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Uttarakhand flood: ग्लेशियरों के संकेतों को न भांपने का ख़ामियाज़ा
तपोवन में मचा कोहराम हमारी हठधर्मिता और नकारेपन का नतीजा है. केदारनाथ हादसे के बाद भी हमने कोई सबक नहीं सीखा. अब भी अगर हम सतर्क नहीं हुए, तो कुछ अंतराल के बाद अगली तबाही झेलने के लिए फिर से तैयार रहना चाहिए. कुदरत ने दूसरी बार अपने रुद्र रूप से हमें परिचय कराया.
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Uttarakhand Glacier Burst: प्रकृति ने तो पहाड़ों पर से इंसानी अतिक्रमण ही साफ किया है!
उत्तराखंड के ग्लेशियर का इस तरह से पिघलना और हिमस्खलन और चट्टानों का दबाव को न सह पाना मानव की इस क्षेत्र में अतिशय छेड़खानी का ही परिणाम है. जब-जब ये छेड़खानी अपनी हदें लांघेंघी, प्रकृति अपने हिसाब से अपनी बात रखेगी.
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उत्तराखंड से बुरी खबर आने का सिलसिला रुकना फिलहाल तो मुमकिन नहीं!
उत्तराखंड के ग्लेशियरों के मुंह पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट के जरिये बांध बनाए जा रहे हैं. इसके लिए व्यापक स्तर पहाड़ों को काटा जा रहा है. हिमालयी पर्वत श्रृंखला को बहुत अधिक सुरक्षित पर्वतों में नहीं रखा जाता है. इन तमाम बड़े प्रोजेक्ट की वजह से ऐसे हादसे भविष्य में और अधिक बढ़ सकते हैं.
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