे दोस्त हैं, जिनसे किसी शादी में पहनने के लिए सूट या कोई बढ़िया फॉर्मल शर्ट मांग लो तो उन्हें मिर्गी के दौरे आने लग जाते हैं. दोस्ती धरी की धरी रह जाती है. मुंह बंद हो जाता है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
मां की ममता सबको दिखती है पिता का दर्द किसी को महसूस क्यों नहीं होता?
वे लोग झूठे हैं जो यह कहते हैं कि पुरुष रो नहीं सकते, उन्हें दर्द नहीं होता. जबकि सच यह है कि एक पिता का दिल पत्थर का नहीं होता है, वह अपने बच्चों के लिए वह सब करता है जो कर सकता है. वह अपने परिवार को हर खुशी देना चाहता है. इसलिए दिन-रात मेहनत करता है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
जो लोग कहते हैं कि पुरुष सैक्रिफाइस नहीं करते हैं, वे झूठ बालते हैं
यह धारणा गलत है कि सारा त्याग लड़कियां करती हैं. ऐसा कहने वाले शायद किसी जिम्मेदार शादीशुदा पुरुष से नहीं मिले हैं. पुरुष भी त्याग करते हैं. कभी बहन, कभी पत्नी, कभी मां तो कभी बेटी के लिए वो भी कुर्बानियां देते हैं. वो परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए दिन रात काम करते हैं.
समाज | एक अलग नज़रिया | 4-मिनट में पढ़ें
बेटी तुम्हें हमारी तरफ से आजादी है मगर इन बातों का ध्यान रखना
कई माता-पिता अपनी बेटियों को भी उतना ही प्यार दुलार देते हैं जितना बेटों को. वे बेटियों की शिक्षा में कोई कमी नहीं करते हैं. वे चाहते हैं कि उनकी बेटी पढ़लिख कर कुछ बने और अपने पैरों पर खड़ी हो. वे अपनी बेटी को आजादी तो देते हैं मगर कंडीशन अप्लाई के साथ और यहीं पर वे गलती करते हैं.
ह्यूमर | 5-मिनट में पढ़ें
दुआ है कि हीरे का पेंडेंट चोर के पेट में ही रहे, ये मीठी ईद पर बिरयानी पकाने की सजा है
चेन्नई में ईद की दावत के दौरान जेवरात की चोरी हुई. पता चला कि एक मेहमान बिरयानी संग जेवरात निगल गया. पुलिस अपना काम कर रही है, लेकिन हमारी नजर 'ऊपरवाले' के इंसाफ पर है. जिसने त्योहार ठीक से न मनाने वालों को शायद एक सबक दिया है.
ह्यूमर | 4-मिनट में पढ़ें
Alia-Ranbir Wedding से जुड़े वो सवाल जो IAS-PCS नहीं, लेकिन समाज में रहने काबिल बनाएंगे!
Alia-Ranbir Wedding : के मद्देनजर सवालों की लंबी फेहरिस्त है जो किसी आम भारतीय के जेहन में है. यूं तो इन सवालों का न सिर है. न पैर, लेकिन सवाल हैं, और जब किसी आम भारतीय के संदर्भ में हों तो फिर इनपर बात हर सूरत में होगी ही.
संस्कृति | 6-मिनट में पढ़ें
ह्यूमर | 6-मिनट में पढ़ें
यकीन मानिये, कबाब में हड्डी से कहीं ज्यादा बुरा है चाय में रूहअफजा!
फ्यूजन के नाम पर क्या कुछ हो रहा है उससे हम वाकिफ हैं. कपड़ों का और म्यूज़िक के फ्यूज़न के साथ फूड फ्यूज़न का नया शगल क्या क्या दिन दिखा रहा है. बाकी सब बर्दाश्त किया.नज़रंदाज़ किया पर चाय! यकीन करें अब तो ये मामला इश्क को रुसवा करने जैसा है.
समाज | एक अलग नज़रिया | 3-मिनट में पढ़ें




