
प्रशांत प्रत्युष
@prashant.pratyush
लेखक सम सामयिक विषयों पर लेखन कार्य करते हैं.
स्पोर्ट्स | 5-मिनट में पढ़ें

आखिर परायापन क्यों झेल रही हैं महिला एथलीट?
भारतीय महिला एथलीट्स को अभी लंबा सफर तय करना है. महिला एथलिटों को देश-दुनिया की लड़कियों के लिए मिसाल ही नहीं बनना है, महिला एथलिटों को लेकर पुरुषवादी मानसिकताओं के द्वन्द को भी तोड़ना है. कुल मिलाकर अपने घर के आंगन से निकलीं और मैदान मार लेने वाली महिला एथलिटों के पक्ष में खड़ा होने की जरूरत है.सिनेमा | 2-मिनट में पढ़ें

सिनेमा में महात्मा गांधी की मौजूदगी
Gandhi Godse Ek Yudh Movie: राजकुमार संतोषी 'गांधी गोडसे एक युद्ध' फिल्म लेकर आए हैं. असहमति-सहमति के विरोधाभास में राजकुमार संतोषी की फिल्म असगर वज़ाहत के नाटक पर आधारित कही जा रही है. फिल्म गांधीजी को महिमामंडित करती है या गोडसे को इसका फैसला दर्शकों के पास रहना चाहिए.सिनेमा | 4-मिनट में पढ़ें

Chhatriwali फिल्म सेक्स एजुकेशन की अहमियत को बताती है!
Chhatriwali Movie भारतीय समाज में यौन कुंठाओं को लेकर जो यथास्थिति है, उसको बड़े व्यापक फलक पर ले जाती है. शायद इसलिए भी फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट पाने में समय लगा और ओटीटी पर रिलीज की गई है. यौन शिक्षा से जुड़ी फिल्में एक बड़ी समस्या से जुझ रही हैं. वर्जित विषयों की तरह इन फिल्मों को भी वर्जित श्रेणी में ढ़केल दिया जाता है.सियासत | 4-मिनट में पढ़ें

गुजरात चुनाव के बाद कोई इस ठहरे हुए पानी को निकाले, मुस्लिम महिलाओं की समस्या दूर होगी!
अहमदाबाद स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद की बातों को सुनकर लगता है कि वहां स्वतंत्र विचारों का सड़ा हुआ पानी ठहर-सा गया है. इस ठहरे हुए पानी के निकासी की व्यवस्था ख़ुद मुस्लिम समुदाय को करनी चाहिए क्योंकि यह महिलाओं के हक़ में खीची गई लकीर को छोटा कर रहा है.समाज | 4-मिनट में पढ़ें
