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फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
इतिहास से लेकर मुग़ल ए आज़म पिक्चर तक 'पास्ट' हमें यही बताता है कि मुद्दा जब मुहब्बत हो, तो चर्चा में आता ज़रूर है. क्या पता कल की तारीख में इश्क़ के नाम पर हमारा सिरफिरापन ट्विटर या इंस्टाग्राम पर ट्रेंड ही कर जाए और सोशल मीडिया वाली इस क्रांति के दौर में हम भी पाव भर या आधा किलो फेमस हो जाएं.
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आखिर परायापन क्यों झेल रही हैं महिला एथलीट?
भारतीय महिला एथलीट्स को अभी लंबा सफर तय करना है. महिला एथलिटों को देश-दुनिया की लड़कियों के लिए मिसाल ही नहीं बनना है, महिला एथलिटों को लेकर पुरुषवादी मानसिकताओं के द्वन्द को भी तोड़ना है. कुल मिलाकर अपने घर के आंगन से निकलीं और मैदान मार लेने वाली महिला एथलिटों के पक्ष में खड़ा होने की जरूरत है.
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पेले होने का मतलब
पेले ने अपने करियर में 760 गोल किए थे. इनमें से 541 लीग चैम्पियनशिपों में किए गए थे, जिसके कारण वे सर्वकालीन सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी माने जाते हैं. कुल मिलाकर पेले ने 1363 खेलों में 1281 गोल किए. हालांकि इनके आंकड़ों को चुनौती भी मिलती है. लेकिन निर्विवाद में महान खिलाड़ी थे.
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RIP Pele: खिलाड़ी जिसके जैसा न कोई हुआ है और न आगे कभी होगा...
फुटबॉल लेजेंड्स में शुमार पेले ने 82 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. कई किस्से हैं जो पेले के जीवन से जुड़े हैं. ऐसा ही एक किस्सा तब का है जब नवम्बर 1969 में पेले ने मराकाना स्टेडियम में वास्को के विरुद्ध खेलते हुए अपना 1000वां कॅरियर गोल किया. तब 20 मिनटों के लिए खेल रोक दिया गया और इस अभूतपूर्व उपलब्धि का जश्न मनाया गया था.
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कब कोई बनता है मेसी या एम्बाप्पे?
बड़े खिलाड़ी का यही सबसे बड़ा गुण होता है कि वे खास मैचों या विपरीत हालातों में छा जाते हैं. लियोनेल मेसी तथा किलियन एम्बाप्पे ने फीफा कप के फाइनल मैच में लाजवाब खेल का प्रदर्शन किया. मेसी और एम्बाप्पे ने कुल जमा तीन और चार गोल किए. ये गुण होता है कि किसी बड़े खिलाड़ी में जो उसे महान बनाता है.
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