सियासत | 3-मिनट में पढ़ें

यूपी की सियासत पर अब पूरी तरह काबिज हो गए हैं योगी आदित्यनाथ
आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी ही तीसरी बार जीत के लिए भाजपा का रामबाण बन सकता है. तमाम राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि योगी आदित्यनाथ की हिन्दुत्व और विकास के मॉडल वाली छवि राष्ट्रीय ख्याति हासिल कर रही है. भाजपा के लिए योगी का चेहरा और लोकप्रियता लोकसभा चुनाव जीतने का रामबाण बन सकता है.
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मैनपुरी की खुशी के आगे अखिलेश यादव को रामपुर का गम कितना कम होगा?
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को सबसे ज्यादा खुशी तो मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri Bypoll) के नतीजे से ही मिली होगी. खतौली में गठबंधन की जीत ने भी काफी राहत दी होगी, लेकिन रामपुर की हार का भी दुख है क्या? क्योंकि वहां तो आजम खान (Azam Khan) की हार हुई है!
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मैनपुरी में डिंपल ने इतिहास रचा तो है लेकिन अखिलेश को इस जीत से सबक जरूर लेना चाहिए!
मैनपुरी उपचुनाव में ससुर की सीट पर बहू पर दांव लगाने का समाजवादी पार्टी का टोटका कामयाब हुआ है. डिंपल ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. लेकिन इस जीत पर सपा को खुश होने की कोई बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है विषय सीधा है. मैनपुरी सपा का गढ़ था. यदि समाजवादी पार्टी यहां भी कमाल नहीं कर पाती तो उसे राजनीति करने का कोई हक़ नहीं था.
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योगी आदित्यनाथ को क्लीन चिट देकर अखिलेश यादव एहसान नहीं थोप सकते
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने मुख्यमंत्री रहते योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के केस से जुड़ी फाइल का जिक्र किया है. ऐसा लगता है जैसे वो अब बीजेपी सरकार से आजम खान (Azam Khan) के मामले में भी ठीक वैसा ही व्यवहार चाहते हैं - लेकिन अब तो काफी देर हो चुकी है.
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अखिलेश यादव ने चंद्रशेखर आजाद को ही मायावती का विकल्प मान ही लिया
मायावती (Mayawati) के हाथ खींच लेने के बाद भी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) यूपी विधानसभा चुनाव में चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) के दबाव में नहीं आये, लेकिन अब दोनों के तेवर नरम पड़ चुके हैं - और सपा नेतृत्व ने भीम आर्मी को बीएसपी का विकल्प मान लिया है.
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शिवपाल यादव क्या डिंपल और परिवार के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हैं?
शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के हाथ से सत्ता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से काफी पहले ही चली गयी थी, लेकिन 2022 के यूपी चुनाव से पहले और उसके कुछ दिन बाद तक पावर के मजे वो परोक्ष रूप से लेते रहे - लेकिन डिंपल यादव (Dimple Yadav) के लिए अब कीमत चुकानी पड़ी है.
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योगी ने शिवपाल को 'पेंडुलम' कहा लेकिन बनाया तो अखिलेश यादव ने ही है
मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रचार के लिए पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) पर निशाना साधते हुए उन्हें पेंडुलम कह दिया. जिसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) चाचा शिवपाल के बचाव में आ गए.
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अखिलेश यादव इस बार डिंपल के साथ मिल कर शिवपाल के साथ खेल खेल रहे हैं
शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) को किनारे लगाने के काफी बाद यूपी चुनाव से ऐन पहले अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपने पाले में मिला लिया. अब डिंपल यादव (Dimple Yadav) को केंद्र में रख कर वैसी ही राजनीति हो रही है - क्या चाचा-भतीजा फिर वैसा ही करने वाले हैं?
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