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Punjab Election 2022: सूबे की इन 6 सीटों पर दिग्गजों की साख दांव पर
पंजाब चुनाव 2022 (Punjab Election 2022) इस बार बहुकोणीय होने का अंदाजा लगाया जा रहा है. इस चुनाव में कांग्रेस के सीएम फेस चरणजीत सिंह चन्नी, भाजपा गठबंधन के कैप्टन अमरिंदर सिंह, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, नवजोत सिंह सिद्धू, भगवंत मान समेत कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. आइए सूबे की 6 हॉट सीटों पर डालते हैं एक नजर...
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बेअदबी से पंजाब में होता है सत्ता परिवर्तन! क्या इस बार भी होगा?
माना जाता है कि 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में अकाली दल (Akali Dal) और भाजपा (BJP) गठबंधन की सरकार जाने के पीछे 'बरगाड़ी बेअदबी कांड' (Sacrilege) ने अहम भूमिका निभाई थी. कांग्रेस (Congress) शासन में भी ऐसे कई मामले हो चुके हैं, जिनकी वजह से पार्टी बैकफुट पर है.
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मोदी के 'मास्टर स्ट्रोक' से पंजाब में बढ़ी बीजेपी सरकार की संभावना!
कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के फैसले का फायदा तो सबसे ज्यादा पंजाब में लग रहा है - कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) तो बीजेपी के साथ हैं ही, एनडीए में अकाली दल (Akali Dal) की वापसी का रास्ते भी साफ हो गया है.
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जानिए, पंजाब चुनाव में कितनी ताकतवर होगी कैप्टन अमरिंदर सिंह की बागी ब्रिगेड
अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) के नई पार्टी बनाने की घोषणा के साथ ही कांग्रेस (Congress) उन पर हमलावर हो गई है. क्योंकि, कांग्रेस को पता है कि अमरिंदर सिंह पंजाब (Punjab Elections 2022) में सरकार ना भी बना सके, तो कम से कम कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करवाने की ताकत रखते ही हैं.
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कैप्टन अमरिंदर सिंह का पीएम मोदी को 'थैंक यू' कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व तक कैसे पहुंचा?
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने से लेकर राम मंदिर मुद्दे तक कई मामलों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की लीक से हटकर अपना अलग स्टैंड रखा है. देश से जुड़े मामलों पर अमरिंदर सिंह की राय हमेशा से ही निजी रही है. वो हर मामले पर कांग्रेस के 'यस मैन' नहीं कहे जा सकते हैं.
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किसानों के नाम पर बन रहे राजनीतिक मोर्चे की तो नींव ही कमजोर है
किसानों के भारत बंद (Farmers Protest Bharat Bandh) को गैर-बीजेपी दलों का सपोर्ट मिलने लगा है - अकाली दल (Akali Dal) ने मौका देख कर एक राष्ट्रीय मोर्चा (Political Front against BJP) की पहल की है, लेकिन मोर्चा का जो प्रस्तावित मॉडल है उसकी नींव ही कमजोर लगती है.
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अकाली दल के रूठ जाने से भाजपा चिंतित भी, संतुष्ट भी!
एनडीए (NDA) से अलग होकर शरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) को क्या नफा नुकसान होगा यह तो वक्त तय करेगा. लेकिन इसका अंदेशा भाजपा (BJP) को काफी पहले ही हो गया था और भाजपा अपनी तैयारियों में पहले से ही व्यस्त है. मौजूदा वक्त में दोनों ही पार्टियों में चिंता है लेकिन किसान आंदोलन (Farmer Protest) ही दोंनो पार्टियों का भविष्य तय करेगा.
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